CCTV बंद परिपथ दूरदर्शन
Unit III
i. Online educational resources: ऑनलाइन शैक्षिक संसाधन:
Concept, features and application प्रत्यय, विशेषताएं एवं अनुप्रयोग
techniques like तकनीकी यथा
Social networking सोशल नेटवर्किंग
1. सार्थक व प्रभावशाली Communities को करें फॉलो
फेसबुक हो, लिंक्डइन हो, ट्विटर हो या इंस्टाग्राम, हर जगह किसी ख़ास विषय, अवसर या परीक्षा से जुड़े ग्रुप्स या कम्युनिटीज़ मौजूद होते हैं जिनमे लोग उस विषय या अवसर से जुड़ी हर महत्त्वपूर्ण व लेटेस्ट जानकारी शेयर करते रहते हैंl उदाहर्ण के तौर पर बोर्ड एग्जाम से जुड़ी कम्युनिटी में परीक्षा से जुड़ी हर ताज़ा अपडेट या महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री के बारे में, उस कम्युनिटी से जुड़े विद्यार्थी या अध्यापक लगातार चर्चा करते रहते हैं, जिससे आपको सभी अपडेट बिना ज़्यादा समय या एनर्जी बर्बाद किए मिलते रहते हैंl
इसके अलावा यह स्वभाविक है कि ज़्यादातर छात्रों को किसी एक जटिल विषय में मुश्किल अ रही होगी जिसके संदर्भ में अलग-अलग छात्र अपनी-अपनी समस्या शेयर करेंगे और कुछ दुसरे छात्र या अध्यापक उस समस्या का हल विभिन्न नज़रियों से देंगेl इससे छात्रों को उस समस्या के बारे में अलग-अलग दृष्टिकोणों से सोचने में मदद मिलेगी और उनकी लर्निंग एबिलिटी में वृद्धि होगीl
2. अपना स्वयं का ग्रुप या कम्युनिटी करें तैयार
यह सोशल मीडिया का शिक्षा में मदद करने के लिए दूसरा सबसे असरदार तरीका हैl विद्यार्थी अपना स्वयं का ग्रुप तैयार कर सकते हिं जिसमें वे अपने सहपाठियों, अध्यापकों और उस विषय से जुड़े अन्य विशेषज्ञों को शामिल कर सकते हैंl इससे पढ़ते दौरान अगर आपको किसी विषय में कोई मुश्किल आ रही हो, तो आप बिना देर किए अपने सहपाठियों या अध्यापकों से ऑनलाइन मदद ले सकते होl जैसे कि ग्रुप में ज़्यादातर लोग आपकी पहचान के ही होंगे तो उनसे संवाद करते समय भाषा की भी कोई रुकावट नहीं होगीl
3. रचनात्मक संवाद में सक्रिय रूप से लें हिस्सा
एक सहयोगी स्टडी नेटवर्क बनाने से और उसमें सक्रय रूप से हिस्सा लेने से आपके ज्ञान में अवश्य ही वृद्धि होगीl किसी एक विषय में चर्चा के दौरान आप उस विषय पर अपने विचार रखते हो और दूसरों के विचारों को समझते हो जिससे उस ख़ास विषय के प्रति आपके भीतर मौजूद जानकारी और मज़बूत हो जाती हैl इसलिए बिना यह सोचे कि आपके द्वारा लिखा कोई प्रश्न या कथन सही होगा या नहीं
इसके अलावा एक्टिव संवाद की मदद से कोई भी छात्र कक्षा में अनुपस्थित रहने पर भी वहाँ पढ़ाये पाठ या विषयों के बारे में और अन्य दैनिक जानकारी को ग्रुप में मौजूद अपने दोस्तों या अध्यापकों से प्राप्त कर सकता है, ताकि अनुपस्थित होने की वजह से उसका पाठ्यक्रम पीछे न रह जाएl
4. ऑनलाइन अध्ययन सामग्री की मदद लें
सोशल मीडिया का यह एक और बेहद महत्वपूर्ण व सकारात्मक उपयोग है जिसमें विद्यार्थी वीडियोज़, एनीमेशन, ऑनलाइन स्टडी नोट्स, आदि की मदद से अपने पास मौजूद अध्ययन सामग्री को और विस्तृत कर सकते हैंl यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया साइट्स पे प्रमोट होने वाले विभिन्न स्टडी मटिरिअल छात्रों की स्मस्स्याओं को ध्यान में रखते हुए व उनकी समझने की शक्ति के अनुसार विशेषज्ञों द्वारा ही बनाये जाते हैंl लेकिन विद्यार्थियों को चाहिए कि वे इन अध्ययन सामग्री को मुहैया करवाने वाली साइट्स का नाम व उसकी प्रमाणिकता ज़रूर जाँच लेंl जैसे कि jagranjosh.com एक विश्वसनीय एजुकेशन वेबसाइट है जिसमें मौजूद सभी लेख व अन्य ज़रूरी अध्ययन सामग्री विशेषज्ञों द्वारा तैयार की जाती हैl
सोशल मीडिया का उपयोग देश और दुनिया में नए-नए दोस्त बनाकर उनके साथ व्यर्थ की गप-शाप करने की बजाये, इसको सार्थक रूप से इस्तेमाल करने से विद्यार्थी अपनी लर्निंग एबिलिटी में वृद्धि करते हुए शिक्षा में भरपूर मदद हासिल कर सकते हैंl लेकिन सोशल मीडिया का उपयोग स्वयं के इस्तेमाल करने के तौर – तरीकों पर निर्भर करता है कि हम इसका अपने जीवन में कैसा प्रभाव देखना चाहते हैं।
डिजिटल लाइब्रेरी क्या हैं? (What is Digital Library?)
डिजिटल लाइब्रेरी एक पुस्तकालय है जिसमें डाटा डिजिटल स्वरूपों (जैसे कि प्रिंट, माइक्रोफ़ॉर्म, या अन्य मीडिया के विपरीत) में स्टोर होता हैं और कंप्यूटर द्वारा एक्सेस किया जा सकता हैं। कंटेंट को स्थानीय रूप से स्टोर किया जा सकता है, या दूरस्थ रूप से एक्सेस किया जा सकता है। इस शब्द को पहली बार 1994 में NSF / DARPA / NASA डिजिटल लाइब्रेरी इनिशिएटिव द्वारा लोकप्रिय किया गया था।
डिजिटल लाइब्रेरी में डॉक्यूमेंट्स की सॉफ्टकॉपी को सीडी में पीडीएफ फॉर्मेट में सेव किया जाता है। इसके जरिए इंटरनेट पर मैग्जीन, आर्टिकल्स, बुक्स, पेपर्स, इमेज, साउंड फाइल्स और वीडियो आसानी से देखे जा सकते हैं। इसके लिए किसी एक्सपर्ट को भी बुलाने की जरूरत नहीं है, आप इसे खुद आसानी से एक्सेस कर सकते हैं। इन पीडीएफ फाइलों का प्रिंट भी लिया जा सकता है। डिजिटल लाइब्रेरी को इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी, वर्चुअल लाइब्रेरी, हाइब्रिड लाइब्रेरी के रूप में भी जाना जाता है
एक डिजिटल लाइब्रेरी, प्रिंट या माइक्रोफ़ॉर्म जैसे मीडिया के अन्य रूपों के विपरीत, लाइब्रेरी का एक विशेष रूप है जो डिजिटल संपत्ति का एक संग्रह शामिल करता है। ऐसी डिजिटल वस्तुएं विजुअल मटेरियल, टेक्स्ट, ऑडियो या वीडियो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के रूप में हो सकती हैं जैसा कि यह एक पुस्तकालय है, इसमें मीडिया या फ़ाइलों को व्यवस्थित करने, स्टोर करने और पुनर्प्राप्त करने की विशेषताएं भी हैं जो संग्रह बनाती हैं। दूर से स्टोर होने पर डिजिटल लाइब्रेरी में कंटेंट को स्थानीय रूप से स्टोर या नेटवर्क के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
डिजिटल लाइब्रेरी में डिजिटल रिसोर्स का एक संग्रह होता है जो केवल डिजिटल रूप में मौजूद होते हैं, या उन्हें दूसरे रूप से डिजिटल में परिवर्तित किया जाता है। इन रिसोर्स को आम तौर पर फोर्मेट्स की एक विस्तृत श्रृंखला में स्टोर किया जाता है और कंप्यूटर नेटवर्क पर उपयोगकर्ताओं द्वारा एक्सेस किया जा सकता है। इस तरह की लाइब्रेरी को रोज अपडेट किया जा सकता है और उपयोगकर्ताओं द्वारा तुरंत एक्सेस किया जा सकता है।
डिजिटल लाइब्रेरी के फायदे (Advantages of Digital Library)
डिजिटल लाइब्रेरी एक विशेष स्थान तक ही सीमित नहीं है उपयोगकर्ता इंटरनेट का उपयोग करके अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर कहीं से भी अपनी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
- डिजिटल लाइब्रेरी के उपयोगकर्ता को फिजिकल रूप से लाइब्रेरी में जाने की आवश्यकता नहीं है, दुनिया भर के लोग इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से डिजिटल जानकारी को प्राप्त कर सकते है।
- डिजिटल लाइब्रेरी को कभी भी दिन के 24 घंटे और साल के 365 दिन एक्सेस किया जा सकता है।
- एक ही रिसोर्स का उपयोग एक ही समय में कई उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जा सकता है।
- डिजिटल लाइब्रेरी एक अधिक संरचित तरीके से बहुत समृद्ध सामग्री तक पहुंच प्रदान करती है यानी हम कैटलॉग से किसी विशेष पुस्तक तक और फिर एक विशेष अध्याय तक पहुंच सकते हैं।
- उपयोगकर्ता पूरे संग्रह के शब्द या वाक्यांश के लिए किसी भी खोज शब्द का उपयोग करने में सक्षम है।
- गुणवत्ता में किसी भी गिरावट के बिना मूल की एक सटीक कॉपी किसी भी समय बनाई जा सकती है।
- पारंपरिक लाइब्रेरी स्टोरेज स्पेस द्वारा सीमित हैं। डिजिटल लाइब्रेरी में बहुत अधिक जानकारी स्टोर करने की क्षमता होती है, क्योकि डिजिटल जानकारी के लिए उन्हें रखने के लिए बहुत कम फिजिकल स्थान की आवश्यकता होती है
- एक विशेष डिजिटल लाइब्रेरी अन्य डिजिटल लाइब्रेरी के किसी भी अन्य रिसोर्स को बहुत आसानी से लिंक प्रदान कर सकती है|
- एक डिजिटल लाइब्रेरी को बनाए रखने की लागत पारंपरिक लाइब्रेरी की तुलना में बहुत कम है। एक पारंपरिक पुस्तकालय को कर्मचारियों के लिए भुगतान करने, पुस्तक के रख-रखाव, किराए और अतिरिक्त पुस्तकों के लिए बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती हैं। डिजिटल लाइब्रेरी इन फीसों को दूर करती है।
डिजिटल लाइब्रेरी के नुक्सान (Disadvantages of Digital Library)
- कॉपीराइट: डिजिटलीकरण कॉपी राइट कानून का उल्लंघन करता है क्योंकि एक लेखक की विचार सामग्री उसकी स्वीकृति के बिना दूसरे द्वारा स्वतंत्र रूप से हस्तांतरित की जा सकती है। इसलिए डिजिटल लाइब्रेरी के लिए एक कठिन सूचना को वितरित करने का तरीका है।
- पहुंच की गति: जैसे-जैसे अधिक से अधिक कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़े होते हैं इसकी पहुंच की गति कम होती जा रही है। यदि नई तकनीक समस्या को हल करने के लिए विकसित नहीं होगी, तो निकट भविष्य में इंटरनेट त्रुटि संदेशों से भरा होगा।
- प्रारंभिक लागत अधिक है: डिजिटल लाइब्रेरी की बुनियादी सुविधाओं की लागत यानी हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर की लागत; पट्टे पर संचार सर्किट आम तौर पर बहुत अधिक है।
- बैंड की चौड़ाई: डिजिटल लाइब्रेरी को मल्टीमीडिया रिसोर्स के हस्तांतरण के लिए उच्च बैंड की आवश्यकता होगी, लेकिन इसके अधिक उपयोग के कारण बैंड की चौड़ाई दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है|
- दक्षता: डिजिटल जानकारी की अधिक बड़ी मात्रा के साथ, एक विशिष्ट कार्य के लिए सही सामग्री ढूंढना मुश्किल हो जाता है।
- पर्यावरण: डिजिटल पुस्तकालय एक पारंपरिक पुस्तकालय के वातावरण को पुन: पेश नहीं कर सकते हैं। कई लोगों को कंप्यूटर स्क्रीन पर पढ़ने की सामग्री की तुलना में पढ़ने के लिए मुद्रित सामग्री पढ़ना भी आसान लगता है।
ii. ICT in the classroom ( hardware and software) कक्षा कक्ष में आईसीटी (हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर)
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी एक व्यापक क्षेत्र है जिसमें सूचना के संचार के लिये हर तरह की प्रौद्योगिकी समाहित है। यह वो प्रौद्योगिकी है जो कि सूचना के संचालन (रचना, भंडारण और उपयोग की योग्यता रखता है तथा संचार के विभिन्न माध्यमों (रेडिया टेलिविजन, सेल फोन, कंप्यूटर और नेटवर्क, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, सेटेलाइट सिस्टम, विभिन्न सेवाओं और अनुप्रयोगों) से सूचना के प्रसारण की सुविधा प्रदान करता है। आई.सी.टी. कई लोगों के जीवन का अविभाज्य तथा स्वीकृत अंग बन गया है। कृषि, स्वास्थ्य, शासन प्रबन्ध और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में के विकास का प्रभाव है। आई.सी.टी. एक विविध संग्रह है जिसमें विभिन्न प्रौद्योगिकी उपकरण निहित हैं। साथ ही साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग और इलेक्ट्रॉनिक मेल आदि जैसे प्रोटोकॉल और सेवाएँ भी सम्मिलित हैं। आई.सी.टी. एक प्लंबिंग प्रणाली की तरह है जहाँ सूचना (संग्रहित पानी) सूचना प्रौद्योगिकी (भण्डारण टंकी) में संचयित होती है तथा संचार प्रौद्योगिकी (पाइप) के माध्यम से संचार (बहता हुआ पानी) प्रापक के पास पहुँचता है। उपयोगी डाटा और सूचना के सृजन, संचरण, भंडारण, पुनः प्राप्ति और डिजिटल रूपों में संचालन जैसी आई.सी.टी. की डिजिटल प्रौद्योगिकी सूचना के पूरे चक्र में प्रयोग में लाई जाती है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विभिन्न घटक हैं-
1. कम्प्यूटर हार्डवेयर प्रौद्योगिकी - इसके अन्तर्गत माइक्रो-कम्प्यूटर, सर्वर, बड़े मेनफ्रेम कम्प्यूटर के साथ-साथ इनपुट, आउटपुट एवं संग्रह करने वाली युक्तियाँ आती हैं।
2. कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी - इसके अंतर्गत ऑपरेटिंग सिस्टम वेब ब्राउजर डाटाबेस प्रबन्धन प्रणाली (DBMS) सर्वर तथा व्यापारिक, वाणिज्यिक सॉफ्टवेयर आते हैं।
3. दूरसंचार व नेटवर्क प्रौद्योगिकी - इसके अन्तर्गत दूरसंचार के माध्यम, प्रोसेसर तथा इंटरनेट से जुड़ने के लिये तार या बेतार पर आधारित सॉफ्टवेयर, नेटवर्क-सुरक्षा, सूचना का कूटन (क्रिप्टोग्राफी) आदि हैं।
4. मानव संसाधन - तंत्र प्रशासक (System Administrator) नेटवर्क प्रशासक (Network Administrator) आदि।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की महत्ता निम्नलिखित है-
1. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, सेवा अर्थतंत्र (Service Economy) का आधार है।
2. पिछड़े देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये सूचना प्रौद्योगिकी एक उपयुक्त तकनीक है।
3. गरीब जनता को सूचना-सम्पन्न बनाकर ही निर्धनता का उन्मूलन किया जा सकता है।
4. सूचना-संपन्नता से सशक्तिकरण होता है।
5. सूचना तकनीकी, प्रशासन आर सरकार में पारदर्शिता लाती है, इससे भ्रष्टाचार को कम करने में सहायता मिलती है।
6. सूचना तकनीक का प्रयोग योजना बनाने, नीति निर्धारण तथा निर्णय लेने में होता है।
7. यह नये रोजगारों का सृजन करती है।
उच्च शिक्षा में आई.सी.टी. का बहुत महत्त्व है। निवेश से लेकर प्रबंधन, दक्षता, शिक्षा शास्त्र, गुणवत्ता, अनुसंधान और नवाचार के प्रमुख मुद्दों से निपटने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाली प्रौद्योगिकियों तक, उच्च शिक्षा में आई.सी.टी. के परिचय से पूरी शिक्षा प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
उच्च शिक्षा में आई.सी.टी. के अभिग्रहण से निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त होती हैं-
1. दूरवर्ती स्थानों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।
2. उच्च शिक्षा संस्थानों में अधिक पारदर्शिता प्रणाली लाने से उनकी प्रक्रियाओं और अनुपालन मानदंडों को मजबूती मिलती है।
3. यह छात्रों के प्रदर्शन, नियुक्ति, वेबसाइट एनालिटिक्स, और ब्रांड के ऑडिट के लिये सोशल मीडिया मेट्रिक्स का विश्लेषण करने के लिये प्रयोग किया जाता है।
4. इंटरनेट (वर्चुअल क्लास रूम), उपग्रह और अन्य माध्यमों द्वारा पाठ्यक्रम वितरण के साथ दूरस्थ शिक्षा सुविधाजनक बना दी गयी है।
शिक्षण में कम्प्यूटर आधारित शिक्षा तकनीकों का उपयोग भारत की प्रसिद्ध शिक्षा प्रणाली और संस्थानों द्वारा अपनाया गया है। शब्दों और प्रतीकों की विविधता कम्प्यूटर की महान शक्ति है जो शैक्षणिक प्रयास का केंद्र है। ई-लर्निंग और दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षण अधिक रोचक और आसान हो रहा है। इंटरनेट तथा वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से शिक्षक अपने विद्यार्थियों तक पहुँच सकते हैं और उनको घर बैठे पढ़ा सकते हैं। इंटरनेट मानव ज्ञान का एक उच्चतम संग्रह है। आई.सी.टी. डिजिटल पुस्तकालय जैसे डिजिटल संसाधनों के सृजन की अनुमति देता है, जहाँ विद्यार्थी, शिक्षक और व्यवसायी शोध सामग्री तथा पाठ्यक्रम सामग्री तक पहुँच सकते हैं। आई.सी.टी. शैक्षणिक संस्था के दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक गतिविधियों को आसान और पारदर्शी तरीके से नियंत्रित करने तथा समन्वय और निगरानी के लिये अवसर प्रदान करता है। पंजीकरण/नामांकन, पाठ्यक्रम आवंटन, उपस्थिति की निगरानी, समय सारिणी/वर्ग अनुसूची, प्रवेश के लिये आवेदन, छात्रों के दाखिले में जाँच इस तरह की जानकारियाँ ई-मीडिया द्वारा पाई जा सकती हैं।

आई.सी.टी. के सन्दर्भ में एक खोजपूर्ण प्रयास की आवश्यकता है। प्रेरणा शक्ति को प्रोत्साहित करने का यह सही समय है क्योंकि आशा है कि आई.सी.टी. के परिपालन से जीवन के हर क्षेत्र में प्रबल उन्नति को प्राप्त किया जा सकता है।
Unit-IV
i. Computer Assisted Learning (CAL) कंप्यूटर सहायक अधिगम

Web based Learning(WBL) वेब आधारित अधिगम

ई-लर्निंग या इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग, और आम तौर पर इसका मतलब कंप्यूटर का उपयोग करके पाठ्यक्रम की जानकारी भेजना है चाहे वह स्कूल में हो, आपके अनिवार्य व्यावसायिक प्रशिक्षण का हिस्सा हो या पूर्ण दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम। दूसरे शब्दों में, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक तकनीक का उपयोग करके जानकारी प्राप्त करने और विस्तार करने में सहायता करने के लिए सुनिश्चित और पूरी तरह से पुष्टि की जाती है।
सीखने की व्याख्या करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कई शब्द हैं, जो ऑनलाइन किए गए इंटरनेट का उपयोग करते हैं, कंप्यूटराइज्ड इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग से लेकर दूरस्थ शिक्षा, इंटरनेट लर्निंग, ऑनलाइन लर्निंग आदि तक हम ई-लर्निंग को उन पाठ्यक्रमों के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं जो विशेष रूप से अन्य स्थानों पर इंटरनेट के माध्यम से वितरित किए जाते हैं। कक्षा की तुलना में जहां प्रोफेसर पढ़ाता है यह उसके विपरित होता है जहां आप ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं लेते हैं।
ई-लर्निंग में अपने आप में प्रौद्योगिकी-संवर्धित शिक्षण (टीईआई), कंप्यूटर-आधारित निर्देश (सीबीआई), कंप्यूटर प्रबंधित अनुदेश, कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण (सीबीटी), कंप्यूटर-सहायता प्राप्त निर्देश या कंप्यूटर-एडेड निर्देश (सीएआई), इंटरनेट-आधारित शामिल हैं प्रशिक्षण (आईबीटी), लचीला शिक्षण, वेब-आधारित प्रशिक्षण (डब्लयूबीटी), ऑनलाइन शिक्षा, आभासी शिक्षा, आभासी शिक्षण वातावरण (वीएलई, इत्यादि)।
यह एक तरह से इंटरैक्टिव है कि आप अपने प्रोफेसरों या साथी छात्रों के साथ मेल खा सकते हैं। एक शिक्षक या प्रोफेसर हमेशा आपके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उपस्थित होते हैं, आपकी भागीदारी, असाइनमेंट और परीक्षणों की ग्रेडिंग करते हैं। कभी-कभी व्याख्यान लाइव दिया जाता है; जहां आप "इलेक्ट्रॉनिक रूप से" अपना हाथ बढ़ा सकते हैं और एक निश्चित समय पर एक साथ काम कर सकते हैं। कभी-कभी यह एक व्याख्यान है जो पहले से ही रिकॉर्ड किया गया होता है।
ई-लर्निंग नेटवर्क-आधारित, इंटरनेट-आधारित या सीडी-रोम-आधारित हो सकता है। इसमें टेक्स्ट, वीडियो, ऑडियो, एनीमेशन और वर्चुअल वातावरण शामिल हो सकते हैं।
इसे कौन ले सकता है?
ई-लर्निंग पाठ्यक्रम वर्तमान प्रतिबद्धताओं से समझौता किए बिना शिक्षार्थी की जीवन शैली में फिट होने के लिए लचीलापन प्रदान करते हैं। एक ई-लर्निंग छात्र को अपने बाकी सहपाठियों के साथ रहने के लिए लगातार और नियमित आधार पर अध्ययन करने के लिए स्वयं अनुशासित होना चाहिए। यद्यपि आप अन्य छात्रों के साथ कक्षा में नहीं बैठे होते हैं, ई-लर्निंग पाठ्यक्रम में अक्सर छात्रों का एक समूह शामिल होता है, अलग-अलग अध्ययन करते हैं, लेकिन साथ ही साथ एक-दूसरे के साथ एक साथ काम करने की उम्मीद की जाती है, जो चर्चा बोर्डों के माध्यम से सप्ताह भर में एक दूसरे के साथ काम करते हैं। मंचों, आम तौर पर एक ऑनलाइन कक्षा प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से आप शिक्षा ग्रहण करते हैं।
आम तौर पर परीक्षण और असाइनमेंट के लिए नियोजित तिथियां होती हैं जिन्हें समय पर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। स्वयं को अनुशासित होना चाहिए, समय प्रबंधन में अच्छा होना चाहिए और उत्कृष्ट संगठनात्मक कौशल होना चाहिए। यदि आप एक ही समय में स्वयं अनुशासित हो सकते हैं, तो ई-लर्निंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प होगा।
ई-लर्निंग के प्रकार
ई-लर्निंग निम्नलिखित चार श्रेणियों में आती है।
अतुल्यकालिक प्रशिक्षण - पारंपरिक प्रकार के शिक्षण के रूप में माना जा सकता है। इसमें सेल्फ-लर्निंग लर्निंग, इंटरनेट-आधारित, सीडी-आधारित या नेटवर्क-आधारित, इंट्रानेट-आधारित या शामिल है। छात्र ईमेल, ऑनलाइन चर्चा समूहों और ऑनलाइन बुलेटिन बोर्डों के माध्यम से प्रशिक्षक के संपर्क में आ सकते हैं। अध्ययन सामग्री के लिए, प्रशिक्षक के स्थान पर लिंक प्रदान किए जाते हैं।
समकालिक प्रशिक्षण - प्रशिक्षण का अधिक संगठित रूप, जहां छात्र एक विशिष्ट समय पर ऑनलाइन आते हैं और प्रशिक्षक और एक-दूसरे के साथ सीधे संवाद कर सकते हैं। इस प्रकार का प्रशिक्षण आमतौर पर एक कक्षा में छात्रों को ऑडियो- या वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग, इंटरनेट टेलीफोनी, इंटरनेट वेब साइटों या दो-तरफा लाइव प्रसारण के माध्यम से होता है।
ज्ञान डेटाबेस - ई-लर्निंग का सबसे बुनियादी रूप। ये आमतौर पर यथोचित रूप से संवादात्मक होते हैं, जिसका अर्थ है कि आप डेटाबेस को खोजने के लिए किसी शब्द या मुहावरे में टाइप कर सकते हैं, या वर्णानुक्रम में व्यवस्थित सूची से चुनाव कर सकते हैं।
ऑनलाइन समर्थन - ई-लर्निंग का अपना रूप और सूचना डेटाबेस के समान कार्य करता है, लेकिन अपेक्षाकृत अधिक इंटरैक्टिव। ऑनलाइन समर्थन चैट रूम, ई-मेल, फ़ोरम, ऑनलाइन बुलेटिन बोर्ड, या त्वरित संदेश के रूप में है। ज्ञान डेटाबेस की तुलना में थोड़ा अधिक इंटरैक्टिव, ऑनलाइन समर्थन अधिक सटीक प्रश्नों का अवसर देता है, साथ ही साथ तत्काल प्रतिक्रियाएं भी देता है।
हालांकि ई-लर्निंग एक बेहतरीन रेंज प्रदान करता है, सामान्य तौर पर आपका ई-लर्निंग कोर्स निम्नलिखित तीन प्रकारों में से एक में जा सकते हैं:
टेक्स्ट ड्रिवेन - सामग्री आसान है और इसमें टेक्स्ट, कुछ ऑडियो, ग्राफिक्स और परीक्षण प्रश्न शामिल हैं। समझौते के पाठ्यक्रम पाठ संचालित ई-लर्निंग के उत्कृष्ट उदाहरण हैं जिनमें आम तौर पर एक सिद्धांत या उद्देश्य होता है: ज्ञान को प्रस्तुत करना और सामग्री पर तेजी से आकलन करना। पाठ उन्मुख पाठ्यक्रमों में शायद ही कभी कोई संवादात्मक तंत्र होता है, किसी भी प्रकार के गेमिंग और इमेजरी का कोई भी उपयोग बहुत सावधानी से नहीं किया जाता है। पावरपॉइंट फ़ाइलें अक्सर इस वर्ग में आती हैं।
इंटरएक्टिव: एक इंटरैक्टिव ई-लर्निंग कोर्स एक पाठ उन्मुख पाठ्यक्रम के लिए समान है, केवल इस अंतर के साथ कि सीखने को बढ़ावा देने के लिए इंटरैक्टिव घटकों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। सामान्य रूप से छवियों का अच्छा उपयोग (ग्राफिक्स, चार्ट, आरेख), जिनमें से सभी एक इंटरैक्टिव विशेषता के लिए उत्तरदायी हैं।
पाठ उन्मुख पाठ्यक्रमों के विपरीत, इंटरैक्टिव पाठ्यक्रम भी इस तरह के वीडियो के रूप में जोड़ा मीडिया प्रकार का लाभ लेते हैं
सिमुलेशन: सिमुलेशन ई-लर्निंग बेहद इंटरेक्टिव है और मुख्य रूप से वीडियो, ग्राफिक्स, ऑडियो और निश्चित मात्रा में ग्रेमिफिकेशन पर निर्भर करता है। गौरतलब है कि अक्सर पारंपरिक मनोरंजन का उपयोग सीखने में सहायता के लिए किया जाता है, जिसमें 3 डी तंत्र भी शामिल है। नया सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण पाठों का एक उदाहरण है जिसमें अक्सर अन्तरक्रियाशीलता और सिमुलेशन का एक उन्नत स्तर शामिल होता है। इन सिमुलेशन के लिए किसी प्रकार के प्रतिबंधित "परीक्षण" पृष्ठभूमि के साथ एस्कॉर्ट होना असामान्य नहीं है।
ई-लर्निंग सिमुलेशन विभिन्न माध्यमों से अवधारणाओं का वर्णन करने पर जोर देता है, आमतौर पर ग्राफिक्स और पाठ के साथ शुरू होता है, ऑडियो और वीडियो उदाहरणों के साथ आता है। बाद में, आमतौर पर एक "प्रयास" विधि होती है जहां उपयोगकर्ता अपनी नई क्षमताओं को आज़मा सकते हैं, संभवतः लंबे समय में उपलब्धि या अंक अर्जित कर सकते हैं।
ई-लर्निंग का कौन सा रूप मेरे लिए सही है?
अतुल्यकालिक विधियों का उपयोग विभिन्न स्थितियों में किया जाता है, मुख्यतः जब:
1. सामान्य विषय जैसे कि प्रशासन प्रशिक्षण, आर्थिक प्रशिक्षण, या समय प्रबंधन आदि जो एक निश्चित अभ्यास या व्यवसाय के लिए निश्चित नहीं है। ऐसे मामलों में, अतुल्यकालिक प्रशिक्षण व्यावहारिक और मूल्य प्रभावी है।
2. प्रति दर्ज सीडी और राइट अप का उपयोग कर पारंपरिक ई-लर्निंग पाठ्यक्रम का उपयोग बड़े पैमाने पर वित्तीय योजना और विस्तृत समय के साथ परियोजनाओं पर किया जाता है, जैसे एक महत्वपूर्ण उत्पाद रिलीज इत्यादि।
3. औद्योगिक नियंत्रण प्रणाली जैसे व्यापक मॉडल के साथ असाइनमेंट; उड़ान सिमुलेटर आदि अतुल्यकालिक तकनीकों के लिए अच्छी तरह से अनुकूल हैं जहां आभासी कक्षा शिक्षण की आवश्यकता नहीं है।
4. जिन प्रशिक्षणों में एक लंबी शैल्फ जीवन होता है - उदाहरण के लिए एक व्यावसायिक रिपोर्ट और भविष्य की अतुल्यकालिक ई-लर्निंग का उपयोग करने के लिए एक अच्छी साइट हो सकती है।
5. पारंपरिक ई-लर्निंग, यानी ऑडियो-विज़ुअल कंटेंट, सीडी, प्रेजेंटेशन इत्यादि के निर्माण की लागत के कारण, सामग्री को बार-बार संशोधित करना महंगा होता है, इसलिए यह तय की गई प्रशिक्षण सामग्री के लिए उपयुक्त है।
6. इसके अलावा, प्रक्रिया-आधारित प्रशिक्षण अतुल्यकालिक विधि के लिए सबसे उपयुक्त है जहां छात्र को पहले से रिकॉर्ड की गई अध्ययन सामग्री मिलती है जिसे वह अपनी सुविधानुसार अध्ययन कर सकता है और संदेश बोर्ड, बुलेटिन बोर्ड, चर्चा स्थल, संगोष्ठी आदि के लिए प्रश्न पोस्ट कर सकता है।
7. स्व-पुस्तक पाठ्यक्रम का स्पष्ट लाभ सुविधा है। शिक्षार्थियों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है जो उन्हें किसी भी समय लचीलेपन के अधिक से अधिक डिग्री के लिए अनुमति देते हैं।
सिंक्रोनस ई-लर्निंग (वर्चुअल क्लासरूम)
इस प्रकार की ई-लर्निंग आवश्यक रूप से कुछ मामलों में आवश्यक है जहां पारंपरिक तरीके वांछित लक्ष्यों को वितरित नहीं करेंगे, जैसे:
1. प्रशिक्षक-आधारित ऑनलाइन मेंटरिंग छात्रों के लिए सबसे उपयुक्त है, जिन्हें अवधारणा-आधारित प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है और उनके नियमित अध्ययन में मदद मिलती है। शिक्षक के बीच निरंतर बातचीत की आवश्यकता है और संदेह को स्पष्ट करने और उन्हें उदाहरणों के माध्यम से जटिल अवधारणाओं को समझने और संदेह के स्पष्टीकरण के लिए सिखाया जाता है।
2. विदेशी कौशल, विविधता और शिक्षण विदेशी भाषाओं में सॉफ्ट-स्किल प्रशिक्षण में इसका सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।
3. मिश्रित सीखने को कई प्रक्रियाओं के रूप में देखा जाता है जिसमें कक्षा में एक प्रशिक्षण सत्र के लिए उपयुक्त ई-लर्निंग मॉड्यूल एक अग्रदूत होते हैं यानी प्रशिक्षण में दोनों विधियों का सफलतापूर्वक उपयोग किया जाता है।
4. अधिक से अधिक संगठन पूर्ण प्रशिक्षण समाधान के लिए मिश्रित तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। अपनी ई-लर्निंग आवश्यकताओं पर चर्चा करने के लिए हमसे संपर्क करें, और यह जानने के लिए कि ई-लर्निंग का कौन सा तरीका आपको सबसे अच्छा लगता है।
ई-लर्निंग कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के पक्ष और विपक्ष
पक्ष (लाभ)
1. स्व-पुस्तक सीखने के मॉड्यूल छात्रों को अपनी गति से काम करने की अनुमति देते हैं
2. छात्रों के पास अध्ययन सामग्री का चयन करने का विकल्प हो सकता है जो उनके सूचना और जागरूकता के स्तर को अलग करता है।
3. काम और परिवार के साथ समझौता किए बिना वर्ग कार्य की योजना बनाई जा सकती है
4. ऑफ-कैंपस छात्रों के लिए यात्रा के समय और यात्रा की लागत को कम करता है।
5. छात्र अपने फ्रीव्हील के अनुसार जहां भी और जब भी कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन हो, उसके अनुसार अध्ययन कर सकते हैं
6. किसी भी समय बुलेटिन बोर्ड की चर्चा वाले क्षेत्रों में बहस में भाग लेना, या सहपाठियों और प्रशिक्षकों के साथ दूरस्थ रूप से चैट रूम में जाना।
7. प्रशिक्षक और छात्र दोनों बड़े व्याख्यान पाठ्यक्रम की तुलना में छात्रों और प्रशिक्षकों के बीच ई-लर्निंग को बढ़ावा देते हैं
8. ई-लर्निंग विभिन्न शिक्षण शैलियों को समायोजित कर सकता है और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सीखने को संभव बना सकता है
9. इंटरनेट और कंप्यूटर कौशल का ज्ञान विकसित करता है जो शिक्षार्थियों को अपने जीवन और करियर में मदद करेगा।
10. ऑनलाइन या कंप्यूटर आधारित पाठ्यक्रमों का सफलतापूर्वक पूरा होना आत्मविश्वास बढ़ाता है और छात्रों को जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।
11. छात्र नए कौशल सीखने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं
विपक्ष (नुकसान)
1. बिना आत्म अनुशासन या बुरे संगठनात्मक कौशल के शिक्षार्थी पिछड़ सकते हैं।
2. छात्र बिना किसी प्रशिक्षक और सहपाठियों के अकेला महसूस कर सकते हैं।
3. छात्रों के किसी प्रश्न के होने पर शिक्षक या प्रोफेसर उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
4. खराब इंटरनेट कनेक्शन या पुराने कंप्यूटर एक्सेस करने वाली सामग्री को निराशाजनक बना सकते हैं।
5. एक पारंपरिक कक्षा के किसी भी कार्यक्रम के बिना, छात्र पाठ्यक्रम गतिविधियों और समय सीमा के बारे में खो या भ्रमित हो सकते हैं।
6. प्रवेश-स्तर के कंप्यूटर कौशल के साथ सीखने वालों के लिए कंप्यूटर फ़ाइलों और ऑनलाइन लर्निंग सॉफ़्टवेयर का आयोजन जटिल हो सकता है।
7. वर्चुअल क्लासरूम में प्रैक्टिकल या लैब वर्क करना मुश्किल होता है।
भारत में ई-झुकाव
ई-लर्निंग इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शैक्षणिक उपकरणों और संचार माध्यमों का उपयोग करते हुए शिक्षा प्रदान करने के लिए पहचाने जाने वाले जोर क्षेत्र में से एक है। यह सूचना संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) द्वारा सीखने की सुविधा और समर्थन है। व्यापक उद्देश्य ई-लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए उपकरण और प्रौद्योगिकी विकसित करना है।
सरकार ने विभिन्न ई-लर्निंग कार्यक्रमों का समर्थन किया है और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) इसे बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से उपकरण और तकनीक विकसित कर रहा है।
Learning through ICT Modeling आईसीटी मॉडलिंग द्वारा अधिगम
and Role of EDUSAT एवं एजुसेट की भूमिका
ii. Blended Learning: meaning, nature and Type of blended- learning
मिश्रित प्रणाली शिक्षा
मिश्रित प्रणाली शिक्षा या ब्लेंडेड शिक्षा एक औपचारिक शिक्षा कार्यक्रम हैं जिसमे विद्यार्थी पाठ्यक्रम का एक भाग कक्षा में पूरा करता हैं और दूसरा भाग डिजिटल एवं ऑनलाइन संसाधानो का प्रयोग करके सिद्ध करता हैं। ब्लेंडेड शिक्षा में समय, जगह, विधि तथा गति का नियंत्रण विद्यार्थी के हाथ में है। ब्लेंडेड शिक्षा में ईंट और चुने से बने विद्यालय में पढ़ाये गये पाठ के साथ कंप्यूटर समर्थित विद्या का मिश्रण होता है।
ब्लेंडेड शिक्षा के समर्थकों का कहना है कि यह कार्यक्रम द्वारा डेटा संग्रह तथा व्यक्तिगत अनुदेश एवं मूल्यांकन का लाभ मिलता है।
1. शब्दावली
अन्वेषण साहित्य में ब्लेंडेड शिक्षा को प्रौद्योगिक समर्थित विद्या, वेब-वर्धित शिक्षा और मिश्रित प्रणाली शिक्षा भी कहा जाता है। ब्लेंडेड शिक्षा का विचार बहुत सालों से है लेकिन इसका संकल्प इक्कीसवीं सदी के शुरूवात में ज़्यादा प्रचलित हुआ है। ब्लेंडेड शिक्षा की सही परिभाषा, सन 2006 में बॉंक तथा ग्राहम के द्वारा लिखी पुस्तिका में पहली बार हुई। आज, इंटरनेट एवं डिजिटल आधारित शिक्षा और कक्षा में पढ़ाये गये विद्या के मिश्रित शिक्षा कार्यक्रम को ब्लेंडेड कक्षा कहा जाता है।
2. एतिहासिक मूल
प्रौद्योगिक शिक्षा सन 1960 में पारंपरिक कक्षा विद्या के विकल्प में उभरा। एक अध्यापक सिर्फ कुछ ही लोगो को पढ़ा सकता था। मेनफ्रेम तथा मिनी-कंप्यूटर को प्रयोग करते इस पद्धति का मुख्य लाभ था कि यह बहुत सारे लोगों को पढ़ा सकता था।
3. प्रकार
हालांकि ब्लेंडेड शिक्षा की परिभाषा में पूरी सहमति नहीं है, ब्लेंडेड शिक्षा के विशिष्ट तरीकों का सुझाव कयि विद्वानों और शोधकर्ताओं ने दिया है। ब्लेंडेड शिक्षा को छह प्रकार में वर्गीकृत किया गया है।
- स्वतः ब्लेंड - जिसमे विद्यार्थी खुद कि प्रेरणा से अपनी पाठ्यक्रम को ऑनलाइन साधनों द्वारा दुबारा दोहराता है।
- रु बरु संचालन - जिसमे अध्यापक अपना उपदेश डिजिटल उपकरणों द्वारा करते हैं।
- प्रयोगशाला - जिसमे विद्यार्थी लगभग अपनी पूरा अध्ययन एक समान स्थान में इंटरनेट तथा डिजिटल संसाधन का प्रयोग करके पूरा करता है।
- नियमित आवर्तन - जिसमे विद्यार्थी नियत परिसंख्या का अनुसरण करके इंटरनेट पर स्वय-अध्ययन और कक्षा के रु-बरु संचालन द्वारा पढ़ता है।
- फ्लेक्स - जिसमे विद्यार्थी लगभग अपनी पूरा अध्ययन इंटरनेट तथा डिजिटल संसाधन का प्रयोग करके पूरा करता है। अध्यापक यहाँ सिर्फ़ योगदान और परामर्श देता है।
- ऑनलाइन संचालन - जिसमे पूरा पाठ्यक्रम ऑनलाइन साधनों द्वारा पढ़ाया जाता है।
4. गुण
केवल ऑनलाइन शिक्षा या केवल कक्षा में पदाए गये पाठ से ब्लेंडेड शिक्षा का प्रभाव अधिक माना जाता है। ब्लेंडेड शिक्षा के समर्थकों का मानना है कि "अतुल्यकालिक इंटरनेट संचार टेक्नालजी" को उच्च्तर अधय्यन में शामिल करने से समकालिक, स्वतंत्र तथा सहयोगी शिक्षात्मक अनुभव मिलता है। इस संस्थापन का विद्यार्थियों के शिक्षात्मक रवैया, संतोष तथा सफलता में प्रमुख योगदान है। सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा अध्यापक और छात्र के बीच संचार बेहतर हो जाता है। छात्र अपनी शिक्षा की समझ का गुणात्मक तथा मात्रत्मक मूल्यांकन कंप्यूटर आधारित अंदाज़ में करते हैं।
5. अवगुण
ब्लेंडेड शिक्षा तकनीकी साधनों पर निर्भर है। इस शिक्षा का सार्थक असर होने के लिए यह साधन विश्वसनीय और अद्यतन होने चाहिए। इनका प्रयोग आसान होना चाहिए। IT literacy can serve as a significant barrier for students attempting to get access to the course materials, making the availability of high-quality technical support paramount.
कहा गया है कि व्याख्यान अभिलेख तकनीक छात्रों को अक्सर पढ़ाई में पीछा छोड़ देता है। एक शोध अध्ययन में यह जानकारी पाई गयी कि चार विश्वविद्यालयों के सिर्फ़ आधे छात्र व्याख्यान के वीडियो देखते हैं। असल में 40% विद्यार्थी एक ही बार में सारे वीडियोस देखते थे।
e-content and e- books ईविषय वस्तु एवं ईपुस्तकें
ई-पुस्तक (इलैक्ट्रॉनिक पुस्तक) का अर्थ है डिजिटल रूप में पुस्तक। ई-पुस्तकें कागज की बजाय डिजिटल संचिका के रूप में होती हैं जिन्हें कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य डिजिटल यंत्रों पर पढ़ा जा सकता है। इन्हें इण्टरनेट पर भी छापा, बाँटा या पढ़ा जा सकता है। ये पुस्तकें कई फाइल फॉर्मेट में होती हैं जिनमें पी॰डी॰ऍफ॰ (पोर्टेबल डॉक्यूमेण्ट फॉर्मेट), ऍक्सपीऍस आदि शामिल हैं, इनमें पी॰डी॰ऍफ॰ सर्वाधिक प्रचलित फॉर्मेट है। जल्द ही पारंपरिक किताबों और पुस्तकालयों के स्थान पर सुप्रसिद्ध उपन्यासों और पुस्तकों के नए रूप जैसे ऑडियो पुस्तकें, मोबाइल टेलीफोन पुस्तकें, ई-पुस्तकें आदि उपलब्ध होंगी। ई-बुक रीडर
ई-पुस्तको को पढ़ने के लिए कम्प्यूटर (अथवा मोबाइल) पर एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है जिसे ई-पुस्तक पाठक (eBook Reader) कहते हैं। पीडीऍफ ई-पुस्तकों के लिए ऍडॉब रीडर तथा फॉक्सिट रीडर नामक दो प्रसिद्ध पाठक हैं। इनमें से ऍडॉब तो पी॰डी॰ऍफ॰ फॉर्मेट की निर्माता कम्पनी ऍ़डॉब वालों का है, ये आकार में काफी बड़ा है तथा पुराने सिस्टमों पर काफी धीमा चलता है, फॉक्सिट रीडर इसका एक मुफ्त एवं हल्का-फुल्का विकल्प है।
ई-पुस्तक रीडर उपकरण
ई-पुस्तकों को पढ़ने हेतु अब कुछ हार्डवेयर उपकरण अलग से भी उपलब्ध हैं। इनमें अमेजन.कॉम का किण्डल तथा "ऍप्पल इंक" का आइपैड शामिल है।
"पाइ" ऐसा एक अन्य उपकरण है। आकार में यह १८८ मि.मी. ऊंचा और ११८ मि.मी. चौड़ा होता है।[3]इसमें एसडी कॉर्ड और मिनी यू॰एस॰बी॰ स्लॉट भी उपलब्ध होते है। इसकी मैमोरी ५१२ एमबी के लगभग होती है व इसमें ४ जीबी एसडी कार्ड लग सकता है। रैम मैमोरी ६४ एमबी। इसके अतिरिक्त इसमें कंप्यूटर गेम्स की भी सुविधा हो सकती है। बहुत सी नवीन पुस्तकों सहित कई अन्य पुरानी किताबें भी इसमें ऑनलाइन माध्यम से स्टोर कर सकते हैं। इसमें कई भाषाओं में पढ़ने की सुविधा भी उपलब्ध होती है। मोबाइल के लिए ऍडॉब रीडर लाइट नामक पाठक उपलब्ध है।
यह युक्ति प्रयोग में अत्यंत सरल व भार में १८० ग्राम की कई पत्रिकाओं से भी हल्की होती है। इसका छह इंच ई-इंक विजप्लैक्स स्क्रीन होता है। इसमें टाइपफेस का आकार भी चुना जा सकता है, जिससे चार विभिन्न आकारों के फॉन्ट पढ़ने के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। कोई पंक्ति बीच में से खोजने के लिए भी सुविधा है और बुकमार्क भी भी होते हैं, जिनसे पेज आसानी से उलटने-पलटने की सुविधा रहती है। इसकी बैटरी लाइफ भी अच्छी होती है जिससे बिना रीचार्ज किए कुछ दिनों तक पढ़ना जारी रख सकते हैं। सामान्यतः इसे चार घंटे तक चार्ज करना होता है।
ई-पुस्तक बनाना
ई-पुस्तक बनाने के दो तरीके हैं।
- कम्प्यूटर पर टाइप की गई सामग्री को विभिन्न सॉफ्टवेयरों के द्वारा ई-पुस्तक रूप में बदला जा सकता है।
- छपी हुई सामग्री को स्कैनर के द्वारा डिजिटल रूप में परिवर्तित करके उसे ई-पुस्तक का रूप दिया जा सकता है।
ई-पुस्तक हेतु सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रचलित फॉर्मेट पीडीऍफ फाइल है।
ई-बुक के लाभ (Benefit Of Ebook)
ई-बुक के द्वारा पैसों की बचत होती है, यह साधारण किताबों से सस्ती होती है| इसे इंटरनेट के द्वारा डाउनलोड किया जा सकता है | इसको खरीदने के लिए किसी मार्केट में नहीं जाना पड़ता है|
पुस्तकों को लाने- ले जाने की समस्या का समाधान (Solving The Problem Of Carrying Books)
ई-बुक को साधारण पुस्तकों की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना नहीं पड़ता है| यह ऑनलाइन उपलब्ध रहती है आप इन्हें अपने मोबाइल, लैपटॉप या अन्य डिवाइस में स्टोर कर सकते है| जिससे इसको अलग से लाना और ले जाना नहीं होता है|
प्रिंटिंग का खर्च (Printing Expences)
ई-बुक को प्रिंट नहीं करना पड़ता है, जिससे प्रिंटिंग का खर्च नहीं आता है| प्रिंटिंग न करने से कागज और प्रिंटिंग की स्याही की बचत की जाती है|
हानि (Loss)
ई-बुक को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर ही यूज किया जा सकता है, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अधिक यूज करने से आँखों को बहुत ही नुकसान होता है, कई बार आँखों में लाल और सूजन की शिकायत भी आने लगती है|
ई-बुक का उपयोग (Uses Of Ebook)
ई-बुक का उपयोग मोबाइल, लैपटॉप या अन्य डिवाइस के द्वारा उपयोग किया जाता है, इसको कही भी किसी भी स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है |
Unit V
i. ICT and curriculum enrichment आईसीटी एवं पाठ्यक्रम संवर्धन –
Child centered curriculum बाल-केन्द्रित पाठ्यक्रम
बाल केन्द्रित शिक्षा ( Child-centered education ) :
प्राचीन काल में शिक्षा का उदेश्य केवल बालको को कुध ज्ञान याद कराना होता था । वह शिक्षा बच्चो के मस्तिष्क में कुध जानकारियॉ भर देती थी । लेकिन आधुनिक शिक्षा में बालक को केन्द्र में रखकर प्रत्येक कार्य – योजना बनाई जाती है । वर्तमान समय में बालक के सर्वागींण विकास पर बल दिया जाता है । बालक के र्सवगींण किकास में बच्चे का शारीरिक विकास सामाजिक विकास मानसिक विकास , संवेगात्मक विकास आदि सभी पक्ष शामिल होते है ।
अतः अध्यापको के लिए शिक्षा मनोविज्ञान को जानना अत्यंत आवश्यक हो जाता है । क्योंकि बिना मनोविज्ञान की जानकारी के अध्यापक बालक को न तो समझ पाएगा और न ही उसके विकास में योगदान दे पाएगा । इस प्रकार बालक मनोविज्ञान को समझते हुए बालकों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करने की आधुनिक व्यवस्था को बाल केंद्रित शिक्षा कहा जाता है भारतीय शिक्षाविद् गिजु भाई की बाल केंद्रित शिक्षा के क्षेत्र मैं विशेष एवं उल्लेखनीय भूमिका रही है बाल केंद्रित शिक्षा को समझने में उन्होंने कई पुस्तके लिखी है । और उनके कई लेख भी पत्रिकाओं आदि में छपे हुए हैं गिजु भाई का साहित्य बाल मनोविज्ञान, शिक्षा शास्त्र एवं किशोर साहित्य से संबंधित है ।
आधुनिक शिक्षा पद्धति बाल केंद्रित है आज यदि हम निजी विद्यालय विद्यालय की बात करें तो पाते हैं कि बच्चों के अनुसार शिक्षकों को नियुक्त किया जाता है अर्थात जो अध्यापक बच्चो को उचित पद्धतियों का प्रयोग करके शिक्षण कराता है बालक उन्हें अध्यापको को पसंद करते है । इस व्यवस्था में प्रत्येक बालक की ओर अलग से ध्यान दिया जाता है पिछड़े हुए और मंद बुद्धि वाले बालकों को शिक्षा के अलग-अलग पाठ्यक्रम दिए जाने की व्यवस्था की गई है । व्यवहारिक मनोविज्ञान में व्यक्तियों की परस्पर विभिन्नताओं पर प्रकाश डाला जाता है जिससे यह संभव हो पाया है कि शिक्षक हर एक विद्यार्थी की विशेषताओं पर ध्यान दे व उनके लिए प्रबंध करे ।
आज की शिक्षा को केवल शिक्षा व शिक्षा पद्धति के बारे में ही नहीं बल्कि विद्यार्थियों के बारे में भी जानना होता है क्योंकि आधुनिक शिक्षा विषय प्रधान या अध्यापक प्रधान न होकर बाल प्रधान अथवा बाल केंद्रित है यहां यह महत्व का विषय है कि बालक के व्यक्तित्व का कहां तक विकास हुआ है ? इसलिए हमें शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान होना अति: आवश्यक होता है ।

बालकेंद्रित शिक्षा की विशेषताएँ
( Features of child-centered education )
बाल केंद्रित शिक्षा का अर्थ शिक्षण की संपूर्ण कार्य योजना बालक के चारो ओर रहनी चाहिए अर्थात कोई भी निर्णय शिक्षा से संबंधित लिया जाता है । तो वह बालक को केंद्र मानकर किया जाना चाहिए अतः बाल केंद्रित शिक्षा की मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं ।
- बालकों का ज्ञान ( Knowledge of children ) : किसी भी क्षेत्र में अध्यापकों को सफल होने के लिए बाल मनोविज्ञान का ज्ञान अवश्य होना चाहिए ! इसके अभाव में ना तो बालकों की विशेषताओं को ही समझा जा सकता है और ना ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा । बालक के संबंध में शिक्षक को बालको के व्यवहार के मूल आधारों आवश्यकताओं मानसिक स्तर, रुचियों योग्यताओं वह व्यक्तित व्यक्तित्व इत्यादि का व्यापक ज्ञान अवश्य होना चाहिए । और व्यवहार के मूल आधारों का ज्ञान तो अत्यंत आवश्यक होता है । क्योंकि शिक्षा उद्देश्य की ही बालक के व्यवहार को विशुद्ध बनाना होता है । जब तक बालक के व्यवहार को विशुद्ध अथवा परिमार्जित नहीं किया जाएगा तब तक शिक्षा का उद्देश्य पूरा नहीं किया जा सकता है । विद्यालय में पिछड़े हुए व समस्याग्रस्त विद्यार्थियों की कमी नहीं है । उनमें से अधिकतर बालक जैसे – सड़कों बल्वो का फोड़ना, स्कूल से भाग जाना , अपने बड़ों का सम्मान ना करना, आवारागर्दी करते हैं, अपने मोहल्ले में आस पड़ोस के बालको को पीटते है । अगर मनोविज्ञान के अभाव में एक अध्यापक इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास करता है । तो वह सफल नहीं हो पाएगा। लेकिन इन बालको को समझने वाला शिक्षक यह जानता होता है कि इन दोषों का मूल उनकी शारीरिक सामाजिक मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं में ही कहीं न कहीं है । मनोविज्ञान अध्यापक को बालको के वैयक्तिक भिन्नताओं से परिचित कराता है । और यह बताता है । कि उनमें स्वभाव रुचि व बुद्धि आदि के आधार पर भिनता होती है अतः एक कुशल शिक्षक मन्द बुद्धि सामान्य बुद्धि व तीव्र बुद्धि वाले विद्यार्थियों में अन्तर करके उन्हें उनकी योग्यताओं के अनुसार शिक्षा देता है अतः शिक्षकों को बाल मनोविज्ञान की जानकारी अवश्य होनी होनी चाहिए ।
- पाठ्यक्रम – विधालय में किसी भी कक्षा का क्याक्रम वैयकितक भिन्नताओं , प्रेरणाओं, मूल्यो व सीखने के सिद्धांतो के मनोविज्ञान के ज्ञान के आधार पर बनाया जाना चाहिए । पाठ्मक्रम को बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि विधार्थी व समाज की क्या आवश्यकताएँ होती है । और कौन – कौन सी पद्धतियो के द्वारा इन्हे आसानी से सीखा जा सकता है ।
- मूल्याकन व परीक्षण : अध्यापक द्वारा केवल शिक्षण मात्र से ही शिक्षा के क्षेत्र की समस्माएँ समाप्त नहीं हो जाती है । शिक्षण के पश्चात बालको कहां मूल्यांकन व परीक्षण भी अत्यंत आवश्यक होता है । मूल्यांकन से यह पता लगाया जा सकता है की विद्यार्थी ने कितना अधिगम किया है । क्योंकि शिक्षा की प्रक्रिया में अध्यापक व विद्यार्थी के लिए अत्यंत आवश्यक है । अध्यापक के अलावा मूल्यांकन का कार्य अन्य लोग भी करते है । और स्वयं द्वारा भी किया जाता है । सभी प्रकार की मूल्यांकन विधियां मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होती है । बाल केंद्रित शिक्षा में बालक के मूल्यांकन के लिए बाल मनोविज्ञान का सहारा लिया जाता है ।
- शिक्षण विधि ( Teaching method) : शिक्षा शास्त्र का शिक्षक के लिए विशेष महत्व होता है। क्योंकि एक अध्यापक को शिक्षाशास्त्र ही यह बतलाता है कि बालकों को क्या पढ़ाया जाए ? कैसे ? किस विधि के द्वारा शिक्षण कराया जाए ? वैसे सबसे बड़ी समस्या वही होती है कि विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाया जाए ? बाल मनोविज्ञान द्वारा ही अध्यापक को उपयोगी शिक्षण विधि आ सकती है । उसे पता चलता है कि किस प्रकार के बालक को कैसे किस विधि से बढ़ाया जाए ?
लर्नर-केंद्रित पाठ्यक्रम डिजाइन
इसके विपरीत, शिक्षार्थी केंद्रित पाठ्यक्रम डिजाइन प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों, रुचियों और लक्ष्यों को ध्यान में रखता है। दूसरे शब्दों में, यह स्वीकार करता है कि छात्र एक समान नहीं हैं और उन छात्रों की ज़रूरतों को समायोजित करते हैं। शिक्षार्थी केंद्रित पाठ्यक्रम डिजाइन शिक्षार्थियों को सशक्त बनाने और उन्हें विकल्पों के माध्यम से अपनी शिक्षा को आकार देने की अनुमति देने के लिए है।
शिक्षार्थी केंद्रित पाठ्यक्रम में अनुदेशात्मक योजनाएँ विभेदित होती हैं , जिससे छात्रों को असाइनमेंट, सीखने के अनुभव या गतिविधियों को चुनने का अवसर मिलता है। यह छात्रों को प्रेरित कर सकता है और उन्हें उस सामग्री में लगे रहने में मदद कर सकता है जो वे सीख रहे हैं।
पाठ्यक्रम डिजाइन के इस रूप में दोष यह है कि यह श्रम-गहन है। विभेदित निर्देशन विकसित करना शिक्षक पर निर्देश बनाने और / या ऐसी सामग्री खोजने का दबाव डालता है जो प्रत्येक छात्र की सीखने की जरूरतों के अनुकूल हो। शिक्षकों के पास इस तरह की योजना बनाने के लिए समय या अनुभव या कौशल की कमी नहीं हो सकती है। शिक्षार्थी केंद्रित पाठ्यक्रम डिजाइन के लिए यह भी आवश्यक है कि शिक्षक छात्र की जरूरतों और आवश्यक परिणामों के साथ छात्र संतुलन और रुचि चाहते हैं, जो प्राप्त करने के लिए एक आसान संतुलन नहीं है।
पाठ्यक्रम डिजाइन युक्तियाँ
- पाठ्यक्रम डिजाइन प्रक्रिया में जल्द ही हितधारकों (यानी, छात्रों) की जरूरतों को पहचानें । यह जरूरतों के विश्लेषण के माध्यम से किया जा सकता है, जिसमें सीखने वाले से संबंधित डेटा का संग्रह और विश्लेषण शामिल है। इस डेटा में वे शिक्षार्थी शामिल हो सकते हैं जो पहले से ही जानते हैं और किसी विशेष क्षेत्र या कौशल में कुशल होने के लिए उन्हें क्या जानने की आवश्यकता है। इसमें शिक्षार्थी धारणाओं, शक्तियों और कमजोरियों के बारे में जानकारी भी शामिल हो सकती है।
- सीखने के लक्ष्यों और परिणामों की एक स्पष्ट सूची बनाएँ । यह आपको पाठ्यक्रम के इच्छित उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा और आपको निर्देश की योजना बनाने की अनुमति दे सकता है जो वांछित परिणाम प्राप्त कर सकता है। सीखना लक्ष्य वे चीजें हैं जो शिक्षक चाहते हैं कि छात्र पाठ्यक्रम में प्राप्त करें। सीखने के परिणाम मापने योग्य ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण हैं जो छात्रों को पाठ्यक्रम में हासिल करने चाहिए।
- उन बाधाओं की पहचान करें जो आपके पाठ्यक्रम डिजाइन को प्रभावित करेंगे। उदाहरण के लिए, समय एक सामान्य बाधा है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। कार्यकाल में केवल इतने ही घंटे, दिन, सप्ताह या महीने हैं। यदि योजना के सभी निर्देशों को वितरित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है, तो यह सीखने के परिणामों को प्रभावित करेगा।
- पाठ्यक्रम मानचित्र (जिसे पाठ्यक्रम मैट्रिक्स के रूप में भी जाना जाता है) बनाने पर विचार करें ताकि आप निर्देश के अनुक्रम और सुसंगतता का ठीक से मूल्यांकन कर सकें। पाठ्यक्रम मानचित्रण एक पाठ्यक्रम के दृश्य आरेख या अनुक्रमित प्रदान करता है। पाठ्यक्रम के दृश्य प्रतिनिधित्व का विश्लेषण करना निर्देश के अनुक्रमण में संभावित अंतराल, अतिरेक या संरेखण मुद्दों को जल्दी और आसानी से पहचानने का एक अच्छा तरीका है। पाठ्यक्रम के नक्शे कागज पर या सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई ऑनलाइन सेवाओं के साथ बनाए जा सकते हैं।
- पूरे पाठ्यक्रम में उपयोग किए जाने वाले अनुदेशात्मक तरीकों को पहचानें और विचार करें कि वे छात्र सीखने की शैलियों के साथ कैसे काम करेंगे। यदि निर्देशात्मक तरीके पाठ्यक्रम के अनुकूल नहीं हैं, तो निर्देशात्मक डिजाइन या पाठ्यक्रम डिजाइन को तदनुसार बदलना होगा।
- शिक्षार्थियों, प्रशिक्षकों और पाठ्यक्रम का आकलन करने के लिए स्कूल के वर्ष के दौरान और अंत में उपयोग किए जाने वाले मूल्यांकन विधियों की स्थापना करें । पाठ्यक्रम डिजाइन काम कर रहा है या यदि यह विफल हो रहा है तो मूल्यांकन आपको निर्धारित करने में मदद करेगा। जिन चीजों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए, उनमें पाठ्यक्रम की ताकत और कमजोरियां और सीखने के परिणामों से संबंधित उपलब्धि दर शामिल हैं। सबसे प्रभावी मूल्यांकन चल और योगात्मक है।
- याद रखें कि पाठ्यक्रम डिजाइन एक-चरणीय प्रक्रिया नहीं है ; निरंतर सुधार एक आवश्यकता है। पाठ्यक्रम के डिजाइन का आकलन समय-समय पर किया जाना चाहिए और मूल्यांकन डेटा के आधार पर परिष्कृत किया जाना चाहिए। इसमें पाठ्यक्रम के माध्यम से डिजाइन भाग में परिवर्तन करना शामिल हो सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पाठ्यक्रम के अंत में सीखने के परिणाम या प्रवीणता का एक निश्चित स्तर प्राप्त किया जाएगा।
बाल केन्द्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम का स्वरुप
बाल केन्द्रित शिक्षा के पाठ्यक्रम में बालक को शिक्षा प्रक्रिया का केंद्रबिंदु माना जाता है. बालक की रुचियों, आवश्यकताओं एवं योग्यताओं के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार किया जाता है. बाल-केन्द्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम का स्वरुप निम्नलिखित होना चाहिए:
- पाठ्यक्रम जीवनोपयोगी होना चाहिए
- पाठ्यक्रम पूर्वज्ञान पर आधारित होना चाहिए
- पाठ्यक्रम बालकों की रूचि के अनुसार होना चाहिए
- पाठ्यक्रम लचीला होना चाहिए
- पाठ्यक्रम वातावरण के अनुसार होना चाहिए
- पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय भावनाओं को विकसित करने वाला होना चाहिए
- पाठ्यक्रम समाज की आवशयकता के अनुसार होना चाहिए
- पाठ्यक्रम बालकों के मानसिक स्तर के अनुसार होना चाहिए
- पाठ्यक्रम में व्यक्तिगत भिन्नता को ध्यान में रखा जाना चाहिए
- पाठ्यक्रम शैक्षिक उद्देश्य के अनुसार होना चाहिए
learning activities based on communication technologies संप्रेषण तकनीकी पर आधारित अधिगम गतिविधियां
Web based resources वेब आधारित संसाधन
Web-based learning resources (WBLRs) are potentially powerful tools for enhancing teaching
and learning processes in school education. They can provide teachers and learners with a wide
range of new and exciting experiences that are not possible in a traditional classroom. However,
WBLRs are still the domain of technical and software experts rather than teachers and learners.
The potential added value of Web-based learning (or similar designations, such as “virtual learning”, “technology-based learning”, or “online learning”) compared to teacher- and textbook-based
instruction lies in helping learners to acquire the right knowledge and skills in order to function as
active, self-reflected, and collaborative learners (Govindasamy, 2002; Hamid, 2002). However,
this cannot be realized without a change from learning environments in which the teacher and the
textbook structure the learning process, towards learning environments in which the students
themselves control, under the guidance of the teacher, the order in which they learn and perform
activities based on their needs (Erstad, 2006; Wilson, 1998). Web-based learning resources
(WBLRs) have the potential to support a learning environment in which students explore knowledge and enhance their learning (Combes & Valli, 2007). To realize this, the development of
WBLRs needs to be user-centered. User-centered design is an approach that puts the intended
users of WBLRs at the centre of its design and development (Winograd, 1996). In school education, students are considered as the most important users of WBLRs, in addition to teachers as
guides and facilitators of learning.
The Concept of WBLR
A closer look at the research literature shows that the concept of WBLR is similar to the term
“Web-based learning tools”, also referred to as “learning objects”, found in Kay and Knaak,
(2005, 2008) and Kay, Knaak, and Petrarca (2009). The term is defined as “interactive Webbased tools that support learning by enhancing, amplifying, and guiding the cognitive processes
of learners.” Moreover, WBLRs include the main features of the term “Web-based learning application” that is defined by Liu & LaMont Johnson (2005) as instructional content or activity
delivered through the Web that teaches a focused concept, meets specific learning objectives,
provides a learner-centered context, and is an individual and reusable piece. Accordingly, the
concept of WBLR can be defined as a learning object or Web-based learning tool with four major
features:
a) It uses Web technologies and is delivered through the Web
b) It teaches content that meets specific learning objectives aligned with the curriculum
c) It is designed on the basis of a learning strategy and pedagogical procedure
d) It contains reusable elements
From a technological point of view, WBLRs use Web technologies and Internet services as the
delivery mode, that is to say HTML, URL, browsers, e-mail, file transfer facilities, etc. In addition to scripting languages, such as PHP and JavaScript, WBLRs incorporate multimedia elements, such as animations, video and audio clips, images, graphics, and those developed with
multimedia authoring software, such as Authorware, Micromedia Flash, and Hot Potatoes. From a
pedagogical point of view, WBLRs are embedded within a learning strategy linked to the cognitivist, constructivist, or collaborative learning paradigm or a combination of them (Martinidale,
Cates, & Qian, 2005). Hence, WBLRs are associated with pedagogical values that potentially affect teaching and learning processes in school education. From the content point of view, WBLRs
Hadjerrouit
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are computer-based implementations of a specific subject that is normally aligned with a given
curriculum in school education. WBLRs can be created to support different topics of a given subject, as well as learning material in a number of subject areas at all levels in school education.
Summarizing, the core of WBLRs is the integration of content, technology, and pedagogy into a
system that supports learning. With other words, WBLRs exist at the intersection of content, pedagogy, and technology (Figure 1).
Finally, WBLRs need to be reusable in order to satisfy the user’ needs (Johnson & Hall, 2007).
Reusability is useful for learning school subjects in different educational settings. It assumes that
elements of WBLRs can be found to fit into another or new lesson (Strijker & Collis, 2007). Reusability also assumes that a given lesson or course will find WBLRs or elements of them from
many online resources or throughout a database repository.
ii. Diversity of study material अध्ययन सामग्री की विभिन्नता
विविधता और स्थिरता का सम्मान
सलाह:- इंगित करें कि अध्ययन सामग्री की सामग्री विकल्पों , प्रवृत्तियों और शोध का परिणाम है ।
- यदि संभव हो, तो उदाहरण, चित्र, अनुप्रयोग या अध्ययन की तलाश में समाज की विविधता दिखाएं जो इस विविधता को दर्शाते हैं (लिंग, त्वचा का रंग, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, पृष्ठभूमि, यौन अभिविन्यास, शारीरिक और मानसिक क्षमताएं, धर्म, विचारधारा, आयु, आदि) ।) अध्ययन सामग्री के माध्यम से छात्रों को विविध दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करें।
- अध्ययन सामग्री को भाषा और लागत मूल्य के संदर्भ में सुलभ बनाएं और रूढ़ियों और सामान्यीकरण से बचें। उदाहरण के लिए, छात्रों को एक ऐसी हैंडबुक खरीदने से बचें, जिसमें केवल 20 प्रतिशत सामग्री का उपयोग पाठ्यक्रम इकाई में किया जाता है।
- दो तरफा प्रिंट करें।
- अपने सिलेबस को संक्षिप्त रखें ।
- विचार करें कि कौन - सी अतिरिक्त जानकारी —जैसे उदाहरण, दृष्टांत, दस्तावेज़ीकरण आदि—की स्पष्ट और सहायक भूमिका है।
- उपशीर्षक वाले मध्यवर्ती पृष्ठों (खाली) से बचें । छात्रों को सामग्री की एक अच्छी तरह से संरचित तालिका और एक सही पृष्ठ संदर्भ की आवश्यकता होती है।
- यदि संभव हो, तो आप अपने दैनिक जीवन और दुनिया के अन्य देशों/लोगों/संस्कृतियों के बीच संबंध स्थापित कर सकते हैं।
- सुनिश्चित करें कि आपकी अध्ययन सामग्री विकलांग छात्रों के लिए सुलभ है । इसलिए, जितनी जल्दी हो सके, केयर कोऑर्डिनेटर को अपनी अध्ययन सामग्री को डिजिटल संस्करण में वितरित करें। विकलांग छात्र (जैसे दृश्य हानि या पढ़ने की समस्या) स्प्रिंट+ जैसे क्षतिपूर्ति सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं। इसलिए, डिजिटल पाठ्यक्रम में फ़ोटो और छवियों की सेटिंग में हमेशा स्पष्ट ' वैकल्पिक टेक्स्ट ' जोड़ें । चित्र में क्या देखा जा सकता है यह इंगित करने के लिए स्क्रीन पाठक इस पाठ को पढ़ते हैं
- तर्क:
विविधता के लिए सभी संभव के बारे में है मतभेद है कि जो लोग समाज में साथ रहते हैं के बीच मौजूद हो सकता है लिंग, त्वचा का रंग, सामाजिक पृष्ठभूमि, यौन अभिविन्यास, शारीरिक और मानसिक क्षमताओं, धर्म, विचारधारा, उम्र, जातीयता, आदि के संदर्भ में,। Artevelde यूनिवर्सिटी कॉलेज हर संभव तरीके में और अधिक सुलभ हो जाते हैं और करना है देना हर किसी के लिए सबसे अच्छा संभव के अवसर, कितना भी अलग क्यों न हो। साथ ही, आर्टेवेल्डे यूनिवर्सिटी कॉलेज इस विश्वास के आधार पर इस सामाजिक विविधता का इष्टतम उपयोग करना चाहता है कि विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग सामाजिक जीवन में एक अमूल्य योगदान देते हैं। पढ़ाई भी महंगी है। कई परिवारों को अपने बच्चों को अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्यक्रम का लागत मूल्य अनावश्यक रूप से न बढ़ाया जाए ।
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Respect for Diversity and Sustainability
Advice:- Indicate that the content of the study material is the result of choices, tendencies and research.
- If possible, show the diversity of society by looking for examples, images, applications or studies which reflect this diversity (gender, skin colour, socio-economic status, background, sexual orientation, physical and mental capabilities, religion, ideology, age, etc.). Try to encourage students to take diverse points of view through the study material.
- Make the study material accessible in terms of language and cost price and avoid stereotypes and generalisations. For example, avoid students having to purchase a handbook of which only 20 percent of the content is used in the course unit.
- Print double-sided.
- Keep your syllabuses concise.
- Consider which additional information—such as examples, illustrations, documentation, etc.—has a clarifying and supporting role.
- Avoid (empty) intermediate pages with subheadings. Students need a well-structured table of contents and a correct page reference.
- If possible, you can establish links between the own daily life and other countries/people/cultures of the world.
- Make sure that your study material is accessible to students with a disability. Therefore, deliver your study material in a digital version to the care coordinator as soon as possible. Students with a disability (e.g. visual impairment or reading problems) can use compensating software such as Sprint+. Therefore, always add clear 'alternative text' to the settings of photos and images in a digital syllabus. Screen readers read this text to indicate what can be seen in the picture
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Argumentation: Diversity is about all possible differences in terms of gender, skin colour, social background, sexual orientation, physical and mental capabilities, religion, ideology, age, ethnicity, etc., that may exist between people who live together in society. Artevelde University College aims to become more accessible in all possible ways and to give the best possible opportunities to everyone, no matter how different. Also, Artevelde University College wants to make optimal use of this social diversity, based on the conviction that people from different backgrounds make an invaluable contribution to social life. Studying is also expensive. Many families have to make extra efforts to allow their children to continue their studies. We must therefore ensure that the cost price of the programme is not unnecessarily increased.
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Continuous updating of curriculum पाठ्यक्रम का सतत अद्यतीकरण
easy access
सरल अभिगम्यता
Educational administration is an area of overlap between education and management. While school administration is more or less looked after, there is a lack of attention given to the need of the educational system for information. This is a curious situation, as in my view educational administration is by definition mostly information processing: getting messages, processing them, reacting to them, getting feedback again and so shaping behaviour. The prevailing situation is that every educational unit — whether at the national, regional, local or individual school level — is ‘an island’ of hardware purchase, programming activities and data collection. Each unit has a separate data bank without communicating much with the others; so a great deal of redundant activity ensues. The central bodies, even in a centralised system, require cooperation and only give help in specific projects. In these circumstances what is required is an integrated management information system (MIS). This is easier said than done, and the more complicated the system, the more difficult it is to devise and maintain.
शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली (EMIS)
शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली एक ऐसा मंच है जो शैक्षणिक संस्थानों को एक ही स्थान पर अपने डेटा या सूचना का प्रबंधन करने देता है। यह प्रणाली एक डेटा भंडार का कार्य करती है जहां संस्थान डेटा एकत्र कर सकता है, स्टोर कर सकता है और विश्लेषण कर सकता है, विभिन्न रिपोर्ट भी बना सकता है जो उन्हें वास्तविक समय में संस्थान के विकास और छात्रों की शैक्षणिक प्रगति की निगरानी करने में मदद करता है।
शिक्षा में एक आदर्श एमआईएस न केवल पेरोल प्रबंधन, शुल्क प्रबंधन, परिवहन प्रबंधन, उपस्थिति डेटा जैसे शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों के प्रबंधन में मदद करता है, बल्कि इसमें सीखने की प्रबंधन सुविधाएँ भी शामिल हैं जो छात्रों के लिए आभासी सीखने की जगह प्रदान करती हैं।
शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली का उपयोग स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बहुत अधिक अनुकूलन के साथ या बिना किया जा सकता है। यह संभावना ईएमआईएस को बहुमुखी और किसी भी प्रकार के शैक्षणिक संस्थान में लागू करने में आसान बनाती है, चाहे छात्र संख्या कितनी भी हो।
ईएमआईएस को समूह-स्तर पर भी लागू किया जा सकता है यदि संगठन के पास कई संस्थान हैं जो उनके अधीन काम कर रहे हैं और यहां तक कि राज्य या जिले के हजारों स्कूलों और कॉलेजों के लिए सरकारी स्तर पर भी। सरकारें सभी स्कूलों के संचालन को सुव्यवस्थित करने और निर्णय लेने के लिए सभी स्कूलों से लाइव डेटा एकत्र करने के लिए शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली के प्रमुख कार्यान्वयनकर्ता हैं।
Education Management Information System(EMIS)
An education management information system is a platform which let educational institutes to manage their data or information at a single place. This system act a data repository where institution can gather, store, and analyse the data, also create various reports which them help in monitor the institution growth & students academic progress in a real-time.
An ideal MIS in education not only help in managing the academic and administrative operations such as payroll management, fee management, transportation management, attendance data but also include learning management features which provide virtual learning space for students.
The education management information system can be used in schools, colleges, and universities with or without much customization. This possibility makes EMIS versatile and easy to implement in any kind of educational institution irrespective of the student strength.
EMIS can be also implemented at group-level in case the organisation has multiple institutions operating under them and even at government level for thousands of schools and colleges under the state or district. Governments are the major implementer s of education management information systems to streamline the operations of all schools under and also to gather live data from all schools for decision making.
आधुनिक शिक्षण संस्थानों में प्रबंधन सूचना प्रणाली का उपयोग क्यों करें?
शैक्षणिक संस्थान ईएमआईएस सॉफ्टवेयर से काफी लाभ प्राप्त करते हैं। एक ही स्थान पर सभी परिचालन डेटा की उपलब्धता शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली को प्रबंधन से संबंधित सभी निर्णय लेने के लिए उपकरण बनाती है। निर्णय लेने के साथ, ईएमआईएस सॉफ्टवेयर शैक्षणिक संस्थान के अन्य सभी परिचालन पहलुओं में मदद करता है जो नीचे सूचीबद्ध है:
ईएमआईएस के साथ शिक्षकों को छात्रों की शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में माता-पिता को त्वरित संचार भेजने का सही उपकरण मिला। यह टूल माता-पिता को शिक्षकों को तत्काल प्रतिक्रिया साझा करने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है।
अधिकांश स्कूलों और कॉलेजों के लिए शुल्क संग्रह से होने वाली आय आय का मुख्य स्रोत है। इसलिए शुल्क सृजन को प्रबंधित करने और संग्रह को स्वचालित करने के लिए सॉफ्टवेयर का होना महत्वपूर्ण है । आगामी शुल्क देय तिथियों के बारे में माता-पिता को नियमित रूप से अलर्ट भेजकर और भुगतान गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन शुल्क एकत्र करके, ईएमआईएस शैक्षणिक संस्थानों के संचालन में रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करता है।
- प्रवेश और पूछताछ सूचना प्रबंधन
स्कूलों और कॉलेजों के लिए यह प्राथमिक है कि वे साल दर साल प्रवेश की मात्रा को बनाए रखें या बढ़ाएं। संख्या से अधिक, संस्थान के शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रवेश की गुणवत्ता भी मायने रखती है। इसे EMIS सॉफ्टवेयर का उपयोग करके सरल और स्वचालित किया जा सकता है। प्रवेश के साथ-साथ, यह पूछताछ प्रबंधन में मदद कर सकता है जो प्रवेश के मौसम की परवाह किए बिना पूरे वर्ष होता है।
परीक्षाएं अकादमिक गतिविधियों का मूल हैं। प्रबंधन सूचना प्रणाली शिक्षकों के न्यूनतम प्रयास के साथ ऑनलाइन परीक्षाओं और परिणामों को प्रकाशित करके इस प्रक्रिया को स्वचालित करती है। सृजित ग्रेड पुस्तकें समीक्षा और प्रतिक्रिया के लिए माता-पिता को साझा की जाएंगी।
छात्रों से संबंधित सभी जानकारी शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता के लिए उंगलियों पर उपलब्ध होगी। इसमें अकादमिक प्रदर्शन का ऐतिहासिक डेटा, उपस्थिति डेटा, शुल्क भुगतान डेटा, अनुशासनात्मक डेटा इत्यादि जैसी विभिन्न जानकारी शामिल है। साथ ही, छात्रों के बारे में विभिन्न रिपोर्ट छात्र सूचना डैशबोर्ड पर उपलब्ध होंगी।
विभिन्न कक्षाओं में कक्षाओं और परीक्षाओं के संचालन के संबंध में सभी कार्यक्रम ईएमआईएस द्वारा कक्षा समय सारिणी, शिक्षक समय सारिणी और संस्थान समय सारिणी के रूप में प्रदान किए जाएंगे। दिन और सप्ताह की योजना बनाने के लिए इन्हें मोबाइल ऐप या वेब डैशबोर्ड से प्रिंट आउट या सीधे एक्सेस किया जा सकता है।
मानव संसाधन प्रबंधन मॉड्यूल EMIS के साथ उपलब्ध शिक्षकों और अन्य शिक्षकों की वेतन और छुट्टी डेटा का ख्याल रखता है। यह शिक्षकों और फैकल्टी को छुट्टियों और एक्सेस पेस्लिप के लिए आवेदन करने के लिए एक ही स्थान प्रदान करता है।
ईएमआईएस शिक्षकों को छात्रों और अभिभावकों को पाठ योजनाओं को पहले से साझा करने और छात्रों से असाइनमेंट स्वीकार करने के लिए मॉड्यूल प्रदान करता है। इस प्रकार के मॉड्यूल के साथ, ईएमआईएस सीखने की गतिविधियों के लिए भी एक रीढ़ प्रदान करता है।
इसमें संस्था के संपूर्ण परिवहन का प्रबंधन करने की कार्यक्षमता शामिल है। ड्राइवर और बस विवरण, बस समय, बस मार्ग इत्यादि जैसी विभिन्न जानकारी माता-पिता के साथ लाइव अलर्ट के रूप में साझा की जाएगी। यह संस्थान की सुरक्षा में सुधार करता है और ईएमआईएस की रीढ़ की भूमिका को आश्वस्त करता है।
पुस्तकालय संस्थान के परिसर में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सुविधाओं में से एक है। ईएमआईएस में पुस्तकालय डेटा भी उपलब्ध होने के साथ, छात्र और शिक्षक परिसर के बाहर से उपलब्ध पुस्तकों को ब्राउज़ कर सकते हैं, साथ ही दक्षता में सुधार के साथ-साथ जारी पुस्तकों की ट्रैकिंग भी कर सकते हैं।
Why use Management Information System in modern educational institutes?
Educational institutions derive a lot of benefits from EMIS software. The availability of all operational data at a single place makes the educational management information system the go to tool for all management related decision making. Along with decision making, the EMIS software helps in all other operational aspects of the educational institution which is listed below:
- Parent-teacher communications
With EMIS the teachers got the right tool to send instant communications to parents regarding the academic and non-academic activities of the students. This tool provides a platform also for parents to share instant feedback to teachers.
- Fee collection management
Revenue from fee collections is the main source of income for most of the schools and colleges. So it is critical to have software to manage fee creations and automate collections. By regularly sending alerts to parents regarding the upcoming fee due dates and collecting fees online through payment gateways, EMIS works as a backbone in the running of educational institutions.
- Admission & enquiry information management
It is primary to the schools and colleges to either maintain or increase the admission intake year on year. More than the numbers, the quality of admissions also matters in achieving the academic goals of the institution. This can be simplified and automated using EMIS software. Along with admission, it can help in the enquiry management which happens throughout the year regardless of the admission season.
Examinations are the core of academic activities. The management information system automates this process by scheduling online examinations and publishing results with minimum effort from teachers. The generated grade books will be shared to parents for review and feedback.
- Student Information Dashboard
All student information related details will be available at fingertips for teachers as well as parents. This includes various information like the historic data of academic performance, attendance data, fee payment data, disciplinary data, etc. Also, different reports regarding students will be available on the student information dashboard.
All the schedules regarding operating the classes and exams in different classrooms will be provided by the EMIS in the form of class timetable, teachers timetable and institution timetable. These can be printed out or directly accessed from the mobile app or web dashboard to plan for the day and week.
- Payroll & leave management
The human resource management module available with EMIS takes care of the payroll and leave data of teachers and other faculty. This provides a single place for teachers and faculty to apply for leaves and access payslips.
- Lesson plans & assignments
The EMIS provides modules for teachers to share lesson plans to students and parents in advance and also to accept assignments from students. With these kinds of modules, the EMIS provides a backbone for learning activities also.
- Transportation management
It includes the functionality to manage the entire transportation of the institution. The various information like driver and bus details, bus timings, bus route, etc. will be shared with parents as live alerts. This improves the safety of the institution and reassures the role of EMIS as the backbone.
The library is one of the most used facilities in the institution’s campus. With the library data also available in the EMIS, students and teachers can browse the available books from outside the campus, also improving the efficiency as well as the tracking of issued books.
शिक्षा में प्रबंधन सूचना प्रणाली का भविष्य
इंटरनेट ऑफ थिंग्स हर जगह मौजूद होने के कारण, कैंपस के भीतर और बाहर छात्र सुरक्षा अब एक दशक पहले की तुलना में कहीं बेहतर है। परिसर का इन-आउट समय और परिवहन के दौरान स्थान डेटा, ईएमआईएस के साथ एकीकृत आईओटी के माध्यम से वास्तविक समय में माता-पिता के लिए उपलब्ध हैं। आभासी वास्तविकता और संवर्धित वास्तविकता जल्द ही शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली के साथ एकीकरण के माध्यम से सभी कक्षाओं और छात्रों के जीवन चक्र में अपना स्थान पाएगी। इन सभी नवाचारों को 5जी प्रौद्योगिकियों द्वारा प्रदान किए जाने वाले हाई स्पीड इंटरनेट द्वारा उत्प्रेरित किया जाएगा। आप ईएमआईएस के उन तरीकों से विकसित होने की उम्मीद कर सकते हैं जो आपने फिल्मों में देखे थे लेकिन वास्तविकता में ऐसा होने की कभी कल्पना नहीं की थी।
Future of Management Information System in Education
With the Internet of Things present everywhere, the student safety within and outside campus is now far better than how it was a decade ago. The in-out time of campus and location data while in transport are available to parents in real-time through IoT integrated with EMIS. The virtual reality and augmented reality will soon find its place in all the classroom and students’ life cycle through the integration with education management information systems. All these innovations will be catalyzed by the high speed internet provided by 5G technologies. You can expect EMIS to evolve in ways that you saw in movies but never imagined to happen in reality.
Course management using Wiki विकी द्वारा पाठ्यक्रम प्रबंधन
E-learning standards
There are two principle sorts of e-learning standards. Courseware design standards refer to the different
features of course design and development, and technical standards refer to the deployment of courses
on a portal.
ई-लर्निंग मानक ई-लर्निंग मानकों के दो सिद्धांत प्रकार हैं। कोर्सवेयर डिज़ाइन मानक पाठ्यक्रम डिज़ाइन और विकास की विभिन्न विशेषताओं का उल्लेख करते हैं, और तकनीकी मानक एक पोर्टल पर पाठ्यक्रमों की तैनाती का उल्लेख करते हैं।
1. Courseware Design Standards
Courseware design standards include
Instructional design
Visual design
Media, writing and assessment standards.
Instructional design standards aid the course developers to clearly outline the objectives, the purpose
and the apt strategies to follow, choosing the content, assessments, interactivities and feedback
methods. Blossom's scientific categorization is a good guide for building up a sensible structure for
preparing content and ensuring consistency among the instructional targets, activities and evaluations.
Visual design standards indicate graphical user interface (GUI) and navigational elements. Course route
must be instinctive and easy to use to be successful. The goal of visual structure standards is to
guarantee plan consistency crosswise over lessons and modules.
Media standards make sure steadiness and compatibility over the media components utilized in a
course, for example, the screen design/ size, printed components, graphics, animation, sound and video.
While choosing the media benchmarks, concentrate on how the learners will access the course. Do they
have access to headphones? Will they access the course on desktops, laptops or mobile devices?
Solutions to these questions will give the directions for the designing of media components in the
course.
It is always a good to have writing style guide for e-content developers and course designers.
The usage of language, list of things to be written, abbreviations, acronyms and other elements of the
text can be referred in the framed writing standards. For example, you may advise the learners to use
passive voice instead of active voice, simple sentences instead of complex sentences. Therefore, writing
standards will definitely help the designers to make the framework effective.
Assessment standards, which should be in sync with instructional objectives, define how you evaluate
learners’ understanding upon course completion.
2. Technical Standards
These standards are related with the portability and availability of e-learning courses across the search
engines, browsers, publishing platforms, and available websites.
The most commonly used technical standards are SCORM, AICC and WCAG.
SCORM stands for Sharable Content Object Reference Model. It is a technical standard developed by the
Advanced Distributed Learning Initiative (ADL) has developed this technical standard, and it defines the
interaction of e-learning courses and the Learning Management Systems to ease the tracking of the
course.
The SCOR model keeps the data recorded regarding the completion of the course, the number of
times the course has been accessed by the learner, points scored by the user in the assessments
provided in the course.
WCAG stands for Web Content Accessibility Guidelines developed by the World Wide Web (WWW)
group in order to make all the e-content available and accessible to all the people irrespective of all the
discriminations.
It is important to follow the guidelines in designing the e-content in order to make the e-learning
effective.
कोर्सवेयर डिज़ाइन मानक writing, मीडिया, लेखन और मूल्यांकन मानक ।
निर्देशात्मक डिजाइन पाठ्यक्रम डेवलपर्स को सामग्री, मूल्यांकन, सहभागिता और प्रतिक्रिया विधियों का चयन करने के लिए उद्देश्यों, उद्देश्य और उपयुक्त रणनीतियों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करने में सहायता करते हैं। ब्लॉसम की वैज्ञानिक वर्गीकरण सामग्री तैयार करने और निर्देशात्मक लक्ष्यों, गतिविधियों और मूल्यांकन के बीच स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक समझदार संरचना का निर्माण करने के लिए एक अच्छा मार्गदर्शक है। दृश्य डिजाइन मानक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई) और नेविगेशनल तत्वों का संकेत देते हैं। कोर्स रूट सहज और सफल होने के लिए उपयोग में आसान होना चाहिए। दृश्य संरचना मानकों का लक्ष्य पाठ और मॉड्यूल पर योजना की स्थिरता की गारंटी देना है।
मीडिया मानक एक कोर्स में उपयोग किए जाने वाले मीडिया घटकों पर सुनिश्चित स्थिरता और संगतता सुनिश्चित करते हैं, उदाहरण के लिए, स्क्रीन डिजाइन / आकार, मुद्रित घटक, ग्राफिक्स, एनीमेशन, ध्वनि और वीडियो। मीडिया बेंचमार्क चुनते समय, ध्यान केंद्रित करें कि शिक्षार्थी पाठ्यक्रम तक कैसे पहुंचेंगे। क्या उनके पास हेडफ़ोन तक पहुंच है? क्या वे डेस्कटॉप, लैपटॉप या मोबाइल उपकरणों पर पाठ्यक्रम का उपयोग करेंगे? इन सवालों के समाधान पाठ्यक्रम में मीडिया घटकों के डिजाइन के लिए दिशा-निर्देश देंगे। ई-कंटेंट डेवलपर्स और कोर्स डिज़ाइनर्स के लिए राइटिंग स्टाइल गाइड रखना हमेशा अच्छा होता है। भाषा का उपयोग, लिखी जाने वाली चीजों की सूची, संक्षिप्तीकरण, संक्षिप्तीकरण और पाठ के अन्य तत्वों को फ़्रेमयुक्त लेखन मानकों में संदर्भित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, आप शिक्षार्थियों को सलाह दे सकते हैं कि वे सक्रिय आवाज़ के बजाय निष्क्रिय आवाज़ का उपयोग करें, जटिल वाक्यों के बजाय सरल वाक्य। इसलिए, लेखन मानक निश्चित रूप से डिजाइनरों को रूपरेखा को प्रभावी बनाने में मदद करेंगे।
मूल्यांकन मानक, जो अनुदेशात्मक उद्देश्यों के साथ होना चाहिए, परिभाषित करते हैं कि आप पाठ्यक्रम पूरा होने पर शिक्षार्थियों की समझ का मूल्यांकन कैसे करते हैं।
2. तकनीकी मानक ये मानक खोज इंजन, ब्राउज़रों, प्रकाशन प्लेटफार्मों और उपलब्ध वेबसाइटों में ई-लर्निंग पाठ्यक्रमों की पोर्टेबिलिटी और उपलब्धता से संबंधित हैं। सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले तकनीकी मानक SCORM, AICC और WCAG हैं।
SCORM का मतलब है शारबल कंटेंट ऑब्जेक्ट रेफरेंस मॉडल। यह एडवांस्ड डिस्ट्रिब्यूटेड लर्निंग इनिशिएटिव (ADL) द्वारा विकसित एक तकनीकी मानक है, जिसने इस तकनीकी मानक को विकसित किया है, और यह पाठ्यक्रम की ट्रैकिंग को आसान बनाने के लिए ई-लर्निंग पाठ्यक्रम और लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम की बातचीत को परिभाषित करता है।
एससीओआर मॉडल पाठ्यक्रम के पूरा होने के संबंध में दर्ज आंकड़ों को रखता है, शिक्षार्थी द्वारा पाठ्यक्रम में उपलब्ध कराए गए अंकों की संख्या, पाठ्यक्रम में प्रदान किए गए आकलन में उपयोगकर्ता द्वारा दर्ज किए गए अंक।
WCAG का अर्थ है वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) समूह द्वारा विकसित वेब कंटेंट एक्सेसिबिलिटी गाइडलाइंस, जो सभी ई-कंटेंट को उपलब्ध कराने और सभी भेदभावों के बावजूद सभी लोगों के लिए सुलभ बनाने के लिए है। ई-लर्निंग को प्रभावी बनाने के लिए ई-सामग्री को डिजाइन करने में दिशानिर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
On- line admission ऑनलाइन प्रवेश
Advantages of Online Admission
- Applicants’ Convenience – One of the greatest advantages of the online application system is that applicants can choose to submit their applications at their convenience. All that is required is access to a computer and internet connectivity. Messy handwriting, lack of postal connectivity, delay in courier delivery etc. are unlikely to disrupt the application process. This is a great advantage to candidates in rural areas and candidates with disabilities.
- Logistics – No more running out of paper application forms, picking the right colour ink pens, illegible prints and wondering if the application has been received at all. The online application process offers university applicants a uniform platform for filling in their applications and also provides prompts on which fields are mandatory. The acknowledgement is almost immediate and the system user-friendly.
- Advantage to Universities – Universities and educational institutions are also at a major advantage when it comes to an online admission process. Quick access to student records and databases, efficient systems for filtering out candidates and processing of applications is possible through the online application process. The costs of processing applications and employing additional manpower during admissions are slashed with the implementation of an online application system.
- Increases Accuracy and Efficiency – Those who have seen university officials accepting thousands of paper applications each day at office counters understand that high fatigue and monotony involved in the paperwork is a catalyst for errors. Each error could cost students their academic career and educational prospects. The online admission system is highly reliable and efficient and eliminates chances of such errors.
- Demolishing Geography – Another great advantage of the online admission system is that it makes it possible for candidates from across the country and even abroad to apply to Indian universities without any hassles. It eliminates the inconveniences caused by ailments and exigencies, providing deserving candidates a convenience that has never before been available.
Disadvantages of Online Admission
- Computer Literacy and Internet Access – In India, though Internet penetration is rather high, Internet connectivity and speed issues are major impediments to bring any real advantage to university applicants. Most rural areas experience high blackouts and electricity issues. This means, once again candidates in urban districts and areas are placed at a significant advantage.
- Low Computer Literacy – Another major concern is the low rate of computer literacy in India. Current estimates say that only about 6.5 percent Indians are computer savvy. A sudden shift to the online admission process is likely to cause confusion and despondency among a great many applicants.
- Security Concerns – In a country like India where security fails of online systems have become increasingly common over the years, online applications make it easier for systems to be breached and for applications or scores to be manipulated. The fear that hackers may target universities and educational institutions is a grave one. Unintentional system failures or server crashes may disrupt the entire admission process of universities and educational institutions. Another important concern is the confidentiality of student information and associated security risks involved in online application processing.
- Authenticity – In most manual admission processes, the eligibility of candidates is proved by verification of originals at the time of accepting applications, ensuring that only genuine candidates apply. Online applications make it easier for fraudsters to manipulate the application process and eligibility requirements.
- Infrastructural Requirements – Building a robust and secure online admission process is a task that requires financial and infrastructural resources. Many universities and educational institutions may not have the necessary resources and all these costs will ultimately be borne by the students. In a country where higher education is a luxury few can afford, increased costs may be a deterrent for education.
- Gone are the days of long registration queues and paper forms to sign up for an endurance event. An increasing number of event directors from both large and small events are embracing online registration services as an added-value for both them and their participants. Online registration not only improves efficiencies and eliminates unnecessary paperwork, it also maximises participation and improves marketing capabilities while allowing participants to sign up when and where it is most convenient for them from any Internet-enabled computer.
The benefits of taking online registration for an endurance event are, in fact, so varied, that we will enumerate only the Top 10 for the event organiser and participant:
| | For Organisers
| For Participants
|
1
| Save time – opening, entering and sorting out illegible or inaccurate forms can be very time consuming, so just by eliminating these processes off your duties you are set to get at least 4 less administrative work hours per week
| Save time – Participants can sign up online when and where is most convenient for them in just a few minutes without having to print, manually fill out and send paper forms
|
2
| Free Online registration - you can pass the small registration fee to your participant, half the fee between you and the participant, or pay the small fee yourself
| Improved customer support – your online registration provider will ensure you have all the necessary information to answer immediately to any of the payment related questions a participant might have
|
3
| Secure online payment processing 24/7 – Active Network payment system is PCI DSS compliant and possesses Secure Socket Layer technology
| Securely and conveniently pay online –instead of writing a cheque or counting cash at the front line, participants can simply enter their credit card details online to securely complete their transaction in seconds
|
4
| Centralised data management – collect participants data and payments; view number of remaining participant places; analyse participants and payments reporting; assign participants with bib numbers; e-mail the participants’ database and more
| Receive automated confirmation receipt – Once the payment is processed, participants will then receive a receipt confirming they are signed up for their desired event and their payment has been securely processed and accepted
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5
| Improve event efficiency – the time and money saved on data entry administrative tasks can be used for better the event, contact more sponsors, prepare more activities, reply faster to participants
| Access to early bird pricing – with flexible pricing options, participants can now be incentivised and rewarded with a discount if they sign up by a specific date
|
6
| Customised online registration – a good online registration provider will permit full customisation of your event registration page to the look and feel you want to give it
| Access to discounts – event organisers can offer discount codes to potential participants to incentivise them to join the event, hence participants are far more likely to enjoy discounts through this payment method
|
7
| Detailed reporting – The system should provide an insightful reporting into payments received and due, refunds given, multi-event analysis and all other reporting tools essential to efficiently manage a successful event
| Receive e-mails and notifications - Participant gets the ability to be informed straight to their inbox whenever a new event of their interest is launched, without having to look for it.
|
8
| Improve marketing efforts – with the ability to e-mail the database via a central management system, organisers will not only notify participants of future events, but also track their open rates and response
| Enter multiple and team registrations – via online registration, participants have the ability to enter multiple events without re-entering the same fields more than once and can register their whole team in one go
|
9
| Fundraising and donation option – collect donations, track donor information and sell fundraising merchandise online during the sports registration process online through a trusted provider
| Easy fundraising set-up – Ability to immediately create a fundraising page upon registration to help the participant set up its fundraising goals and distribute it to its whole online network
|
10
| Set up online surveys – to get to know better your participants interests and measure your participants experience at the event, a good online registration system will also integrate an online survey tool
| Register for a training plan – good sports specific online registration systems will also provide the participant with the ability to sign up for a customised training plan to set their endurance prepared for the event day |
- साइन अप करने के लिए लंबी पंजीकरण कतारों और पेपर फॉर्म के दिन गए। ऑनलाइन पंजीकरण न केवल दक्षता में सुधार करता है और अनावश्यक कागजी कार्रवाई को समाप्त करता है, यह प्रतिभागियों की भागीदारी को अधिकतम करता है और विपणन क्षमताओं में सुधार करता है, जबकि प्रतिभागियों को किसी भी इंटरनेट-सक्षम कंप्यूटर से कब और कहां यह सबसे सुविधाजनक है।
- ऑनलाइन पंजीकरण लेने के लाभ,
- आयोजकों के लिए
- प्रतिभागियों के लिए
- 1
- समय बचाएं - गैरकानूनी या गलत रूपों को खोलने, दर्ज करने और छांटने में बहुत समय लग सकता है, इसलिए बस इन प्रक्रियाओं को समाप्त करने से आपके कर्तव्यों को पूरा करने के लिए आपको प्रति सप्ताह कम से कम 4 कम प्रशासनिक काम के घंटे मिलेंगे।
- समय बचाएं - प्रतिभागी बिना कुछ समय के ऑनलाइन और साइन अप कर सकते हैं कि कुछ मिनटों में उन्हें प्रिंट किए बिना, मैन्युअल रूप से भरें और पेपर फॉर्म भेजें
- २
- नि: शुल्क ऑनलाइन पंजीकरण - आप अपने प्रतिभागी को छोटा पंजीकरण शुल्क दे सकते हैं, आपके और प्रतिभागी के बीच आधा शुल्क या छोटी राशि का भुगतान कर सकते हैं
- बेहतर ग्राहक सहायता - आपका ऑनलाइन पंजीकरण प्रदाता सुनिश्चित करेगा कि आपके पास भुगतान से संबंधित किसी भी प्रश्न का तुरंत उत्तर देने के लिए सभी आवश्यक जानकारी एक प्रतिभागी के पास हो।
- ३
- सुरक्षित ऑनलाइन भुगतान प्रसंस्करण 24/7 - सक्रिय नेटवर्क भुगतान प्रणाली PCI DSS अनुरूप है और सुरक्षित सॉकेट परत प्रौद्योगिकी के पास है
- सुरक्षित रूप से और आसानी से ऑनलाइन भुगतान करें-सामने की लाइन पर चेक या गिनती नकद लिखने के लिए, प्रतिभागी सुरक्षित रूप से सेकंड में अपने लेनदेन को पूरा करने के लिए ऑनलाइन अपने क्रेडिट कार्ड विवरण दर्ज कर सकते हैं।
- ४
- केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन - प्रतिभागियों के डेटा और भुगतान एकत्र करना; शेष प्रतिभागी स्थानों की संख्या देखें; प्रतिभागियों और भुगतान रिपोर्टिंग का विश्लेषण करें; बिब नंबर के साथ प्रतिभागियों को असाइन करें; प्रतिभागियों के डेटाबेस और अधिक को ई-मेल करें
- स्वचालित पुष्टि रसीद प्राप्त करें - एक बार भुगतान संसाधित हो जाने के बाद, प्रतिभागियों को एक रसीद प्राप्त होगी जो यह पुष्टि करती है कि उनके वांछित कार्यक्रम के लिए साइन अप किया गया है और उनके भुगतान को सुरक्षित रूप से संसाधित और स्वीकार किया गया है
- ५
- घटना दक्षता में सुधार - डेटा प्रविष्टि पर सहेजे गए समय और धन का उपयोग प्रशासनिक कार्यों को बेहतर घटना के लिए किया जा सकता है, अधिक प्रायोजकों से संपर्क करें, अधिक गतिविधियां तैयार करें, प्रतिभागियों को तेजी से जवाब दें
- प्रारंभिक पक्षी मूल्य निर्धारण तक पहुँच - लचीले मूल्य निर्धारण विकल्पों के साथ, प्रतिभागियों को अब प्रोत्साहन दिया जा सकता है और छूट के साथ पुरस्कृत किया जा सकता है यदि वे किसी विशिष्ट तिथि से साइन अप करते हैं
- ६
- स्वनिर्धारित ऑनलाइन पंजीकरण - एक अच्छा ऑनलाइन पंजीकरण प्रदाता आपके ईवेंट पंजीकरण पृष्ठ के पूर्ण अनुकूलन की अनुमति देगा जिसे आप उसे देखना चाहते हैं
- छूट तक पहुंच - इवेंट आयोजक संभावित प्रतिभागियों को छूट कोड प्रदान कर सकते हैं ताकि वे इस कार्यक्रम में शामिल हो सकें, इसलिए प्रतिभागियों को इस भुगतान विधि के माध्यम से छूट का आनंद लेने की संभावना है
- ।
- विस्तृत रिपोर्टिंग - सिस्टम को प्राप्त भुगतानों और देय देय, रिफंड दिए गए, बहु-घटना विश्लेषण और अन्य सभी रिपोर्टिंग टूल को कुशलतापूर्वक एक सफल घटना का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करनी चाहिए।
- ई-मेल और सूचनाएं प्राप्त करें - प्रतिभागी को अपने इनबॉक्स में सीधे सूचित किए जाने की क्षमता मिलती है, जब भी उनकी रुचि का कोई नया कार्यक्रम लॉन्च होता है, बिना उसकी तलाश किए।
- ।
- विपणन प्रयासों में सुधार - एक केंद्रीय प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से डेटाबेस को ई-मेल करने की क्षमता के साथ, आयोजक न केवल भविष्य की घटनाओं के प्रतिभागियों को सूचित करेंगे, बल्कि उनकी खुली दरों और प्रतिक्रिया को भी ट्रैक करेंगे।
- एकाधिक और टीम पंजीकरण दर्ज करें - ऑनलाइन पंजीकरण के माध्यम से, प्रतिभागियों को एक से अधिक बार एक ही फ़ील्ड में फिर से प्रवेश किए बिना कई घटनाओं में प्रवेश करने की क्षमता होती है और अपनी पूरी टीम को एक बार में पंजीकृत कर सकते हैं
- ९
- धन उगाहने और दान का विकल्प - एक विश्वसनीय प्रदाता के माध्यम से ऑनलाइन खेल पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान दान इकट्ठा करना, दान दाताओं की जानकारी ट्रैक करना और ऑनलाइन धन उगाहना बेचना।
- आसान धन उगाहने वाले सेट अप - प्रतिभागी अपने धन उगाहने वाले लक्ष्यों को स्थापित करने और अपने पूरे ऑनलाइन नेटवर्क में वितरित करने में मदद करने के लिए पंजीकरण पर तुरंत एक धन उगाहने वाले पेज बनाने की क्षमता।
- १०
- ऑनलाइन सर्वेक्षण सेट करें - अपने प्रतिभागियों के हितों को बेहतर ढंग से जानने के लिए और घटना में अपने प्रतिभागियों के अनुभव को मापने के लिए, एक अच्छा ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली भी एक ऑनलाइन सर्वेक्षण उपकरण को एकीकृत करेगा
- एक प्रशिक्षण योजना के लिए पंजीकरण करें - अच्छे खेल विशिष्ट ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली भी प्रतिभागी को कार्यक्रम के दिन के लिए तैयार धीरज को निर्धारित करने के लिए एक अनुकूलित प्रशिक्षण योजना के लिए साइन अप करने की क्षमता प्रदान करेगी।
- ऑनलाइन प्रवेश के लाभ
- आवेदकों की सुविधा - ऑनलाइन आवेदन प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आवेदक अपनी सुविधानुसार आवेदन जमा करना चुन सकते हैं। कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुंच आवश्यक है। गन्दी लिखावट, डाक कनेक्टिविटी की कमी, कूरियर डिलीवरी में देरी आदि से आवेदन प्रक्रिया बाधित नहीं होती है। यह ग्रामीण क्षेत्रों के उम्मीदवारों और विकलांग उम्मीदवारों के लिए एक बड़ा लाभ है।
- लॉजिस्टिक्स - कोई और पेपर एप्लीकेशन फॉर्म से बाहर नहीं चल रहा है, सही रंग की स्याही पेन, गैरकानूनी प्रिंट और सोच रहा है कि क्या आवेदन प्राप्त हुआ है। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया विश्वविद्यालय के आवेदकों को उनके आवेदन भरने के लिए एक समान मंच प्रदान करती है और यह भी संकेत देती है कि कौन से क्षेत्र अनिवार्य हैं। पावती लगभग तत्काल है और सिस्टम उपयोगकर्ता के अनुकूल है।
- विश्वविद्यालयों को लाभ - ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया की बात आने पर विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान भी एक बड़े लाभ में हैं। छात्र रिकॉर्ड और डेटाबेस तक त्वरित पहुंच, उम्मीदवारों को बाहर फ़िल्टर करने और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से अनुप्रयोगों के प्रसंस्करण के लिए कुशल सिस्टम संभव है। एक ऑनलाइन आवेदन प्रणाली के कार्यान्वयन के साथ प्रवेश के दौरान प्रसंस्करण अनुप्रयोगों की लागत और अतिरिक्त श्रमशक्ति को नियोजित किया जाता है।
- सटीकता और दक्षता बढ़ाता है - जिन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को कार्यालय काउंटरों पर प्रत्येक दिन हजारों पेपर अनुप्रयोगों को स्वीकार करते देखा है, वे समझते हैं कि कागजी कार्रवाई में शामिल उच्च थकान और एकरसता त्रुटियों के लिए उत्प्रेरक है। प्रत्येक त्रुटि छात्रों को उनके शैक्षणिक करियर और शैक्षिक संभावनाओं को पूरा कर सकती है। ऑनलाइन प्रवेश प्रणाली अत्यधिक विश्वसनीय और कुशल है और ऐसी त्रुटियों की संभावना को समाप्त करती है।
- जियोलॉजी को ध्वस्त करना - ऑनलाइन प्रवेश प्रणाली का एक और बड़ा लाभ यह है कि यह देश भर के उम्मीदवारों और यहां तक कि विदेशों में भी बिना किसी बाधा के भारतीय विश्वविद्यालयों में आवेदन करना संभव बनाता है। यह बीमारियों और परिश्रम से होने वाली असुविधाओं को दूर करता है, योग्य उम्मीदवारों को एक ऐसी सुविधा प्रदान करता है जो पहले कभी उपलब्ध नहीं थी।
- ऑनलाइन प्रवेश के नुकसान
- कंप्यूटर साक्षरता और इंटरनेट एक्सेस - भारत में, हालांकि इंटरनेट पैठ अधिक है, लेकिन इंटरनेट कनेक्टिविटी और गति के मुद्दे विश्वविद्यालय के आवेदकों के लिए कोई वास्तविक लाभ लाने के लिए प्रमुख बाधाएं हैं। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च ब्लैकआउट और बिजली के मुद्दों का अनुभव होता है। इसका मतलब है, एक बार फिर शहरी जिलों और क्षेत्रों के उम्मीदवारों को एक महत्वपूर्ण लाभ के लिए रखा गया है।
- कम कंप्यूटर साक्षरता - एक अन्य प्रमुख चिंता भारत में कंप्यूटर साक्षरता की कम दर है। वर्तमान अनुमान कहते हैं कि केवल 6.5 प्रतिशत भारतीय ही कंप्यूटर के जानकार हैं। ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया में अचानक बदलाव से कई महान आवेदकों में भ्रम और निराशा होने की संभावना है।
- सुरक्षा चिंताएं - भारत जैसे देश में जहां ऑनलाइन सिस्टम की सुरक्षा विफल हो गई है, पिछले कुछ वर्षों में तेजी से आम हो गया है, ऑनलाइन अनुप्रयोगों के लिए सिस्टम को भंग करना आसान है और अनुप्रयोगों या अंकों में हेरफेर किया जा सकता है। हैकर्स विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बना सकते हैं यह डर एक गंभीर है। अनजाने सिस्टम की विफलता या सर्वर क्रैश विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों की पूरी प्रवेश प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण चिंता ऑनलाइन आवेदन प्रसंस्करण में शामिल छात्रों की जानकारी और संबंधित सुरक्षा जोखिमों की गोपनीयता है।
- प्रामाणिकता - अधिकांश मैनुअल प्रवेश प्रक्रियाओं में, उम्मीदवारों की पात्रता आवेदन स्वीकार करने के समय मूल के सत्यापन से साबित होती है, यह सुनिश्चित करता है कि केवल वास्तविक उम्मीदवार ही आवेदन करें। ऑनलाइन आवेदन धोखेबाजों के लिए आवेदन प्रक्रिया और पात्रता आवश्यकताओं में फेरबदल करना आसान बनाते हैं।
- अवसंरचनात्मक आवश्यकताएँ - एक मजबूत और सुरक्षित ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया का निर्माण एक ऐसा कार्य है जिसके लिए वित्तीय और अवसंरचनात्मक संसाधनों की आवश्यकता होती है। कई विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के पास आवश्यक संसाधन नहीं हो सकते हैं और इन सभी लागतों को अंततः छात्रों द्वारा वहन किया जाएगा। ऐसे देश में जहां उच्च शिक्षा एक लक्जरी है, कुछ खर्च कर सकते हैं, बढ़ी हुई लागत शिक्षा के लिए एक बाधा हो सकती है।
iv. Assessment and evaluation: आकलन एवं मूल्यांकन:
ईपाठ्य वस्तु एवं अन्य पाठ्य सामग्री के आकलन हेतु मूल्यांकन मापदंड का निर्धारण
eContent is any form of learning material available digitally which a learner access or interacts with so
as to achieve related learning outcomes. eContent is becoming popular because it allows flexibility in
terms of time, place and pace of learning. A resource rich environment is necessary for teaching and
learning to be effective. However, many of the educational resources are not easily accessible because
of issues related to copyright. Hence, there is a movement to produce learning resources and make
them available with open licenses which are known as Open Educational Resources (OER). Open
Educational Resources (OER) are freely available. Openly licensed materials and media are useful for
teaching, learning and assessing as well as for research purposes. Wide variety of OER is available
for free use for teachers, instructors, researchers and students. If used appropriately, digital learning
resources can add considerable value to the quality of teaching and to the learners’ experience.
eContent डिजिटल रूप से उपलब्ध शिक्षण सामग्री का कोई भी रूप है जो एक शिक्षार्थी का उपयोग करता है या संबंधित शिक्षण परिणामों को प्राप्त करने के लिए बातचीत करता है। eContent लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि यह सीखने के समय, स्थान और गति के संदर्भ में लचीलापन देता है। शिक्षण और सीखने के लिए प्रभावी होने के लिए संसाधन संपन्न वातावरण आवश्यक है। हालांकि, कॉपीराइट से संबंधित मुद्दों के कारण कई शैक्षिक संसाधन आसानी से सुलभ नहीं हैं। इसलिए, सीखने के संसाधनों का उत्पादन करने और उन्हें खुले लाइसेंस के साथ उपलब्ध कराने के लिए एक आंदोलन है, जिसे ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेस (OER) के रूप में जाना जाता है। खुले शैक्षिक संसाधन (OER) स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं। खुले तौर पर लाइसेंस प्राप्त सामग्री और मीडिया शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन के साथ-साथ अनुसंधान उद्देश्यों के लिए उपयोगी हैं। शिक्षकों, प्रशिक्षकों, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए मुफ्त उपयोग के लिए OER की विस्तृत विविधता उपलब्ध है। यदि उचित रूप से उपयोग किया जाता है, तो डिजिटल शिक्षण संसाधन शिक्षण की गुणवत्ता और शिक्षार्थियों के अनुभव में काफी महत्व जोड़ सकते हैं।





Tool for evaluation of eContent
Content:
S. No. Statement
1 Content is aligned with Curriculum/ Learning outcomes.
2 Content is accurate.
3 Content is up-to-date.
4 Content range and depth are appropriate to learner needs.
5 Content is comprehensible for the target groups.
6 Level of difficulty is appropriate for intended audience.
7 The information is arranged in a logical sequence.
8 Content integrates real-life/ real-world experiences.
9 Content chunking and sequencing are appropriate.
10 Content is not derogatory to any gender/ community/
group.
11 Content is supported by relevant examples, illustrations,
data, statistics etc.
12 Content is free from biases like language, caste, community,
region, religion, gender etc.
13 Content addresses the relevant concerns like environmental,
peace oriented values, children with special needs etc.
Pedagogical consideration:
1 Instructional goals, objectives and learner outcomes are
clearly stated.
2 Prerequisite knowledge has been stated clearly.
3 Instructional prerequisites are clearly stated or easily
inferred.
4 Suitable for a wide range of learning/teaching styles.
5 Promotes learner engagement
6 Promotes active learning
7 Promotes thinking.
8 Helps in the development of application ability.
9 Helps in retaining the interest.
10 Encourages interaction.
11 Encourages learners’ creativity.
12 Encourages learners to work independently.
13 Encourages self-paced learning.
14 Promotes development of basic ICT skills.
15 Media type/ form of eContent/ presentation format is
appropriate to the content treatment and learners.
16 Concepts are clearly introduced.
17 Concepts are clearly developed.
18 Concepts are clearly summarized.
19 Supports integrated approach and thematic linkages across
curriculum
20 Non-technical vocabulary used appropriately.
21 Technical terms are consistently explained introduced.
22 Pedagogy/ andragogy is innovative.
23 Supports extending or building upon learners’ basic
knowledge.
24 Sequencing and chunking allows for appropriate contextual
use.
25 Adequate/appropriate pre and post activities of using
eContent (viewing/ listening/ writing ect.) are suggested.
26 Adequate/appropriate assessment/evaluation tools/
techniques are provided.
27 Self-assessment questions/ activities covers the content/
subject matter wholistically.
28 The assessment is in consonance with the objectives and
learning outcomes.
29
Questions addressing different level ( remembering,
comprehending, evaluating, creating etc.) are included in
the assessment.
30 User inputs are tracked.
31 Feedback is non-threatening, immediate, positive,
motivational.
32 Feedback is user-sensitive and appropriate to user’s previous
responses.
33 Qualitative feedback is used wherever appropriate.
Technical:
1 Volume and quality of sound are appropriate.
2 Narration is appropriate to instructional purposes
(pacing, modulation, clarity, gender etc.)
3 Music and sound effects are appropriate and effective for
instructional purposes.
4 Appropriate support materials are provided.
5 Visual effects/ transitions are used appropriately to highlight
story and topic
6 Animation/graphics are appropriate and clear.
7 Titles/captions are appropriate and clear.
8 Presentation is logical and varied.
9 Pacing is appropriate.
10 Variety of mediums used.
11 Media elements have unity/ congruence / sync with each
other.
12 Character size, typeface is appropriate.
13 Layout is logical and consistent.
14 Packaging is suitably designed.
15 User interface is interactive and user-friendly.
16 Illustrations/visuals are effective/appropriate.
17 Makes balanced use of graphics, animation, audio, video
ect.
18 Feedback and progress is integrated appropriately.
19 Navigation is easy.
20 User navigation is appropriate to the target audience.
21 Hyperlinks are appropriately linked.
22 Help function is provided and appropriate.
23 Appropriate instructions for using eContent have been
provided.
1 सामग्री पाठ्यक्रम / सीखने के परिणामों के साथ संरेखित है।
2 सामग्री सटीक है।
3 सामग्री अद्यतित है।
4 सामग्री रेंज और गहराई सीखने की जरूरतों के लिए उपयुक्त हैं।
5 सामग्री लक्ष्य समूहों के लिए समझ में आने वाली है।
6 कठिनाई का स्तर इच्छित दर्शकों के लिए उपयुक्त है।
7 सूचना को तार्किक क्रम में व्यवस्थित किया गया है।
8 सामग्री वास्तविक जीवन / वास्तविक दुनिया के अनुभवों को एकीकृत करती है।
9 कंटेंट चॉन्किंग और सीक्वेंसिंग उपयुक्त हैं।
10 सामग्री किसी भी लिंग / समुदाय / समूह के लिए अपमानजनक नहीं है।
11 सामग्री प्रासंगिक उदाहरणों, चित्र, डेटा, सांख्यिकी आदि द्वारा समर्थित है।
12 सामग्री भाषा, जाति, समुदाय, क्षेत्र, धर्म, लिंग आदि जैसे पूर्वाग्रहों से मुक्त है।
13 सामग्री संबंधित चिंताओं जैसे पर्यावरण, शांति उन्मुख मूल्यों, विशेष जरूरतों वाले बच्चों आदि को संबोधित करती है।
शैक्षणिक विचार:
1 निर्देशात्मक लक्ष्य, उद्देश्य और शिक्षार्थी परिणाम स्पष्ट रूप से बताए गए हैं।
2 स्पष्ट ज्ञान स्पष्ट रूप से कहा गया है।
3 निर्देशात्मक पूर्वापेक्षाएँ स्पष्ट रूप से या आसानी से अनुमानित हैं।
4 सीखने / सिखाने की शैलियों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए उपयुक्त।
5 शिक्षार्थी सगाई को बढ़ावा देता है
6 सक्रिय सीखने को बढ़ावा देता है
7 सोच को बढ़ावा देता है।
8 आवेदन क्षमता के विकास में मदद करता है।
9 ब्याज को बनाए रखने में मदद करता है।
10 बातचीत को प्रोत्साहित करता है।
11 शिक्षार्थियों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है।
12 सीखने वालों को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
13 आत्मनिर्भर सीखने को प्रोत्साहित करता है।
14 बुनियादी आईसीटी कौशल के विकास को बढ़ावा देता है।
कंटेंट ट्रीटमेंट और शिक्षार्थियों के लिए 15 मीडिया टाइप / फॉर्म ऑफ एकेंट / प्रेजेंटेशन फॉर्मेट उपयुक्त है।
16 अवधारणाओं को स्पष्ट रूप से पेश किया गया है।
17 अवधारणाएँ स्पष्ट रूप से विकसित हैं।
18 अवधारणाओं को स्पष्ट रूप से संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
19 पाठ्यक्रम में एकीकृत दृष्टिकोण और विषयगत संबंधों का समर्थन करता है
20 गैर-तकनीकी शब्दावली उचित रूप से उपयोग की जाती है।
21 तकनीकी शब्दों को लगातार पेश किया गया है।
22 शिक्षाशास्त्र / andragology अभिनव है।
23 शिक्षार्थियों के बुनियादी ज्ञान पर विस्तार या निर्माण का समर्थन करता है।
24 अनुक्रमण और चुन-चुनकर उचित प्रासंगिक उपयोग की अनुमति देता है।
25 ईकोन्टेंट (देखने / सुनने / लिखने के) का उपयोग करने के लिए पर्याप्त / उपयुक्त पूर्व और बाद की गतिविधियों का सुझाव दिया जाता है।
26 पर्याप्त / उचित मूल्यांकन / मूल्यांकन उपकरण / तकनीक प्रदान की जाती हैं।
27 स्व-मूल्यांकन प्रश्न / गतिविधियाँ सामग्री / विषय वस्तु को पूरी तरह से शामिल करती हैं।
28 मूल्यांकन उद्देश्यों और सीखने के परिणामों के अनुरूप है।
29 प्रश्न विभिन्न स्तर (याद करना, समझना, मूल्यांकन करना, बनाना आदि) को संबोधित करते हैं।
30 उपयोगकर्ता इनपुट ट्रैक किए जाते हैं।
31 फीडबैक गैर-धमकी, तत्काल, सकारात्मक, प्रेरक है।
32 प्रतिक्रिया उपयोगकर्ता के प्रति संवेदनशील और उपयोगकर्ता की पिछली प्रतिक्रियाओं के लिए उपयुक्त है।
जहाँ भी उपयुक्त हो 33 गुणात्मक प्रतिक्रिया का उपयोग किया जाता है।
तकनीकी:
1 ध्वनि की मात्रा और गुणवत्ता उपयुक्त है।
2 कथन निर्देशात्मक उद्देश्यों (पेसिंग, मॉड्यूलेशन, स्पष्टता, लिंग आदि) के लिए उपयुक्त है।
3 संगीत और ध्वनि प्रभाव निर्देशात्मक उद्देश्यों के लिए उपयुक्त और प्रभावी हैं।
4 उपयुक्त सहायता सामग्री प्रदान की जाती है।
5 दृश्य प्रभाव / संक्रमण का उपयोग कहानी और विषय को उजागर करने के लिए उचित रूप से किया जाता है
6 एनिमेशन / ग्राफिक्स उपयुक्त और स्पष्ट हैं।
7 शीर्षक / कैप्शन उपयुक्त और स्पष्ट हैं।
8 प्रस्तुति तार्किक और विविध है।
9 पेसिंग उपयुक्त है।
10 विभिन्न माध्यमों की विविधता।
11 मीडिया तत्वों में एक दूसरे के साथ एकता / अनुरूपता / समन्वय है।
12 चरित्र आकार, टाइपफेस उपयुक्त है।
13 लेआउट तार्किक और सुसंगत है।
14 पैकेजिंग उपयुक्त रूप से डिजाइन की गई है।
15 उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस इंटरैक्टिव और उपयोगकर्ता के अनुकूल है।
16 चित्र / दृश्य प्रभावी / उपयुक्त हैं।
17 ग्राफिक्स, एनीमेशन, ऑडियो, वीडियो ect का संतुलित उपयोग करता है।
18 प्रतिक्रिया और प्रगति उचित रूप से एकीकृत है।
19 नेविगेशन आसान है।
20 उपयोगकर्ता नेविगेशन लक्षित दर्शकों के लिए उपयुक्त है।
21 हाइपरलिंक उचित रूप से जुड़े हुए हैं।
22 सहायता समारोह प्रदान किया गया है और उचित है।
23 eContent का उपयोग करने के लिए उचित निर्देश प्रदान किए गए हैं।
Online evaluation of courses in different subject
विभिन्न विषयों की पाठ्यचर्या का ऑनलाइन मूल्यांकन
What To Consider in Your Online Course Evaluation
The considerations in online course evaluation can be, well, just about endless. But some points are more important than others, so we’ve highlighted the top five for you below.
1. Visual Appeal and Branding
We shouldn’t judge a book by its cover.
But it’s really hard not to!
Especially when the cover is dull, uninviting and generic.
The same goes for eLearning interfaces. Is the design of the course visually appealing, clearly branded, and customized to the target audience and company? Likewise, is the interface visually responsive and scalable across different devices, like mobile phones?
Evaluating eLearning courses means finding ways to improve the aesthetic aspects of the course. Because for busy employees trying to squeeze training into a 24-hour day, looks matter!
2. Instructional Design
By now you’re working on a more visually appealing course. But how do you know that learners are navigating the learning path in the most effective way? How do you know whether or not the increasing levels of difficulty are appropriate for learners?
Well, you’d need to evaluate how clearly defined and structured the learning paths are. Could you place further restrictions on how learners complete the course? Or change when certain course content is viewed?
As the foundations of your eLearning course, instructional design plays a particularly important part in online course evaluation.
3. Appropriate Learning Materials
eLearning courses can be complex, and sometimes need to cater for diverse audiences. This often calls for learning materials (like video, notes or quizzes) that appeal to more than one of the senses. A variety of content recognizes that people learn in different ways.
But it’s also important to match the best-suited learning materials to each type of learning outcome. For example, pure knowledge recall can be achieved with notes. But deeper understanding and application of skills are better achieved with branching scenarios or augmented reality (AR).
Of course, with the bombardment of online communication overwhelming people daily, engagement has also become a primary concern for instructional designers. That’s why a common question in online course evaluation is: “Are the course materials sufficiently interactive to keep learners engaged throughout the course?”.
4. The Assessments Process
As mentioned earlier, assessments can be a key measure of whether or not an eLearning course is successful. But the assessments are often a daunting experience for both learners and instructors. Learners worry that they won’t do well. Instructors, on the other hand, worry that the assessments aren’t a good enough indication of learning.
That’s why the type of assessment must be well suited to the learning outcome being measured.
Assessments should be set at the appropriate difficulty level, should be user-friendly, and should provide useful feedback for learners. And the grading process should be efficient for instructors.
Considering the relevance and efficiency of eLearning assessment in online course evaluations (like tests, quizzes, and whole assessments) helps to ensure high quality in one of your key measures of course success.
5. Cultural Fit
This might sound like a strange consideration for online course evaluation. But believe us when we say it’s right up there with the rest of the important points! Because at the end of the day, every course needs to be relevant to its target audience.
Evaluating your online courses for cultural fit means tailoring the language, compatibility, and other design aspects of your course to suit the learners its intended for.
If your audience includes people from different countries, you’ll probably need notes written in more than one language or videos with multilingual subtitles and transcripts. If your corporate culture is based on self-driven learning and continuous improvement, your eLearning design might need to incorporate microlearning and mobile compatibility.
Finding ways to make the design and content of your courses more culturally accessible, relatable and appealing to your target audience is a key consideration of the eLearning evaluation process.
अपने ऑनलाइन पाठ्यक्रम मूल्यांकन में विचार करें
1. दृश्य अपील और ब्रांडिंग
हमें किसी पुस्तक को उसके आवरण से नहीं देखना चाहिए। यह वास्तव में कठिन नहीं है! खासकर जब कवर नीरस, बिन बुलाए और सामान्य है।
वही ई-लर्निंग इंटरफेस के लिए जाता है। क्या पाठ्यक्रम का डिज़ाइन स्पष्ट रूप से ब्रांडेड है, और लक्षित दर्शकों और कंपनी के लिए अनुकूलित है? इसी तरह, मोबाइल फोन की तरह अलग-अलग उपकरणों में इंटरफ़ेस नेत्रहीन उत्तरदायी और स्केलेबल है?
ई-लर्निंग पाठ्यक्रम का मूल्यांकन करने का अर्थ है पाठ्यक्रम के सौंदर्य संबंधी पहलुओं को बेहतर बनाना। क्योंकि व्यस्त कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण को 24-घंटे के दिन में निचोड़ने की कोशिश करना, मायने रखता है!
2. निर्देशात्मक डिजाइन
अब तक आप अधिक नेत्रहीन पाठ्यक्रम पर काम कर रहे हैं। लेकिन आप कैसे जानते हैं कि शिक्षार्थी सीखने के मार्ग को सबसे प्रभावी तरीके से नेविगेट कर रहे हैं? आप कैसे जानते हैं कि कठिनाई के बढ़ते स्तर शिक्षार्थियों के लिए उपयुक्त हैं या नहीं?
ठीक है, आपको यह मूल्यांकन करने की आवश्यकता है कि सीखने के मार्ग कितने स्पष्ट रूप से परिभाषित और संरचित हैं। क्या आप इस बात पर और प्रतिबंध लगा सकते हैं कि शिक्षार्थी पाठ्यक्रम को कैसे पूरा करेंगे? या जब कुछ पाठ्यक्रम सामग्री देखी जाती है तो उसे बदल दें?
आपके ई-लर्निंग पाठ्यक्रम की नींव के रूप में, ऑनलाइन पाठ्यक्रम मूल्यांकन में निर्देशात्मक डिजाइन विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. उपयुक्त शिक्षण सामग्री
eLearning पाठ्यक्रम जटिल हो सकते हैं, और कभी-कभी विविध दर्शकों के लिए पूरा करने की आवश्यकता होती है। यह अक्सर शिक्षण सामग्री (जैसे वीडियो, नोट्स या क्विज़) के लिए कहता है जो एक से अधिक इंद्रियों के लिए अपील करता है। विभिन्न प्रकार की सामग्री पहचानती है कि लोग विभिन्न तरीकों से सीखते हैं।
लेकिन प्रत्येक प्रकार के सीखने के परिणामों के लिए सर्वोत्तम-अनुकूल शिक्षण सामग्री का मिलान करना भी महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, नोट्स के साथ शुद्ध ज्ञान रिकॉल प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन ब्रांचिंग परिदृश्यों या संवर्धित वास्तविकता (एआर) के साथ कौशल की गहरी समझ और आवेदन बेहतर तरीके से हासिल किए जाते हैं।
पाठ्यक्रम में शिक्षार्थियों को रखने के लिए पाठ्यक्रम सामग्री पर्याप्त रूप से इंटरैक्टिव हैं।"
4. मूल्यांकन प्रक्रिया
क्या ई-लर्निंग पाठ्यक्रम सफल है या नहीं। लेकिन मूल्यांकन अक्सर शिक्षार्थियों और प्रशिक्षकों दोनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण अनुभव होता है। शिक्षार्थियों को चिंता है कि उन्होंने अच्छा नहीं किया। दूसरी ओर, प्रशिक्षक यह चिंता करते हैं कि मूल्यांकन सीखने का एक अच्छा संकेत नहीं हैं।
इसीलिए मूल्यांकन के प्रकार को मापे जा रहे सीखने के परिणाम के अनुकूल होना चाहिए।
मूल्यांकन उपयुक्त कठिनाई स्तर पर सेट किया जाना चाहिए, उपयोगकर्ता के अनुकूल होना चाहिए, और शिक्षार्थियों के लिए उपयोगी प्रतिक्रिया प्रदान करनी चाहिए। और प्रशिक्षकों के लिए ग्रेडिंग प्रक्रिया कुशल होनी चाहिए।
ऑनलाइन पाठ्यक्रम मूल्यांकन (जैसे परीक्षण, क्विज़ और संपूर्ण मूल्यांकन) में ई-लर्निंग मूल्यांकन की प्रासंगिकता और दक्षता को ध्यान में रखते हुए, पाठ्यक्रम की सफलता के आपके प्रमुख उपायों में से एक में उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करता है।
5. सांस्कृतिक फिट
हर कोर्स को अपने लक्षित दर्शकों के लिए प्रासंगिक होना चाहिए।
सांस्कृतिक फिट के लिए अपने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का मूल्यांकन करने का अर्थ है, अपने पाठ्यक्रम के लिए भाषा, अनुकूलता, और अपने पाठ्यक्रम के अन्य डिज़ाइन पहलुओं को शिक्षार्थियों के अनुरूप बनाना।
यदि आपके दर्शकों में विभिन्न देशों के लोग शामिल हैं, तो शायद आपको बहुभाषी उपशीर्षक और टेप के साथ एक से अधिक भाषाओं या वीडियो में लिखे नोट्स की आवश्यकता होगी। यदि आपकी कॉर्पोरेट संस्कृति स्व-चालित सीखने और निरंतर सुधार पर आधारित है, तो आपके ई-लर्निंग डिज़ाइन को माइक्रोलिंग और मोबाइल संगतता को शामिल करने की आवश्यकता हो सकती है।
अपने पाठ्यक्रम के डिज़ाइन और सामग्री को अधिक सांस्कृतिक रूप से सुलभ, भरोसेमंद बनाने और अपने लक्षित दर्शकों को आकर्षित करने के तरीके खोजना ई-लर्निंग मूल्यांकन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण विचार है।
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