Assignment: Physical Education and Yoga, Minor—3, Semester—4

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आसन का अर्थ एवं महत्त्व Asana  An  āsana  ( Sanskrit :  आसन ) is a body posture, originally and still a general term for a  sitting meditation pose , and later extended in  hatha yoga  and modern  yoga as exercise , to any type of position, adding reclining,  standing , inverted, twisting, and balancing poses. The  Yoga Sutras of Patanjali  define "asana" as स्थिरसुखमासनम्  sthira sukham āsanam  "[a position that] is steady and comfortable". [ Patanjali mentions the ability to sit for extended periods as one of the  eight limbs of his system . Asanas are also called  yoga poses  or  yoga postures  in English. The 10th or 11th century  Goraksha Sataka  and the 15th century  Hatha Yoga Pradipika  identify 84 asanas. Asanas were claimed to provide both spiritual and physical benefits in medieval hatha yoga texts. More recently, studies have provided evidence that they imp...

उच्च शिक्षा तकनीकी सन्दर्भ सामग्री

Advanced Educational Technology

Content
UNIT I
i. Concept of information technology (IT) and information system (IS)
सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रणाली का प्रत्यय
The relation between information system and technology
सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रणाली के मध्य सम्बन्ध
Relevance of IT in India
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की प्रासंगिकता
Concept of web based education and training
वेब आधारित शिक्षा एवं प्रशिक्षण का प्रत्यय
ii. Educational Technology; Nature, Scope and Significance
शिक्षा तकनीकी की प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्व
Components of educational technology: Software and Hardware
शिक्षा तकनीकी के घटक हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर
iii. Modalities of Teaching; conditioning, training, Instruction, & Indoctrination
शिक्षण के रूप: अनुबंधन, प्रशिक्षण, अनुदेशन एवं मतावरोपण
Differences between Educational Technology and instructional technology
शिक्षा तकनीकी एवं अनुदेशन तकनीकी में अन्तर
UNIT II
i. Communication in education: Concepts, Nature ,Theory and Process
शिक्षा में सम्प्रेषण  का प्रत्यय, प्रकृति, सिद्धान्त एवं प्रक्रिया
ii. Components and types of Classroom communication
कक्षा-कक्ष सम्प्रेषण के घटक एवं प्रकार
iii. Principles of Communications
सम्प्रेषण के सिद्धान्त
iv. Difference among Communication , learning and Instruction
सम्प्रेषण अधिगम एवं अनुदेशन में अन्तर
v. Models of Communication: SMCR model of communication and Shanon’s model
of communication
सम्प्रेषण के प्रतिमान: सम्प्रेषण का एसएमसीआर प्रतिमान एवं सम्प्रेषण का शैनन प्रतिमान
vi. Concept of Task analysis
कार्य विश्लेषण का प्रत्यय
vii. Designing instructional Strategies such as lecture, team teaching, discussion,
seminar and tutorials
अनुदेशनात्मक व्यूह रचना निर्माण यथा व्याख्यान, दल शिक्षण, विचार-विमर्श, सेमिनार एवं अनुवर्ग शिक्षण
UNIT III
i. Integrating Multimedia in education शिक्षा में मल्टीमीडिया समन्वय
Concept of Multimedia मल्टीमीडिया का प्रत्यय 
ii. Multimedia applications: मल्टीमीडिया अनुप्रयोग
Computer based Training कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण, 
Electronic books and references इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकें एवं सन्दर्भ
Multimedia application for educationist शिक्षाविदों हेतु मल्टीमीडिया अनुप्रयोग
Information chaos सूचना कोलाहल
Multimedia and web based training.वेब आधारित प्रशिक्षण एवं मल्टीमीडिया
UNIT IV
i. E-learning: -अधिगम
definitions, scope, trends, attributes & opportunities of E-learning, -अधिगम की परिभाषा, क्षेत्र, प्रवृत्तियां, विशेषताएं एवं अवसर
Pedagogical designs & e-learning. E-LEARNING के लिए PEDAGOGICAL DESIGNS  
Assessments  feedback  and e- moderation. ई-लर्निंग का आकलन,प्रतिपुष्टि एवं ई-मॉडरेशन 
ii. On line learning management system ऑनलाइन LMS, Digital learning objects डिजिटल लर्निंग ऑब्जेक्ट्स, Online learning course development models ऑनलाइन LEARNING COURSE विकास मॉडल , Management and techniques implementation of e learning. ई-लर्निंग का प्रबंधन और कार्यान्वयन
UNIT V
i. Educational Technology in formal, Non formal and Informal education औपचारिक, अनौपचारिक एवं निरौपचारिक शिक्षा में शिक्षा तकनीकी. Distance education, Open learning System and Educational Technology. दूरस्थ शिक्षामुक्त अधिगम प्रणाली एवं शिक्षा तकनीकी
ii. Emerging trends in Educational Technology: शिक्षा तकनीकी में आधुनिक प्रवृत्तियां Teleconferencing टेलीकांफ्रेंसिंग, CCTV बंद परिपथ दूरदर्शन, CAI कंप्यूटर सहायक अनुदेशन, and Problems of new technologies. एवं नवीन तकनीकी की समस्याएं

ii. Emerging trends in Educational Technology: शिक्षा तकनीकी में आधुनिक प्रवृत्तियां Teleconferencing टेलीकांफ्रेंसिंग, CCTV बंद परिपथ दूरदर्शन, CAI कंप्यूटर सहायक अनुदेशन, and Problems of new technologies. एवं नवीन तकनीकी की समस्याएं

iii. Resource Centers for Educational Technology, CIET, UGC, IGNOU, NOS, State ET cell, AVRC, EMRC, NIST their activity for improvement of teaching -
केंद्रीय शिक्षा तकनीकी संस्थान, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय, राज्य शिक्षा तकनीकी प्रकोष्ठ, श्रव्य दृश्य संसाधन केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संसाधन केंद्र, राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीकी संस्थान

Detailed Reading Material
उच्च शिक्षा तकनीकी 
UNIT I

i. Concept of information technology (IT) and information system (IS)
सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रणाली का प्रत्यय
आईटी का फुल फॉर्म है “Information Technology” हिंदी में इसे सूचना प्रौद्योगिकी कहते है. इस 21 Century में technology हमारी जिंदगी का एक प्रमुख हिस्सा है. हम इसका उपयोग जीवन के लगभग हर पहलू में करते है. आज के समाज मे सूचना सर्वोपरि है और Information Technology (IT) मनुष्यों के सभी प्रकार के कार्यो को प्रभावित करती है.
आधुनिक प्रगति जैसे ComputerInternet, Website, Email और E-Commerce सभी IT के अंतर्गत आते है. आज हम अपने आस – पास तकनीक में जो चमत्कार देख पा रहे है ये सब Information gathering technique (सूचना एकत्र करने की तकनीक) में प्रगति के कारण संभव हुआ है. इसीलिये IT को information superhighway के रूप में जाना जाता है, जो हमारे लिए दुनिया भर की technology और information तक पहुँचने के रास्ते खोलता है.

Information Technology (IT) एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके अंतर्गत computer या अन्य physical devices (hardware, software) का उपयोग electronic data को create, process, sucure और exchange करने के लिए किया जाता है. सरल परिभाषा में समझे तो सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के अंतर्गत हम computer और telecommunication जैसे system का अध्ययन व उपयोग सूचना के भंडारण, पुनर्प्राप्ति और आदान प्रदान के लिये करते है.

Computing technology से सम्बंधित सभी चीजें information technology को संदर्भित करती है. इसका अर्थ है, कंप्यूटर के द्वारा किये जाने वाले कार्य व इससे जुड़ी हुई चीजें जैसे Internet, Networking, Data management इत्यादि सभी IT का एक हिस्सा है.

“IT” कोई छोटा क्षेत्र नही है, बल्कि इसमे कई चीजें आती है. अगर IT Department को एक उदाहरण के तौर पर देखे तो इसमे कई ऐसे विभाग आते है, जिन्हें शायद आप एक अलग चीज समझते हो. information technology के अंतर्गत कई jobs और जिम्मेदारियों के साथ कई लोग काम करते है. इन जिम्मेदारियों की बात करे तो इनमे system और data security से लेकर network को बनाए रखने और चलाने तक के कार्य है. इसके साथ ही programming, data input करना और database management जैसे कई कार्य IT के अंतर्गत आते है.

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) का उपयोग

IT अथवा सूचना प्रौद्योगिकी एक बड़ा क्षेत्र है, आज की लगभग सभी modern technology इसी पर आधारित है. अगर इसके उपयोग की बात करे तो Information Technology ने मनुष्यों के हर aspect को प्रभावित किया है. हमारी Education, Society, Business, Entertainment, Telecommunications इत्यादि सभी महत्वपूर्ण चीजे इसका फायदा ले रही है.

नीचे सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के कुछ उपयोगों को सूचीबद्ध दर्शाया गया है.

Business

व्यावसायिक कार्यो पर IT का महत्वपूर्ण प्रभाव है. Technology infrastructure व्यवसाय की संस्कृति, दक्षता और सम्बन्धों को प्रभावित करता है. पहले के मुकाबले आज के business कही अधिक technology पर निर्भर है. एक बेहतर दूरसंचार से लेकर online payment जैसे महत्वपूर्ण विकल्प के लिए हमे सूचना प्रौद्योगिकी IT को अपनाना पड़ता है. अगर अपने व्यापार को बड़ाना है, तो online advertisement के माध्यम से हम अपने customers तक पहुंच सकते है.

Education

Information Technology के विकास ने पुरानी Education system को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. अब शिक्षा क्षेत्र बदल गया है. आज हम internet का उपयोग करके online education घर बैठे ले सकते है. आज के समय कई ऐसे online application है, जिस पर लगभग हर विषय के बारे में जानकरी बेहतर ढंग से दी जा रही है.

Telecommunications

सूचना प्रौद्योगिकी के आने से दूरसंचार (telecommunications) के क्षेत्र में कई नई सेवाओं के द्वार खुले है. computer खुद email के द्वारा संचार करने के लिए telephone network का उपयोग करता है. इसके साथ ही IT के विकास से Radio, TV transmission, World Wide Web(WWW) जैसे महत्वपूर्ण अविष्कार संभव हुए. एक phone के अंदर telephone और internet service को Information technology के माध्यम से ही साथ लाया गया.

Entertainment

कंप्यूटर मोबाइल जैसी तकनीकों के अविष्कार ने हमारे जीवन मे मनोरंजन के ढेरों साधन दिए है. आज हम movies और music को internet के माध्यम से online access कर सकते है. इसके अलावा कई ऐसे entertainment tool है, जो हमे IT के विकास से प्राप्त हुए है.

Security

प्रौद्योगिकी में विकास के साथ-साथ Online froud, Data theft जैसी कई समस्याएं सामने आयी. जिसके बाद Information technology security को बनाया गया. इसके अंतर्गत computer, network और data जैसी महत्वपूर्ण जानकरी को दूसरों की पहुंच से दूर रखा जाता है. जब आप online portal के द्वारा अपने बैंक खाते तक पहुँचते है, तो IT Security यह सुनिश्चित करती है, कि केवल आप ही अपने खाते की जानकारी देख पाये.

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के विभिन्न घटक (Components of Information Technology)

आज का युग technology का है, हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए टेक्नोलॉजी ने सभी क्षेत्रों में योगदान दिया है. Information system का भी इसमे अहम रोल है, जो data और information को इकट्ठा करने और व्यवस्थित करने से सम्बंधित है. इस Information system (सूचना प्रणाली) के प्रमुख पांच घटक होते है.

1) Computer hardware technology

इस प्रौद्योगिकी को भौतिक तकनीक (physical technology) कहा जाता है, जो information के साथ काम करती है. हार्डवेयर कंप्यूटर के वे भाग है जिन्हें हम देख व छू सकते है. उदाहरण के लिये CPUMotherboard, Keyword, Mouse इत्यादि कंप्यूटर हार्डवेयर कहलाते है. इसके अलावा Micro computer, Mainframe और Storage device भी इसके अंतर्गत आते है.

2 ) Computer software technology

सॉफ्टवेयर निर्देशो का एक सेट है, जो हार्डवेयर को यह बताता है, कि क्या करना है. सरल भाषा मे आप इसे एक program भी कह सकते है. उदाहरण के लिये programmers जो software बनाते है, असल मे वह commands या instructions लिखते है. जिसके अनुसार हार्डवेयर कार्य करते है. इसके दो मुख्य भाग होते है, पहला operation system जिसमे hardware को प्रयोग करने योग्य बनाया जाता है. दूसरा Application software जो कुछ specific task के लिये डिजाइन किए जाते है.

3) Telecommunications व network technology

इस प्रक्रिया में सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को एक साथ जोड़कर Network बनाया जाता है. इसके लिये wire का उपयोग हो सकता है. जैसे ethernet cable या fibre optics और या फिर wireless जैसे Wifi के माध्यम से भी connection स्थापित किया जा सकता है. अगर किसी विशिष्ट क्षेत्र जैसे कार्यालय, स्कूल के सभी computers को आपस मे जोड़ना है, तो इसके लिए एक Local area network (LAN) डिज़ाइन किया जाता है. यदि connection दूर-दूर बनाना हो तो इसके लिये Wide area network (WAN) डिज़ाइन किया जाता है. इंटरनेट स्वयं नेटवर्क का नेटवर्क है. नेटवर्क के विभिन्न प्रकार को समझने के लिए ये पोस्ट पढ़े।

4) Database technology

इस घटक के अंतर्गत बाकी अन्य घटक निवास करते है. Database एक ऐसा स्थान है, जहां डेटा एकत्र (data collect) किया जाता है. यह डेटा कई प्रकार का हो सकता है. जैसे document, file, worksheet इत्यादि

5) Human Resources

Information Technology (IT) का सबसे महत्वपूर्ण घटक मानव संसाधन (human resources) है. सिस्टम को चलाने के लिए जिन लोगो की आवश्यकता होती है, फिर चाहे वह workers हो या System Analytics, Programmer, Cheif Information Officer इन सभी का सूचना प्रौद्योगिकी में एक बड़ा योगदान है. यह सभी IT के लिए आवश्यक तत्व है.

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के फायदे क्या है

आज के समय Information Technology या IT मुख्य रूप से computer technology से सम्बंधित है. हमारे ज्यादातर कार्य भी कंप्यूटर पर ही निर्भर होते है.

सूचना प्रौद्योगिकी से होने वाले कुछ मुख्य फायदे

● इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी IT संचार (communication) के क्षेत्र में क्रांति लेकर आया आज हम massege, voice call, video call की मदद से किसी से साथ भी सवांद कर सकते है.

● सूचना प्रौद्योगिकी से विभिन्न देशों, भाषाओं और संस्कृतियो के बीच सूचना, ज्ञान, संचार और सम्बन्धों को सांझा करना बहुत आसान हो गया है.

● IT के विकास ने Business को भी एक नए आयाम पर पहुँचाया है. आज कंपनियों का अपने ग्राहकों तक पहुँचना आसान हो गया है. इसके साथ ही हम अपने व्यवसाय को online operate कर सकते है, जिससे हमे अपने product को sale करने में आसानी होती है.

● सूचना प्रौद्योगिकी IT ने कई नोकरियों का निर्माण किया है. computer programmer, hardware developer, software developer, system analyzers और web designer जैसी नई नोकरिया Information technology की देन है.

● आईटी कम लागत में Information को store करने के साथ protection भी प्रदान करता है. अगर आपका व्यवसाय है, तो उस दृष्टिकोण से यह काफी महत्वपूर्ण है.

● इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ने सभी प्रकार की सूचनाओं को सही ढंग से और तेज गति के साथ संसाधित करने की क्षमताओं को कई गुना बढ़ा दिया है. कुछ उपकरण जैसे world processer, spread sheet, database program के उपयोग से आप जानकरी को बेहतर ढंग से संभाल सकते है.

एक IT System को आमतौर पर सूचना प्रणाली (information system) संचार प्रणाली (communication system) या कंप्यूटर प्रणाली (computer system) जैसे नामो से भी जाना जाता है.
The relation between information system and technology
सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रणाली के मध्य सम्बन्ध

Relevance of IT in India
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की प्रासंगिकता

Concept of web based education and training
वेब आधारित शिक्षा एवं प्रशिक्षण का प्रत्यय

ii. Educational Technology; Nature, Scope and Significance
शिक्षा तकनीकी की प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्व

Components of educational technology: Software and Hardware
शिक्षा तकनीकी के घटक हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर

iii. Modalities of Teaching; conditioning, training, Instruction, & Indoctrination
शिक्षण के रूप: अनुबंधन, प्रशिक्षण, अनुदेशन एवं मतावरोपण

Differences between Educational Technology and instructional technology
शिक्षा तकनीकी एवं अनुदेशन तकनीकी में अन्तर

UNIT II

i. Communication in education: Concepts, Nature ,Theory and Process
शिक्षा में सम्प्रेषण  का प्रत्यय, प्रकृति, सिद्धान्त एवं प्रक्रिया

ii. Components and types of Classroom communication
कक्षा-कक्ष सम्प्रेषण के घटक एवं प्रकार

iii. Principles of Communications
सम्प्रेषण के सिद्धान्त

iv. Difference among Communication , learning and Instruction
सम्प्रेषण अधिगम एवं अनुदेशन में अन्तर

v. Models of Communication: SMCR model of communication and Shanon’s model
of communication
सम्प्रेषण के प्रतिमान: सम्प्रेषण का एसएमसीआर प्रतिमान एवं सम्प्रेषण का शैनन प्रतिमान

vi. Concept of Task analysis
कार्य विश्लेषण का प्रत्यय













vii. Designing instructional Strategies such as lecture, team teaching, discussion,
seminar and tutorials
अनुदेशनात्मक व्यूह रचना निर्माण यथा व्याख्यान, दल शिक्षण, विचार-विमर्श, सेमिनार एवं अनुवर्ग शिक्षण













दल शिक्षण विधि (Team teaching method)

यह एक नवाचार विधि है।’दल’ शब्द का अर्थ होता है समूह अर्थात् जब किसी कक्षा-कक्ष में विशेषज्ञ शिक्षक समूह द्वारा अध्यापन कार्य किया जाता है, तब वह दल शिक्षण विधि के नाम से जाना जाता है। इस विधि को सहकारिता शिक्षण विधि भी कहते है।

यह शिक्षण की एक नवीनतम विधि है। 
दल शिक्षण या टोली शिक्षण विधि में दो या दो से अधिक अध्यापक एक साथ मिलकर शिक्षण कार्य करते हैं।

प्रायः देखा  जाता है कि यदि किसी विद्यालय में एक ही विषय के एक से अधिक अध्यापक हैं तो उम्मीद की जा सकती है कि बालकों को उस विषय में सबसे अच्छा शिक्षक जो होगा उसको ही शिक्षण करने की जिम्मेदारी  दी जायेगी। 

टीम टीचिंग में एक से अधिक अध्यापक मिल जुलकर अच्छे से अच्छा पढ़ा सकते हैं। 

प्रत्येक अध्यापक की शिक्षण प्रभावशीलता में कोई न कोई अंतर अवश्य होता है ऐसी स्थिति में किसी भी क्षेत्र में कमी वाले शिक्षक को टीम टीचिंग के माध्यम से अपने साथी अध्यापकों की मदद भी मिलती है और अपनी कमियों को सुधारने का पर्याप्त अवसर मिलता है। 

⇒ दल शिक्षण विधि का विकास सर्वप्रथम 1955 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका के शोध छात्र मिसीगन व हार्वे द्वारा किया गया।  शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं में संसाधनों विशेषज्ञों का अधिकतम उपयोग करने के लिए समूह शिक्षण मुख्य नवाचार है। इसमें शिक्षण संस्था के सभी सदस्यों का अधिकतम एवं कुशलता में उपयोग किया जा सकता है।

दल शिक्षण किसी एक शिक्षक के द्वारा ना करके एक से अधिक शिक्षकों द्वारा मिलजुल कर किया जाता है। और शिक्षण के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान समय में शिक्षक का उत्तरदायित्व बहुत अधिक बढ़ गया है। साथ ही छात्रों को भी दबावपूर्ण स्थितियों में कार्य करना पड़ता है तो ऐसे में समूह शिक्षण प्रयोग करने की आवश्यकता उभरकर सामने आती है। अतः दल शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

दल शिक्षण एक व्यवस्था है जिसमें समूह के शिक्षक अपनी क्रियाओं को स्वयं निर्धारित करते हैं। उन्हें कार्य के चयन की पूर्ण स्वतंत्रता होती है। प्रत्येक शिक्षक अपने कौशल व्यक्तित्व अनुभव तथा विशेष योग्यताओं का प्रयोग करने का प्रयास करता है। इसके अंतर्गत विद्यालय सुविधाओं का भी अधिक से अधिक प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है।

दल शिक्षण व्यवस्था का वह स्वरूप है जिसमें दो या दो से अधिक शिक्षक अपने स्रोतों, अभिरुचि और छात्रों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण अधिगम संपन्न करते हैं तथा वे विद्यालय की सुविधाओं का समुचित उपयोग करते हैं।

दल शिक्षण परंपरागत शिक्षण के स्थान पर एक ऐसा नवाचार है। जिसमें शिक्षण में सुधार लाने एवं गुणात्मक ताकि वृद्धि के लिए एक ही कक्षा में कई शिक्षक मिलकर शिक्षण कार्य करते हैं।

डेविड वारविक के अनुसार, ’’टोली शिक्षण व्यवस्था का एक स्वरूप है, जिसमें कई शिक्षक अपने स्रोतों, अभिरुचियों तथा दक्षताओं को एकत्रित करते हैं और छात्रों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षकों की एक टोली द्वारा प्रस्तुत किया जाता है वे विद्यालय की सुविधाओं का समुचित उपयोग करते हैं।’’

प्रो. कार्लो औलसन् महोदय के अनुसार, ’’ अतिरिक्त ज्ञान एवं कौशल से युक्त दो-तीन अध्यापक परस्पर सहयोग से किसी शीर्षक की शिक्षण योजना का निर्माण करते हैं एवं एक ही समय में छात्र समूह को पढ़ाते हैं तब वह विधि दल शिक्षण विधि कहलाती है।’’

जे.पी.पुरोहित के अनुसार, ’’दल शिक्षण विधि अध्यापक की आधुनिक तकनीक है। इस विधि में दो या दो से अधिक अध्यापक मिलकर नियमित रूप से किसी कक्षा की अध्ययन सम्बन्धी योजना बनाते हैं, उसे क्रियान्वित करते हैं तथा उसका मूल्यांकन करते हैं।’’

शैयलिन तथा ओल्ड के अनुसार, ’’दल शिक्षण अनुदेशात्मक संगठन का वह प्रकार है जिसमें शिक्षण प्रदान करने वाले व्यक्तियों  को कुछ छात्र सौंप दिये जाते है। शिक्षण प्रदान करने वालों की संख्या दो या उससे अधिक होती है जिन्हें शिक्षण का दायित्व सौंपा जाता है वे एक ही छात्र समूह को सम्पूर्ण विषयवस्तु या उसके किसी महत्वपूर्ण अंग का एक साथ शिक्षण कार्य करते हैं।’’













टोली शिक्षण की विशेषता -
1- टोली शिक्षण में दो या अधिक शिक्षक शिक्षण कार्य करते हैं। 
2- टोली शिक्षण छात्रों और शिक्षकों में सुधार करने का पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। 
3- टोली शिक्षण के पश्चात शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया के लिए जो बेहतर होता है,  शिक्षक या अधिगमकर्ता दोनों को प्राप्त होता है। 
4- टोली शिक्षण के पश्चात शिक्षकों में समूह की भावना विकसित होती है।





दल शिक्षण के उद्देश्य :-

  • शिक्षकों की उपलब्ध संख्या में से विशेषज्ञों का सर्वोत्तम उपयोग करना।
  • एक से अधिक व्यक्तियों के कौशलों का उपयोग करते हुए शिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाना।
  • शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सहयोग तथा दल में परस्पर धनात्मक दृष्टिकोण का विकास करना।
  • प्रशिक्षक, विद्यार्थी-शिक्षकों की विशेष विषयवस्तु से संबंधित आवश्यकताओं को संतुष्ट करने एवं उससे संबंधित कठिनाइयों को दूर करने में सामूहिक सहायता प्रदान करते हैं।
  • शिक्षण तथा मूल्यांकन में सामूहिक जिम्मेदारी से संबंधित भावना का विकास करना।
  • विद्यार्थी शिक्षकों में समूह में अध्ययन-अध्यापन की आदतें विकसित करना।






दल शिक्षण के प्रकार :-

जब दो या दो से अधिक शिक्षक मिलकर शिक्षण करते हैं तो वह चार प्रकार से संयोजित हो सकते हैं। इसी आधार पर दल शिक्षण को निम्नलिखित चार प्रकारों में विभाजित किया गया है ।

  • एक ही कक्षा में कालांश हेतु दल शिक्षण ।
  • योग्यता व कौशल आधारित दल ।
  • विशेषज्ञता आधारित दल शिक्षण।
  • श्रृंखलाबद्ध तंत्र आधारित दल


एक ही कक्षाकक्ष में कालांश हेतु शिक्षण :- इस प्रकार के दल शिक्षण में दल के सदस्य एक ही प्रकार के विभिन्न पक्षों को एक ही कक्षा कक्ष में एवं एक ही कालांश में चर्चा करते हैं। तथा इन पक्षों में प्रत्येक अपनी विशेषज्ञता के विशेष ज्ञान को जोड़ते हुए आपस में आदान-प्रदान करते हैं।

योग्यता व कौशल आधारित दल शिक्षण :- इस प्रकार के दल शिक्षण में विभिन्न शिक्षकों द्वारा इकाइयों का आवंटन विषय वस्तु आधारित न होकर विशेष क्षमता,कौशल आधारित होती है जैसे व्याख्यान, प्रदर्शन, निर्देशन, चर्चा आदि । एक अध्यापक व्याख्या से शिक्षण करता है तो दूसरा प्रदर्शन द्वारा तथा तीसरा प्रोजेक्ट शिक्षण में आता है।

विशेष आधारित दल शिक्षण :- विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ युक्त शिक्षक पाठ्य निर्माण में मूल्यांकन तक संयुक्त रुप से जिम्मेदारियों के लिए निर्देशित होते हैं । वह अपनी विशेषज्ञता एवं क्षेत्रों के आधार पर विषय वस्तु का आदान प्रदान करते हैं।

श्रृंखलाबद्ध तंत्र आधारित दल शिक्षण :– इसमें एक शिक्षक अनुदेशनात्मक प्रक्रिया को प्रारंभ करता है। जब वह पूर्ण कर लेता है तो दूसरा उसका अनुसरण करता है। एवं यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है यहां पर कौशल अथवा विशेष क्षमता आधारित कार्यों का आवंटन नहीं होता है प्रत्येक शिक्षक दूसरे के लिए किए गए कार्यों में सहायक, संवर्धन तथा पूरक कार्य करता है।

दल शिक्षण विधि के सिद्धांत:-

कक्षा के आकार तथा संरचना का सिद्धांत :- दल शिक्षण के उद्देश्य तथा कुछ विषयों में विद्यार्थियों की कठिनाई को दूर करने के उद्देश्य से कक्षा का आकार होना आवश्यक है । कि अधिगम स्थिति की आवश्यकता के अनुसार समूह, आकार व स्थान हो।

शिक्षकों को उनके दायित्व का प्रदत करने का सिद्धांत :– शिक्षकों के कर्तव्य उनकी दक्षताओं के अनुसार सटीक होने चाहिए तथा दायित्व उनके विषय व विशेष रूचि से संबंधित होना चाहिए।

अधिगम वातावरण का सिद्धांत :- सटीक शिक्षण सहायक सामग्री तथा अन्य विधाओं का उपयोग करते हुए अधिगम वातावरण का निर्माण करना चाहिए । समग्र वातावरण का समुचित उपयोग करने का दायित्व शिक्षक का होता है जैसे कक्षा कक्ष प्रयोगशाला में पुस्तकालय आदि सभी का उपयोग होना चाहिए। दल शिक्षण क्या है

समय तत्व का सिद्धांत :- उक्त प्रकरणों पाठ के प्रमुख व्याख्यान तथा समूह कार्य के अनुरूप समय का निर्धारण होना चाहिए था । एक लचीली समय सारणी आवश्यक है तथा सभी पाठकों ने एक समय अधिक होने चाहिए। समय तत्व का सिद्धांत एक लचीली समय सारणी आवश्यक है l तथा सभी पाठ एक निश्चित समय अवधि के भीतर होने चाहिए।

पर्यवेक्षक का सिद्धांत :- दल शिक्षण का उद्देश्य विशेषज्ञ शिक्षकों का उपयोग करते हुए विषय सामग्री का विकास हुआ प्रस्तुति करना है । अतः एक प्रकरण के ज्ञान के विभिन्न पदों को आत्मसात करने के लिए पर्यवेक्षक व मूल्यांकन भी आवश्यक है। जो भी कार्य सदस्य द्वारा किया जा रहा है वह कैसे और किस रूप में किया जा रहा है ? तथा विद्यार्थी कितना सीख रहा है ? आदि सभी तथ्यों एवं पदों का मूल्यांकन करते रहने से ही दल शिक्षण को उचित दिशा मिल सकती है।

निर्देशन के स्तर का सिद्धांत :- समूह के विद्यार्थी-शिक्षकों के प्रारंभिक व्यवहार निश्चित होने चाहिए । अतः शिक्षण के प्रत्येक सदस्यों का प्रस्तुतीकरण कक्षा – कक्ष में सामंजस्य से युक्त होना चाहिए।

दल शिक्षण प्रणाली सोपान–

  • योजना
  • व्यवस्था
  • मूल्यांकन









दल-शिक्षण 
की कार्यप्रणाली






दल के निर्माण की प्रक्रिया 

1.विभिन्न संस्थाओं के विभिन्न विभागों के अध्यापक ।
2. एक ही संस्था के एक ही विभाग के अध्यापक ।
3.विभिन्न संस्थाओं के एक ही विभाग के अध्यापक।
4. एक ही संस्था के विभिन्न विभागों के अध्यापक ।


















दल-शिक्षण के सत्र

⇒ आम सभा सत्र: दल के नेता द्वारा अध्यापकों का परिचय करवाते हुए प्रकरण की सूचना देना तथा मुख्य बिन्दुओं की चर्चा।

⇒ लघुसभा सत्रः आमसभा सत्र में छूटे हुए बिन्दुओं पर सहयोगी अध्यापकों द्वारा चर्चा।
⇒ प्रयोगशाला सत्रः छात्र अपनी शंकाओं का समाधान संबंधित विशेषज्ञ से प्राप्त करते है।

दल शिक्षण विधि के लाभ:-

  1. विद्यार्थियों को खुली चर्चा करने का अवसर प्रदान किया जाता है।
  2. उचित मानवीय संबंध एवं सहयोग दृष्टिकोण बनाने में सहायक है।
  3. समय और शक्ति की बचत में सहायक है। 
  4. विशेषज्ञों का लाभ मिलता है जिससे अधिगम एवं शिक्षण दोनों का स्तर ऊंचा उठता है ।.
  5. उचित अनुशासन स्थापित करने में सहायक है।
  6. उचित पर्यवेक्षण में सहायक है।
  7. यह विधि विशेष ज्ञान प्रदान करती है।
  8. समय, धन एवं शक्ति का सदुपयोग होता है।
  9. छात्रों में अनुशासन भावना का विकास होता है।
  10. छात्रों को विभिन्न विषयों की आधुनिकतम जानकारी प्राप्त होती है।
  11. संतुलित सामाजिक विकास संभव।
 

दल शिक्षण विधि की सीमाएं:-

  1. विद्यालयों में भौतिक संसाधनों की कमी की समस्या।
  2. आर्थिक दृष्टि से खर्चीला।
  3. परंपरागत रूढ़िवादी अभिवृत्ति।
  4. अनेकता में एकता स्थापित करने में कठिनाई।
  5. उत्तरदायित्व के विभाजन में कठिनाई ।
  6. शिक्षकों में प्रतियोगिता एवं सहयोग का अभाव।
  7. संरचना में लचीलापन आवश्यक है।
  8. आर्थिक भार अधिक हो जाता है।
  9. समन्वय करने में कठिनाई हो जाती है
  10. दल के सदस्यों में सहयोग की भावना कम ही पाई जाती है।
  11. सम्पूर्ण पाठ्यक्रम नहीं होता है।
  12. स्वतंत्र शिक्षण का हनन
  13. अतिरिक्त व्यवस्था की आवश्यकता
  14. शिक्षकों का अभाव





























































🍃🍂 ट्यूटोरियल विधि~
इस पद्धति में कक्षा को छात्र की क्षमता के अनुसार समूह में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक समूह को शिक्षक के द्वारा संभाला जाता है, और छात्र के पिछले ज्ञान के अनुसार नए ज्ञान को दिया जाता है।
अर्थात इसके अंतर्गत छात्रों को एक साथ ना रखकर उनकी योग्यता व क्षमता के अनुसार अलग-अलग कक्षाओं में बस समूहों में बिठा दिया जाता है। उसके पश्चात उनको शिक्षक की सहायता से एक सामान्य स्तर पर लाया जाता है। इस पद्धति के अंतर्गत हम यह भी कह सकते हैं, कि यह एक प्रकार से उपचारात्मक शिक्षण हो रहा है, अथवा उपचारात्मक शिक्षण का ही एक प्रकार है।

UNIT III


i. Integrating Multimedia in education
शिक्षा में मल्टीमीडिया समन्वय

Concept of Multimedia
मल्टीमीडिया का प्रत्यय

साधारण शब्दों में देखा जाए तो मल्टीमीडिया एक ऐसी तकनीक है जिसमें टेक्स्ट डाटा इमेज और ग्राफिक्स और ऑडियो और वीडियो को मिलाकर डिजिटल रूप से इस तरीके से प्रस्तुत किया जाता है कि जिससे सूचना बेहतर और प्रभावी ढंग से यूजर को प्राप्त हो सके पिक्चर और साउंड के रूप में डिस्प्ले की गई सूचना ही मल्टीमीडिया होती है अगर आप YouTube पर कोई वीडियो देख रहे हैं और उसमें आपको कोई जानकारी दी जा रही है तो वह जानकारी मल्टीमीडिया के माध्यम से ही आपको प्राप्त हो रही है यानी आपको वहां पर वीडियो भी दिखाई दे रहा है आपको इमेज भी दिखाई दे रही है साथ में आप को आवाज भी सुनाई दे रही है अकाउंट भी है टेक्स्ट भी है और डाटा भी है तो यह सबसे बढ़िया उदाहरण है मल्टीमीडिया का

पढने से अच्‍छा देखकर और सुनकर समझ आता है 

अगर आप किसी को किताब में से कोई कहानी पढ़ कर सुनाते हैं तो शायद वह उसे याद नहीं रहेगी लेकिन यदि आप उसी कहानी का कोई एनिमेटेड वीडियो बना देते हैं जिसमें कि उस कहानी के पात्रों का कार्टून हो और बैकग्राउंड में उसी स्थान का चित्र दिया गया हो साथ में कहानी के पात्र हैं वह आपस में बात कर रहे हो तो वह कहानी आपको ज्यादा अच्छे से समझ में आएगी यही प्रभाव होता है मल्टीमीडिया का या नहीं इसके माध्यम से आप जो भी चीज लोगों को बताना चाहते हैं वह उनको अच्छे से समझ में आ जाती है और उसमें इन सभी एलिमेंट्स का प्रयोग किया जाता है जैसे ऑडियो टेक्स्ट ग्राफिक्स एनिमेशन और वीडियो इन सभी को मिलाकर मल्टीमीडिया बनता है

मल्टीमीडिया पाठ, ग्राफिक्स, एनिमेशन, ऑडियो और वीडियो की प्रस्तुति है, जिसमें कंप्यूटरों का एक एकीकृत तरीके से कंप्यूटर में उपयोग किया जाता है, जबकि हाइपरमीडिया इंटरकनेक्टेड तरीके से उपरोक्त मीडिया का संकलन है। एक परिप्रेक्ष्य में हाइपरमीडिया मल्टीमीडिया का एक सबसेट है।

हाइपरमीडिया एक विस्तारित हाइपरटेक्स्ट सिस्टम के तत्वों के रूप में पाठ, डेटा, ग्राफिक्स, ऑडियो और वीडियो का उपयोग है जिसमें सभी तत्व जुड़े हुए हैं, जहां सामग्री हाइपरलिंक के माध्यम से सुलभ है। पाठ, ऑडियो, ग्राफिक्स और वीडियो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, जो आम तौर पर गैर-रेखीय प्रणाली के रूप में मानी जाने वाली सूचनाओं का संकलन बनाते हैं। आधुनिक वर्ल्ड वाइड वेब हाइपरमीडिया के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है, जहां सामग्री ज्यादातर समय इंटरैक्टिव है इसलिए गैर-रैखिक है। हाइपरटेक्स्ट हाइपरमीडिया का एक सबसेट है, और इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1965 में टेड नेल्सन ने किया था।

Hypermedia कंटेंट को Adobe Flash, Adobe Director और Macromedia Authorware जैसे निर्दिष्ट सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके विकसित किया जा सकता है। Adobe Acrobat और Microsoft Office सुइट के रूप में कुछ व्यावसायिक सॉफ़्टवेयर दस्तावेज़ में ही हाइपरलिंक्स के साथ सीमित हाइपरमीडिया सुविधाएँ प्रदान करते हैं।







शिक्षा के क्षेत्र में मल्टीमीडिया

शिक्षा के क्षेत्र में मल्टीमीडिया का बहुत प्रभाव पड़ा है आजकल हमारी स्कूलों में आप देख रहे होंगे कि स्मार्ट क्लास का चलन ज्यादा बढ़ गया है स्मार्ट क्लास और कुछ नहीं मल्टीमीडिया क्लासेस हैं जिनमें किसी भी विषय को मल्टीमीडिया के माध्यम से समझाया जाता है जिसमें कि टेक्स्ट ग्राफिक्स एनिमेशन का प्रयोग किया जाता है जिससे वह विषय छात्रों को ज्यादा अच्छे से समझ में आता है 

शिक्षा मल्टीमीडिया का उपयोग करने वाला एक प्रमुख क्षेत्र है जहाँ मल्टीमीडिया सामग्री पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस तरह के प्रशिक्षण को कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण के रूप में जाना जाता है। इंजीनियरिंग और विज्ञान में, ग्राफिकल सिमुलेशन का उपयोग वास्तविक समझ या घटनाओं को बेहतर समझ देने के लिए किया जाता है। चिकित्सा में, सर्जरी को एक मानव को सीधे प्रभावित किए बिना एक आभासी वातावरण का उपयोग करके प्रशिक्षित किया जाता है। मांग प्रदर्शन के साथ पायलट और अन्य कर्मियों को आभासी वातावरण के साथ प्रशिक्षित किया जा सकता है, जहां सिस्टम मल्टीमीडिया तकनीकों पर आधारित हैं।
स्लाइड प्रस्तुति मल्टीमीडिया का एक प्राथमिक स्तर का उदाहरण है, जहां जानकारी को ग्राफिक्स या एनिमेशन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसे ध्वनि या वीडियो के साथ एकीकृत किया जाता है। प्रस्तुति का यह व्यापक दृष्टिकोण आधुनिक समाज में मल्टीमीडिया के व्यापक अनुप्रयोग प्राप्त करता है।

मल्टीमीडिया क्या है? (What is Multimedia?)

मल्टीमीडिया, अंग्रेजी के "Multi" और "Media" शब्दों से मिलकर बना है। "Multi" शब्द का अर्थ होता है "बहु" यानी कई सारे, और "Media" का अर्थ होता है "माध्यम"। अगर आसान सब्दों में समझे तो, मल्टीमीडिया एक माध्यम होता है जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार की जानकारी को कई प्रकार के माध्यम जैसे - वीडियो, ऑडियो, टेक्स्ट, इमेज, एनिमेशन, ग्राफिक्स, आदि का संयोजन (Combine) करके उपयोगकर्ता (Users) तक पहुंचाया जाता हैं।

किसी भी सूचना को किसी माध्यम द्वारा ही प्रस्तुत किया जा सकता है। जिस सूचना को प्रस्तुत करने के लिए एक साथ एक से अधिक माध्यम का प्रयोग किया जाता है, उसे मल्टीमीडिया कहा जाता है। मल्टीमीडिया कंप्यूटर और यूजर्स के बीच दो तरफा संवाद (Two Way Communication) स्थापित करता है। मल्टीमीडिया के अंतर्गत जानकारी या सूचनाओं को टेक्स्ट, इमेजेस, वीडियो, ऑडियो, एनिमेशन, ग्राफिक्स, इत्यादि के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है।



समय के साथ साथ मल्टीमीडिया क्षेत्र में भी काफी सुधार हुई हैं। पहले कंप्यूटर के माध्यम से केवल स्थिर फोटोस या इमेजेस को ही send या transfer किया जा सकता था, पर आज हम हर प्रकार की मीडिया जैसे - वीडियो, ऑडियो, इमेजेस, टेक्स्ट, एनिमेशन, ग्राफिक्स, आदि को आसानी से कहीं पर भी send या transfer कर सकते हैं।

मल्टीमीडिया की परिभाषा? (Definition of Multimedia?)

मल्टीमीडिया कई सारे तत्वों (Elements) जैसे - Video, Audio, Images, Sound, Animation, Art, Etc. का समूह होता है। सभी तत्वों को किसी कंप्यूटर या किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के माध्यम से उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाया जाता है।मल्टीमीडिया दो शब्दों "मल्टी" और "मीडियम" से मिलकर बना है। इसमें सभी प्रकार के मीडिया जैसे - टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, ऑडियो, आदि शामिल हैं। इसमें सभी जानकारी या सूचना को Digitally प्रोसेस किया जाता हैं।
     

मल्टीमीडिया के तत्व (Elements of Multimedia)

मल्टीमीडिया के निम्न तत्व होते हैं :

1) टेक्स्ट (Text)
टेक्स्ट अक्षर (Letters), अंक (Numbers), और विशेष चिन्हों (Special Characters) के माध्यम से सूचना को प्रस्तुत करते हैं। टेक्स्ट को ग्राफिक्स, चित्र, आवाज़, एनिमेशन या वीडियो के साथ जोड़ा जा सकता है। टेक्स्ट को अलग-अलग रंग (Colour), फ़ॉन्ट्स (Fonts), तथा त्री-आयामी प्रभाव (3 Dimensional Effects) द्वारा और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

2) चित्र या लेखाचित्र (Pictures & Graphics)
मल्टीमीडिया में चित्र या लेखाचित्र का भी प्रयोग किया जाता है। कंप्यूटर में इसे डिजिटल डाटा के रूप में स्टोर किया जाता है। इसे स्टोर करने के लिए कुछ प्रचलित सॉफ्टवेयर है -

 GIF (graphical interchange format)
यह इमेज का एक फॉर्मेट होता है, GIF इमेजेस एनिमेटेड फोटोस होती है। इसमें 8 bit कलर इमेज का प्रयोग होता है।

 JPEG (joint photographic expert group)
JPEG भी फोटो की एक एक्सटेंशन फॉरमैट होती है। इसमें 24 bit कलर इमेज का प्रयोग किया जाता है। 24 बिट कलर True Colour कहलाता है।

 बिटमैप ग्राफिक्स (Bitmap Graphics)
बिटमैप ग्राफिक्स में चित्र या लेखाचित्र को bits और pixel में विभाजित करके कंप्यूटर पर स्टोर किया जाता है। Scanner तथा डिजिटल कैमरा के के फोटोस Bitmap Graphics में स्टोर किए जाते हैं। कुछ प्रचलित बिटमैप ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर है - Adobe Photoshop, Corel Draw, 3D Studio, Etc.

 वेक्टर ग्राफिक्स (Vector Graphics)
वेक्टर ग्राफिक्स में चित्र या लेखाचित्र बनाने के लिए गणितीय अक्ष (Mathematical Axis) का प्रयोग किया जाता हैं। इससे ग्राफिक्स में बार बार परिवर्तन करना आसान होता है। इसका उपयोग कार्टून बनाने तथा एनिमेशन में किया जाता है।
 

  
3) ध्वनि (Audio)
वे ध्वनि तरंगें जिन्हें हम सुन सकते हैं, Audio या आवाज कहलाते हैं। ऑडियो मल्टीमीडिया का अभिन्न अंग है। ऑडियो संकेतों का Frequency Range 200 Hz से 3200 Hz तक होता है जबकि मनुष्य 20 Hz से 20 किलो Hz Frequency की ध्वनि सुं सकता है। ऑडियो एनालॉग सकेत होता है। इसे Microphone द्वारा विद्युत तरंगों (Electronic Signals) में बदला जाता हैं।

इन इलेक्ट्रॉनिक सिगनल्स को डिजिटल डाटा में बदलकर कंप्यूटर में स्टोर किया जाता है। इस डिजिटल ऑडियो को सुनने के लिए इन्हें विद्युत तरंगों में बदला जाता है। स्पीकर या हेडफोन इन विद्युत तरंगों को एनालॉग ध्वनि तरंगों में बदलते हैं जिसे हमारे काम सुन पाते हैं। कंप्यूटर द्वारा Artificial Digital Audio Data तैयार किया जा सकता है जिसे हम स्पीकर या हेडफोन के जरिए सुन सकते हैं। इसके लिए कंप्यूटर में Sound Card हार्डवेयर का होना जरूरी है। मल्टीमीडिया कंप्यूटर ऑडियो डाटा उत्पन्न करने, उन्हें रिकॉर्ड करने तथा Play करने में सक्षम होता है। कुछ प्रचलित ऑडियो फाइल फॉरमैट है :

 MPEG - Motion Picture Expert Group Audio
 MP3 - MPEG Audio Layer 3
 WAV - Waveform Audio File Format
 MIDI - Musical Instrument Digital Interface, Etc.



4) वीडियो (Video)
मल्टीमीडिया कंप्यूटर वीडियो चित्र की श्रृंखला रिकॉर्ड, एडिट (Edit), स्टोर तथा प्ले (Play) कर सकता है जिसे कंप्यूटर मॉनिटर पर देखा जा सकता है। इसके लिए वीडियो कार्ड हार्डवेयर का होना जरूरी है। आजकल मल्टीमीडिया कंप्यूटर का उपयोग मनोरंजन के क्षेत्र में वीडियो रिकॉर्ड करने, वीडियो चित्र देखने तथा वीडियो गेम आदि में किया जा रहा है।

5) स्ट्रीमिंग (Streaming)
ऑडियो या वीडियो डाटा की फाइल काफी मेमोरी घेरती है तथा इंटरनेट पर इसके स्थानांतरण (Download) होने में काफी समय लगता है। और डाउनलोड ऑडियो या वीडियो डाटा का इस्तेमाल हम तभी कर सकते हैं जब फाइल को पूरी तरह डाउनलोड कर दिया गया हो। इस समस्या के समाधान के लिए Streaming तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

इस तकनीक द्वारा ऑडियो/वीडियो फाइल को कंप्रेस (Compress) कर दिया जाता है जिससे वह कम स्थान घेरती है। इसके अलावा, फाइल को तुरंत ही चालू यानी कि Play कर दिया जाता है। जब फाइल प्ले हो रही हो, उसी दौरान फाइल के बाकी हिस्से भी डाउनलोड होते रहते हैं। इस प्रकार, फाइल का प्रयोग करने के लिए पूरी फाइल के डाउनलोड होने तक का इंतजार नहीं करना पड़ता है। इसे Streaming कहते है। YouTube Video Streaming, इसका एक सबसे प्रचलित उदाहरण है।
     
6) एनीमेशन (Animation)
स्थिर लेखाचित्र (Still Graphic Images) का समूह जिसे एक के बाद एक लगातार इस तरह दिखाया जाता है कि चित्र में गति का आभास हो, एनिमेशन (Animation) कहलाता है। एनिमेशन में चित्रों की एक श्रृंखला होती है जिसमें प्रत्येक चित्र को एक निश्चित समयांतराल (Interval) के बाद अगले चित्र से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है ताकि चित्र गतिमान दिखाई पड़े।

इसके लिए 1 सेकंड में कम से कम 25 से 30 क्रमबद्ध चित्र दिखाना पड़ता है। एनिमेशन का उपयोग विज्ञापन, कार्टून, फिल्म, वीडियो गेम, सिनेमा तथा वर्चुअल रियलिटी आदि में किया जा रहा है। एनिमेशन का प्रयोग सामान्य रूप से उन प्रभावों को दर्शाने के लिए भी किया जाता है जहां वीडियोग्राफी संभव नहीं है। एनिमेशन के लिए 3D Studio, Animator Studio, Adobe Photoshop आदि सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है।

7) मल्टीमीडिया किओस्क (Multimedia Kiosk)
Kiosk एक इंटरएक्टिव मल्टीमीडिया कंप्यूटर है। इसमें कंप्यूटर स्क्रीन पर स्थित Graphical User Interface (GUI) वाले आइकन को अंगुलियों से छूकर संग्रहित सूचना प्राप्त की जा सकती है। इसमें सूचना को टेक्स्ट, इमेज, एनीमेशन, साउंड या वीडियो या इनके सम्मिलित रूप में प्रकट किया जा सकता है। कियोस्क का उपयोग सार्वजनिक स्थानों जैसे - रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, अस्पताल, पर्यटन स्थल, होटल आदि पर उपयोगी जानकारी देने के लिए किया जाता है।


मल्टीमीडिया का महत्व (Importance of Multimedia)

आज के मॉडर्न और डिजिटल युग में मल्टीमीडिया का महत्व काफी ज्यादा बढ़ गया है। मल्टीमीडिया की मदद से हम किसी भी जानकारी या सूचना को आसानी से किसी भी मीडिया जैसे - वीडियो, इमेजेस, ऑडियो, टेक्स्ट, एनिमेशन, आदि के जरिए प्राप्त कर सकते हैं। मल्टीमीडिया के जरिए ही, किसी भी सूचना को कहीं भी तुरंत send या transfer किया जा सकता है। संचार (Communication) का यह सबसे बढ़िया और आसान जरिया हैं, इसमें communicate करने के कई सारे साधन उपलब्ध हैं।
     

मल्टीमीडिया के प्रकार (Types of Multimedia)

☆ Television
टेलीविजन के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे, आजकल सभी के घर पर टीवी होता हैं। टेलीविजन भी एक मल्टीमीडिया डिवाइस होता है। इसमें मल्टीमीडिया का भरपूर उपयोग होता है। इसमें मल्टीमीडिया के द्वारा ही सभी फिल्मों और नाटकों को बहुत ही अच्छी तरह से दर्शाया जाता है। इसमें ग्राफिक्स और एनिमेशन का प्रयोग किया जाता हैं।

 Storage Devices
सभी प्रकार के स्टोरेज डिवाइस भी मल्टीमीडिया उपकरण में शामिल हैं। स्टोरेज डिवाइसेज में हम वीडियोस, ऑडियो, इमेजेस, टेक्स्ट, ग्राफिक्स, एनिमेशन, इत्यादि प्रकार की फाइलों को स्टोर कर सकते हैं, इस प्रकार स्टोरेज डिवाइस भी मल्टीमीडिया के प्रकार में शामिल होता है। स्टोरेज डिवाइसेज के उदाहरण - Hard Disk, Pen Drive, DVD, CD ROM, Etc.

 Computer System
कंप्यूटर सिस्टम एक ऐसा डिवाइस या मशीन हैं जहां से हम एनिमेशन, वीडियो, इमेजेस, ऑडियो, आदि को बना भी सकते हैं, और उसमे edit भी कर सकते हैं। सभी ग्राफिक डाटा, एनिमेशन, इत्यादि कंप्यूटर के जरिए ही बनाए जाते हैं। कंप्यूटर एक मल्टीमीडिया डिवाइस हैं, यह सायद किसी को बताने की जरूरत नहीं है। कंप्यूटर सिस्टम के उदाहरण - Desktop, Laptop, Workstation, Smartphones, Tablets, Etc.

 Kiosk System
Kiosk, एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है, जिसके स्क्रीन में touch करके किसी जानकारी को प्राप्त किया जाता हैं। इसमें कंप्यूटर स्क्रीन पर स्थित Graphical User Interface (GUI) वाले आइकन को अंगुलियों से छूकर संग्रहित सूचना प्राप्त की जा सकती है। इसमें सूचना को टेक्स्ट, इमेज, एनीमेशन, साउंड या वीडियो या इनके सम्मिलित रूप में प्रकट किया जा सकता है।
    

Requirements of Multimedia Computer System

 एक कंप्यूटर
 कम से कम 512 MB क्षमता  की मुख्या मेमोरी (RAM)
 विडियो कार्ड (Video Card)
 ऑडियो कार्ड (Audio Card)
 स्पीकर (Speaker)
 CD ROM या DVD Drive
 MPEG Card
 मल्टीमीडिया सॉफ्टवेर
 माइक (Mic)
 वेब कैमरा (Web Cam), इत्यादि।

मल्टीमीडिया के उपयोग (Uses of Multimedia)

 शिक्षा को रोचक और इंटरएक्टिव बनाने के लिए मल्टीमीडिया का उपयोग किया जाता है। Virtual Class तथा e-learning में मल्टीमीडिया का प्रयोग किया जा रहा है।
 फिल्म देखने, वीडियो गेम खेलने, एनिमेशन तथा कार्टून फिल्म के निर्माण में मल्टीमीडिया का प्रयोग किया जाता है।
 मल्टीमीडिया का उपयोग खेल, कला, ड्राइविंग जैसे अनेक क्षेत्रों में प्रशिक्षण (Training) के लिए किया जाता है।
 व्यापार के क्षेत्र में आकर्षक विज्ञापन तैयार करने में।
 Virtual Reality के निर्माण में।
 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) में।
 मल्टीमीडिया किओस्क (Multimedia Kiosk) द्वारा सूचना प्रदान करने में।
 फिल्मों में स्पेशल इफेक्ट्स डालने के लिए।
 किसी सूचना को बेहतर व प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करके लोगों तक पहुंचाने के लिए।

मल्टीमीडिया के फायदे (Advantages of Multimedia)

 मल्टीमीडिया, संचार (Communication) का एक सबसे बेहतर साधन माना जाता है।
 इसके जरिए High Quality के Presentation प्रस्तुत या provide किया जा सकता है।
 मल्टीमीडिया के जरिए किसी भी विषय के बारे में सीखने की प्रभावशीलता में वृद्धि होती हैं।
 यह प्रशिक्षण की लागत (Training Cost) को कम करता है।
 इसका इस्तेमाल Wide Variety of Audience के रूप में किया जा सकता है।
 इसका मनोरंजन और शैक्षिक क्षेत्र में काफी ज्यादा योगदान रहता है।
 यह Multi - Sensorial होता है। मतलब यह कि यूजर्स इसमें कंटेंट को देखने, पढ़ने या सुनने के लिए सभी Senses का इस्तेमाल करते हैं।
 यह पूरी तरह से User Friendly होते हैं।
 यह बहुत ही Flexible होता है। इसमें मीडिया को आसानी से बदला जा सकता है।
 यह System Portability प्रदान करता है।
 यह इस्तेमाल में बहुत ही ज्यादा आसान होता है।
     

मल्टीमीडिया के नुकसान (Disadvantages of Multimedia)

 इसके लिए विशेष हार्डवेयर की आवश्यकता होती है।
 संकलन (Compile) होने में समय लेता है।
 मल्टीमीडिया का यूजर्स द्वारा कई बार Misuse भी किया जाता है।
 कई बार इसमें बहुत ज्यादा जानकारी होने के कारण Information Overload हो जाता है।
 मल्टीमीडिया में कई बार बहुत सारे Resources की जरूरत पड़ती है, इसे में यह काफी ज्यादा Expensive भी हो सकता है।
 हर डिवाइसेज में मल्टीमीडिया के सभी फाइल्स सही तरीके से सपोर्ट नहीं करता है, इसलिए इसमें Compatibility की Problem अक्सर देखने को मिलती हैं।
 इसे Configure करने भी आसान नहीं होता है।


Meaning of text, graphics, animation and audio- video
टेक्स्ट, ग्राफिक्स, एनिमेशन, ऑडियो एवं वीडियो का अर्थ


ii. Multimedia applications: मल्टीमीडिया अनुप्रयोग

Computer based Training कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण






कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षा (सीबीटी/CBT) एक कंप्यूटर या हस्तचालित उपकरण के माध्यम से सुलभ स्व-संचालित शिक्षा गतिविधियां हैं। सीबीटी आम तौर पर एक रैखिक फैशन में सामग्रियों को प्रस्तुत करता है जो बहुत कुछ एक ऑनलाइन पुस्तक या नियम-पुस्तिका को पढ़ने की तरह ही होता है। इसी वजह से इनका इस्तेमाल अक्सर स्थिर प्रक्रियाओं को सिखाने के लिए किया जाता है, जैसे - सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना या गणितीय समीकरण को पूरा करना। विनिमयशीलता की दृष्टि से कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षा संज्ञा का इस्तेमाल अक्सर वेब-आधारित प्रशिक्षा (डब्ल्यूबीटी/WBT) के साथ किया जाता है जिनका प्राथमिक अंतर इनकी वितरण पद्धति है। जहां सीबीटी (CBT) को आम तौर पर सीडी-रोम (CD-ROM) के माध्यम से वितरित किया जाता है, वहीं डब्ल्यूबीटी (WBT) को एक वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल कर इंटरनेट के माध्यम से वितरित किया जाता है। सीबीटी (CBT) में शिक्षा का मूल्यांकन बहुविकल्पी प्रश्नों के रूप में या अन्य मूल्यांकन के रूप में प्रकट होता है जिसे एक कंप्यूटर के द्वारा आसानी से अंकित किया जा सकता है, जैसे - ड्रैग एण्ड ड्रॉप (खींचे एवं छोड़ें), रेडियल बटन, अनुकरण या अन्य संवादात्मक साधन। अंत-उपयोगकर्ता की तत्काल प्रतिक्रिया एवं पूर्णता की स्थिति की सूचना प्रदान कर मूल्यांकन को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से आसानी से अंकित और दर्ज किया जा सकता है। उपयोगकर्ता अक्सर प्रमाण-पत्रों के रूप में परिपूर्ण रिकॉर्ड (अभिलेख) को प्रिंट (मुद्रित) करने में सक्षम होते हैं।

सीबीटी (CBT) पाठ्यपुस्तक, नियमपुस्तिका, या कक्षा-आधारित शिक्षा के पारंपरिक शिक्षा पद्धतियों से काफी अलग तरह की शिक्षा प्रेरणा प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, सीबीटी (CBT) सतत शिक्षा आवश्यकताओं की संतोषजनक पूर्ति के लिए उपयोगकर्ता-अनुकूल समाधान प्रदान करते हैं। छात्रों को पाठ्यक्रम में भाग लेने या मुद्रित नियमपुस्तिकाओं को पढ़ने से सीमित करने के बजाय, छात्र उन तरीकों के माध्यम से ज्ञान और कौशल प्राप्त करने में सक्षम होते हैं जो व्यक्तिगत शिक्षा वरीयताओं के लिए बहुत अधिक अनुकूल होते हैं। उदाहरण के लिए, सीबीटी (CBT) एनीमेशन या वीडियो के माध्यम से दृश्य शिक्षा लाभ प्रदान करते हैं, जो आम तौर पर अन्य किसी भी साधन से प्राप्त नहीं होते हैं।

सीबीटी (CBT) मुद्रित शिक्षा सामग्रियों का एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि शिक्षा में वृद्धि करने के लिए वीडियो या एनीमेशन समेत संपन्न माध्यम को बड़ी आसानी से अंतःस्थापित किया जा सकता है। सीबीटी (CBT) का एक और लाभ यह भी है कि एक बार आरंभिक विकास कार्य पूरा हो जाने पर इन्हें व्यापक दर्शकों को अपेक्षाकृत कम लागत पर आसानी से वितरित किया जा सकता है।

हालांकि, सीबीटी (CBT) साथ में कुछ शिक्षा चुनौतियों को भी जन्म देती हैं। आम तौर पर प्रभावी सीबीटी (CBT) के निर्माण के लिए अत्यधिक संसाधनों की जरूरत पड़ती है। सीबीटी (CBT) (जैसे - फ्लैश (Flash) या एडोब डायरेक्टर (Adobe Director)) को विकसित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सॉफ्टवेयर अक्सर एक विषय-वस्तु विशेषज्ञ या शिक्षक की उपयोग क्षमता की तुलना में अधिक जटिल होता है। इसके अलावा, मानव बातचीत की कमी प्रस्तुत किए जा सकने वाले सामग्री के प्रकार के साथ-साथ प्रदर्शित किए जा सकने वाले मूल्यांकन के प्रकार को भी सीमित कर सकते हैं। कई शिक्षा संगठन एक व्यापक ऑनलाइन प्रोग्राम के भाग के रूप में छोटे-छोटे सीबीटी/डब्ल्यूबीटी (CBT/WBT) गतिविधियों का इस्तेमाल करना शुरू कर रहे हैं जिसमें ऑनलाइन चर्चा या अन्य संवादात्मक तत्व शामिल हो सकते हैं।

सीबीटी (कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण)  परीक्षण और सीखने की सामग्री का एक संग्रह है जो कर्मचारियों और छात्रों की परीक्षा में मदद करता है। ये प्रणालियां यह सुनिश्चित करने में मदद करती हैं कि सभी कर्मचारी या छात्र  नीतियों पर अप-टू-डेट हैं और समझते हैं कि उन्हें प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है।

CBT को CBE (कंप्यूटर-आधारित शिक्षा), CBI (कंप्यूटर-आधारित निर्देश), CBL (कंप्यूटर-आधारित शिक्षा), और WBT (वेब-आधारित प्रशिक्षण) के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है।


कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण:

शैक्षिक प्रौद्योगिकी ने इंटरनेट से बहुत पहले ही भविष्य में अपनी पहली बड़ी छलांग लगा दी थी।

जब से कंप्यूटर एक छोटे से कमरे के आकार के थे, लोगों ने शैक्षिक उपयोग के लिए नई तकनीक की क्षमता को महसूस किया था। उन्होंने इसके साथ प्रयोग करना शुरू किया और मानव सीखने के अनुभव को बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करने की योजना बनाई।

तब तक, कई अग्रणी शैक्षिक सिद्धांतों ने व्यक्तिगत सीखने के अभ्यास को बढ़ावा दिया था। यह कक्षा-आधारित, शिक्षक-नेतृत्व वाली प्रक्रियाओं की तुलना में बहुत अलग दृष्टिकोण था। शिक्षार्थी स्वयं सीखने की सामग्री के साथ बातचीत करेंगे , बीच-बीच में संक्षिप्त परीक्षण करेंगे और अपनी प्रगति की स्वयं जांच करने के लिए स्वचालित प्रतिक्रिया प्राप्त करेंगे।

हालांकि, शिक्षार्थियों के बड़े समूहों के लिए व्यक्तिगत निर्देश विधियों को लागू करना अभी भी मुश्किल था।

कंप्यूटर तकनीक ने पहली बार ऐसा संभव बनाया है। कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने नई तकनीक को पहले के दूरदर्शी सिद्धांतों के साथ जोड़ा, और जल्द ही, उन्होंने पहला कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर विकसित किया।

तब से, चीजों ने अपना रास्ता बना लिया।

कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण क्या है?

आमतौर पर सीबीटी के रूप में जाना जाता है, कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण (जिसे कंप्यूटर-आधारित शिक्षा या कंप्यूटर-आधारित निर्देश के रूप में भी जाना जाता है) एक इंटरैक्टिव प्रशिक्षक-कम शैक्षिक प्रक्रिया है।

व्यावहारिक रूप से, शिक्षार्थी कंप्यूटर के माध्यम से विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री के साथ अंतःक्रिया करते हैं। कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम विभिन्न आकार और रूपों में आते हैं। वे मल्टीमीडिया-संवर्धित पाठ्यपुस्तकें, ट्यूटोरियल, अभ्यास अभ्यास या सूक्ष्म-विश्व सिमुलेशन भी हो सकते हैं। शिक्षण सामग्री कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर पैकेज में आती है। इन पाठ्यक्रमों तक पहुँचने और लेने के लिए, शिक्षार्थियों को यह जानना होगा कि ऐसे सॉफ़्टवेयर का उपयोग कैसे किया जाता है।

सीबीटी प्रशिक्षण लगभग तब तक रहा है जब तक कंप्यूटर है। हालांकि, सीबीटी की जड़ें पहले से मौजूद व्यक्तिगत प्रशिक्षण दृष्टिकोणों में खोजी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, प्रोग्राम किए गए निर्देश और महारत सीखने में कुछ बुनियादी लक्षण होते हैं जो कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण को परिभाषित करते हैं:

- सूचना के छोटे-छोटे टुकड़ों को चरणबद्ध तरीके से वितरित करना।
- शिक्षार्थियों को समय-समय पर पाठ का जवाब देने के लिए प्रोत्साहित करना, उदाहरण के लिए, संक्षिप्त परीक्षण करके
- शिक्षार्थियों को उनकी प्रतिक्रियाओं या समग्र प्रगति पर प्रतिक्रिया प्रदान करना।
- शिक्षार्थियों को अपनी गति से पाठ्यक्रम लेने की अनुमति देना।
- अगले पाठ पर आगे बढ़ने के लिए सीखने की पूर्वापेक्षाएँ निर्धारित करना।

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के साथ ऐसी विधियों को मिलाकर, प्रशिक्षण कार्यक्रम जो शिक्षार्थी को प्रभारी बनाते हैं, अंततः 60 के दशक के बाद संभव थे। बाद में, जैसे-जैसे कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर विकसित हुआ, सीबीटी को स्थानीय नेटवर्क के माध्यम से साइट पर उपलब्ध कराया जा सकता था।

हालांकि, इसे अभी भी डिजाइन, निर्माण और कार्यान्वित करना काफी महंगा था। इसलिए उस युग के अधिकांश कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण उदाहरणों में विशिष्ट उपयोग शामिल हैं जैसे लोगों को सॉफ़्टवेयर अनुप्रयोगों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण देना।

90 के दशक में, जैसे-जैसे इंटरनेट का उपयोग व्यापक होता गया, चीजों को एक बार फिर आगे बढ़ाया गया। कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण अब ऑनलाइन दिया जा सकता है और वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से हर जगह शिक्षार्थियों तक पहुंच सकता है।

सीबीटी एक नया रूप ले रहा था: वेब-आधारित प्रशिक्षण।

सीबीटी बनाम डब्ल्यूबीटी

कड़ाई से बोलते हुए, वेब-आधारित प्रशिक्षण एक प्रकार का सीबीटी प्रशिक्षण है। लेकिन अगर हमें दोनों को अलग करना होता, तो हम "कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण" शब्द का पारंपरिक अर्थों में उपयोग करते और उनके परिभाषित अंतरों पर ध्यान केंद्रित करते।

यानी डब्ल्यूबीटी की ऑनलाइन डिलीवरी और यूजर इंटरएक्टिविटी की व्यापक संभावनाएं।

ब्राउज़र-आधारित प्रशिक्षण, कभी भी और कहीं भी

आधुनिक ब्राउज़र-आधारित अनुप्रयोगों के लिए धन्यवाद, वेब-आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम सभी प्रकार के कंप्यूटरों और स्मार्ट उपकरणों के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। वेब प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित, डब्ल्यूबीटी हर जगह लोगों तक पहुंच सकता है और आभासी कक्षाओं में बिखरे हुए शिक्षार्थियों और प्रशिक्षकों को एक साथ ला सकता है।

WBT की अंतःक्रियाशीलता, संचार और टेलीकांफ्रेंसिंग क्षमताओं के साथ प्रशिक्षक के नेतृत्व में प्रशिक्षण , सहयोगी कार्यशालाएं, वेबिनार और विभिन्न हाइब्रिड-लर्निंग परिदृश्य संभव हैं।

वेब-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम विभिन्न वेब स्रोतों से देशी या आयातित गतिशील मीडिया-समृद्ध सामग्री प्रदान करते हैं। उस सामग्री को किसी भी समय अद्यतन या सुधारा जा सकता है। प्रशिक्षण प्रक्रिया के दौरान भी, या तो प्रशिक्षकों द्वारा या स्वयं शिक्षार्थियों द्वारा।

सॉफ्टवेयर आधारित प्रशिक्षण, मानकीकृत और सुरक्षित

दूसरी ओर, कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ऑफ़लाइन, व्यक्तिगत और स्व-गति से सीखने की गतिविधियाँ हैं। वे सॉफ्टवेयर-आधारित हैं (संबंधित शब्द "कोर्सवेयर" हुआ करता था), और कनेक्टिविटी मुद्दों, बैंडविड्थ मांगों और ऑनलाइन विकर्षणों से मुक्त हैं।

उनकी सामग्री सीबीटी सॉफ्टवेयर पैकेज का हिस्सा है, और इसका उन्नयन निर्माता के समर्थन पर निर्भर करता है। सीबीटी पाठ्यक्रम मानकीकृत हैं, और उन विषयों को कवर करते हैं जिन्हें शिक्षार्थी व्यक्तिगत रूप से पढ़ सकते हैं, क्योंकि कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण उपयोगकर्ता के संपर्क या मिश्रित सीखने की स्थितियों की अनुमति नहीं देता है।

स्थानीय रूप से तैनात, कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं द्वारा साइट पर ही पहुँचा जा सकता है। इसलिए, यह बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को प्रभावित नहीं करता है।

ऑफ़लाइन कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण अपने आधुनिक वेब-आधारित संस्करण की तुलना में कम चुस्त, वितरित करने में आसान और "हिप" है।

बहरहाल, यह किसी भी प्रकार या आकार की कंपनियों के लिए साइट पर कर्मचारियों के बड़े निकायों को प्रशिक्षित करने का एक आजमाया हुआ और परखा हुआ तरीका है। सीबीटी प्रशिक्षण प्रबंधनीय, अत्यधिक सुरक्षित और तत्काल और ठोस परिणाम देने में सक्षम है। किसी भी कंपनी के लिए एक संभावित संपत्ति जो वास्तव में उनके प्रशिक्षण में निवेश करती है।

कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण के तीन कालातीत लाभ

पारंपरिक प्रशिक्षक के नेतृत्व वाले कार्यक्रमों की तुलना में, एक कॉर्पोरेट कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण प्रणाली को तैयार करने और तैनात करने में बहुत अधिक समय और काम लग सकता है। कंपनियों को अपने सिस्टम के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा और इसे स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों की एक योग्य टीम तैयार करनी होगी।

हालांकि, अगर वे इसे सही तरीके से करते हैं, तो वे जल्द ही कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण के दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करेंगे:

सीबीटी लागत प्रभावी है

कॉर्पोरेट प्रशिक्षण कार्यक्रम देने के लिए कस्टम सीबीटी प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर विकसित करना पहली नज़र में काफी महंगा लग सकता है। हालांकि, दर्जी कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम बेहद कुशल साबित हो सकते हैं और धीरे-धीरे प्रशिक्षण ओवरहेड को कम कर सकते हैं।

कस्टम-निर्मित कंप्यूटर-आधारित शिक्षण सॉफ़्टवेयर कंपनी की आवर्ती प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है , सामान्य और विशिष्ट। इस तरह, यह पारंपरिक प्रशिक्षण विधियों के साथ-साथ उनकी लागतों की आवश्यकता को समाप्त करता है।

एक कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण प्रणाली हमेशा पहुंच योग्य होती है और असीमित संख्या में शिक्षार्थियों को समायोजित करने में सक्षम होती है। ये शिक्षार्थी कंपनी के आधार पर प्रशिक्षण लेते हैं, बिना कार्यस्थल को छोड़े और जब तक उन्हें आवश्यकता हो। इसका मतलब है कि कोई अतिरिक्त लागत नहीं है और कोई अतिरिक्त काम के घंटे नहीं खोए हैं।

लंबे समय में, सीबीटी प्रशिक्षण एक निवेश है जो कंपनियों को प्रशिक्षक, कक्षा, यात्रा और शिक्षण-सामग्री खर्च पर खर्च किए गए बहुत सारे पैसे बचा सकता है ।

सीबीटी लचीला और कुशल है

कक्षा-आधारित कॉर्पोरेट प्रशिक्षण नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए एक लंबी, समय लेने वाली प्रक्रिया हो सकती है, जिसके अक्सर संदिग्ध परिणाम होते हैं।

सीबीटी शिक्षार्थियों को अपनी गति से अपना प्रशिक्षण पूरा करने , अपने सीखने के कार्यक्रम को अनुकूलित करने और अपने विशिष्ट कौशल अंतराल पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है । जैसे-जैसे वे अपने सीखने के पथ पर आगे बढ़ते हैं, उन्हें सही करने या प्रेरित करने के लिए उन्हें बहुमूल्य प्रतिक्रिया मिलती है।

कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण - TalentLMS ब्लॉग

कुछ हद तक, सीबीटी कर्मचारियों को अपने स्वयं के प्रशिक्षण के नियंत्रण में रहने की अनुमति देता है। शिक्षार्थी नियंत्रण में वृद्धि से कर्मचारी जुड़ाव और ज्ञान प्रतिधारण में वृद्धि होती है 

आधुनिक कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर कंपनियों को उन्नत प्रदर्शन ट्रैकिंग और मूल्यांकन क्षमताओं के साथ एक नॉन-स्टॉप प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने में सक्षम बनाता है। मापने योग्य परिणाम नियोक्ताओं को उनके प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मूल्यांकन करने और दक्षता के लिए उन्हें और अधिक अनुकूलित करने में मदद करते हैं।

सीबीटी मानकीकृत और सुसंगत है

पारंपरिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में, एक ही पाठ्यक्रम अक्सर विभिन्न शिक्षार्थियों को अलग-अलग तरीके से दिया जाता है क्योंकि प्रशिक्षक असंगत हो सकते हैं या बस नियमित रूप से बदल सकते हैं।

कंप्यूटर आधारित शिक्षण कार्यक्रम ठीक उसी तरह पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। पाठ्यक्रमों में एक ही सामग्री होती है, एक ही प्रारंभिक परीक्षण, स्व-जांच प्रश्न और पाठ के बाद की प्रश्नोत्तरी के साथ पूरा होता है। नतीजतन, सभी कर्मचारी एक ही शिक्षण सामग्री के साथ बातचीत करते हैं और एक साथ प्रगति करते हैं, भले ही उन्हें वापस जाकर एक कोर्स करना पड़े।

थके हुए कर्मचारियों को अनगिनत कक्षाओं को पढ़ाने से मुक्त, प्रशिक्षकों ने अपना सारा समय और प्रयास सीबीटी पाठ्यक्रमों को अद्यतन और कुशल बनाए रखने में लगाया।

कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण कैसे तैयार करें जो काम करता है

जैसा कि हमने ऊपर उल्लेख किया है, कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण प्रणाली का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, कंपनियों को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ लाने की आवश्यकता है। इनमें कोर्स बिल्डिंग, यूएक्स और ग्राफिक डिजाइन, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग आदि शामिल हैं

सुचारू रूप से और कुशलता से सहयोग करके, विशेषज्ञों की एक टीम कंपनी की आवश्यकताओं के अनुरूप एक अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया, प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार कर सकती है। ऐसा करने के लिए, उन्हें निम्नलिखित में से कुछ या सभी तकनीकों को संयोजित करने की आवश्यकता है:

ट्यूटोरियल

कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का एक मानक रूप ट्यूटोरियल है।

यह या तो व्यावहारिक हो सकता है, जैसे कि एक यांत्रिक भाग या वैचारिक को कैसे इकट्ठा किया जाए, जैसे नियमों का एक सेट लंबे समय में कंपनी के संचालन को कैसे लाभ पहुंचाता है। एक ट्यूटोरियल मल्टीमीडिया और अन्य प्रस्तुति सामग्री द्वारा सहायता प्राप्त व्याख्यान प्रारूप में जानकारी प्रस्तुत कर सकता है। संक्षिप्त प्रश्न परीक्षण अनुभागों के बीच पॉप-अप कर सकते हैं ताकि शिक्षार्थी को उनकी प्रगति की जांच करने और उसके अनुसार दोहराने में मदद मिल सके।

ड्रिलऔर अभ्यास करें

प्रभावी कौशल-निर्माण सीबीटी पाठ्यक्रमों में अक्सर ड्रिल और अभ्यास अभ्यास शामिल होते हैं।

ये छोटे दोहराए जाने वाले कार्य हैं जो शिक्षार्थी को क्षण भर पहले सीखी गई बातों का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इस तरह, शिक्षार्थी दोहराए जाने वाले कार्यों के माध्यम से जो सीखते हैं उसे बेहतर तरीके से बनाए रखते हैं, चाहे वह एक नया कौशल हो या एक नई अवधारणा। ड्रिल और अभ्यास के माध्यम से विकसित बुनियादी सजगता भी एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के आगे उपयोगी साबित हो सकती है।

सिमुलेशन

अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सॉफ़्टवेयर का अधिकतम लाभ उठाने का एक और तरीका यह है कि इसका उपयोग सिम्युलेटेड प्रशिक्षण वातावरण बनाने के लिए किया जाए।

सिमुलेशन शिक्षार्थियों को वास्तविक जीवन की स्थितियों में वस्तुतः प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करते हैं । वहां, वे अपने कौशल का अभ्यास करने या नए विकसित करने के लिए अपने आभासी परिवेश के साथ घूम सकते हैं और बातचीत कर सकते हैं। सिम्युलेटेड अनुभव में सरलीकरण जैसी तकनीकों को शामिल करके , पाठ्यक्रम डिजाइनर शिक्षार्थी की व्यस्तता और प्रशिक्षण परिणामों को बढ़ा सकते हैं।

प्रशिक्षण के लिए नकली वातावरण का उपयोग करने का एक और अधिक शक्तिशाली तरीका यह है कि शिक्षार्थियों को उन घटनाओं से निपटना चाहिए जो उन्होंने केवल सिद्धांत में देखी हैं। कंप्यूटर आधारित सीखने के कई परिचित उदाहरण ऐसे सिमुलेशन का उल्लेख करते हैं। इनमें लोगों को प्रशिक्षण देना शामिल है कि कैसे भारी उपकरण (जैसे, क्रेन) और वाहन (जैसे, विमान) संचालित करें या खतरनाक वातावरण (जैसे, तेल रिग) में सुरक्षित रूप से कैसे काम करें।

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समस्या को सुलझाना

समस्या-समाधान अभ्यास प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे शिक्षार्थी के महत्वपूर्ण सोच कौशल को विकसित करने में मदद करते हैं।
पूरे पाठ्यक्रम में, शिक्षार्थियों को "समस्याओं" या "मुद्दों" से निपटना पड़ता है। आगे बढ़ने से पहले, उन्हें तार्किक कदम उठाकर, निर्देशों का सही ढंग से पालन करके और अपने हाल ही में अर्जित ज्ञान को उपयोग में लाकर इन समस्याओं का समाधान करना होगा।

इस तरह, शिक्षार्थी जटिल शिक्षण सामग्री को बेहतर ढंग से अवशोषित करते हैं और अपने काम पर निर्णय लेने के कौशल को तेज करते हैं।

खेल

सीबीटी पाठ्यक्रमों में विशेष रूप से डिजाइन किए गए गेम भी शामिल हो सकते हैं। इस तरह, वे जुड़ाव और ज्ञान प्रतिधारण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षार्थियों की प्रतिस्पर्धी प्रवृत्ति का लाभ उठा सकते हैं।

काफी मजेदार होने के अलावा, शैक्षिक खेल उपयोगकर्ताओं को अपने शारीरिक, दृश्य और संज्ञानात्मक कौशल के साथ जो कुछ भी सीखा है उसे संयोजित करने के लिए प्रेरित करते हैं। जैसे ही वे विभिन्न चुनौतियों, पहेली या नकली कार्रवाई का सामना करते हैं, उन्हें उच्च स्तर पर आगे बढ़ने या उच्चतम स्कोर तक पहुंचने के लिए जल्दी से सोचने और कार्य करने की आवश्यकता होती है।

Gamification उन्नत कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सॉफ़्टवेयर का एक अनिवार्य तत्व है। यदि सही तरीके से किया जाए, तो यह शिक्षार्थियों को उनके सीखने के उद्देश्यों को पूरा करने और इसे उत्कृष्टता से करने में रुचि रखता है।

कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण कैसे बनाएँ

कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण (सीबीटी) किसी भी प्रकार के शैक्षिक या शिक्षण सामग्री को कंप्यूटर पर उपयोग के लिए सुलभ या डिज़ाइन किया गया है। कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सुविधाजनक है, अद्यतन रखना आसान है और सरल मुद्रित सामग्री की तुलना में अधिक प्रभावी है, लेकिन यह भी, डिजाइन के आधार पर, डेवलपर या व्यवस्थापक को ट्रैक करने की क्षमता दे सकता है जिन्होंने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। जबकि कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण विकसित करना आसान हो जाएगा जितना अधिक आप इसे करते हैं, आवश्यक सॉफ़्टवेयर और लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्रारंभिक लागत महंगी हो सकती है।

आपको जिन वस्तुओं की आवश्यकता होगी

  • डेस्कटॉप या लैपटॉप कंप्यूटर

  • हाई-स्पीड / ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन

  • हटाने योग्य या समर्पित हार्ड ड्राइव या डिजिटल स्टोरेज

कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण बनाना

कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर प्राप्त करें। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग कौशल की आवश्यकता में भारी गिरावट के साथ लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि के कारण, कुछ कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर सूट खरीद के लिए उपलब्ध हैं। अपनी विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, आपको उनमें से प्रत्येक की क्षमताओं पर शोध करना चाहिए। कई सुइट्स मुफ्त, सीमित समय के परीक्षण की पेशकश करते हैं, लेकिन तैयार रहें कि जब तक आप सॉफ़्टवेयर नहीं खरीदते हैं, तब तक सुइट्स की कार्यक्षमता सीमित हो सकती है।

अपनी प्रशिक्षण सामग्री को 20 से 30 मिनट के सेगमेंट में विभाजित करें। कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सबसे प्रभावी है जब आप प्रतिभागी में उपलब्धि की भावना बनाए रख सकते हैं। लंबे ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्रों का एक ही प्रभाव हो सकता है जैसे कि लंबे प्रशिक्षक के नेतृत्व वाले प्रशिक्षणों में, प्रतिभागी ऊब जाएंगे और फोकस खो देंगे।अपनी जानकारी को छोटे, समझदार पाठों में रखने की कोशिश करें। जानकारी के प्रतिभागियों का प्रतिधारण अधिक होगा।

हर समय सीखने के तीन तरीकों में से दो का उपयोग करने का प्रयास - दृश्य, श्रव्य और काइनेस्टेटिक। पढ़ाए जा रहे विषयों या विषयों के चित्र या दृश्य उदाहरण प्रदान करें। अधिकांश सीबीटी सूट आपको दृश्य तत्वों के साथ कथन रिकॉर्ड करने की अनुमति देते हैं। अधिक प्रभावी सूट आपको प्रतिभागियों की समझ और उनके द्वारा सीखी गई जानकारी की अवधारण के लिए जाँच करने के लिए क्विज़, गेम, चुनौतियाँ और अन्य तरीके बनाने की अनुमति देगा। हर प्रशिक्षण मॉड्यूल में इन सभी तत्वों का उपयोग करने का प्रयास करें।

हटाने योग्य या समर्पित फ़ाइल संग्रहण के लिए मॉड्यूल प्रकाशित करें। कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल बड़ी फाइलें हैं। वे आपकी हार्ड ड्राइव पर जगह लेंगे और आपके सिस्टम को बहुत जल्दी धीमा कर देंगे। समर्पित हार्ड ड्राइव या अन्य डिजिटल स्टोरेज ड्राइव में इन फ़ाइलों को सहेजना और प्रकाशित करना न केवल आपके कंप्यूटर को सुचारू रूप से चालू रखेगा, बल्कि प्रशिक्षण को एक स्थान पर रखेगा।

सभी कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण का स्वयं परीक्षण करें। वर्तनी और अन्य व्याकरण संबंधी त्रुटियों के लिए जाँच करें। सुनिश्चित करें कि सभी ग्राफिक्स, वीडियो, गतिविधियां और कथन ठीक से काम कर रहे हैं। यदि आपने समझने के लिए जाँच करने के लिए एक प्रश्नोत्तरी या परीक्षण शामिल किया है, तो सुनिश्चित करें कि प्रश्न स्पष्ट और समझने योग्य हैं और उत्तर सही हैं। दो या तीन अन्य लोगों के प्रशिक्षण का परीक्षण करने के साथ-साथ उन गलतियों को पकड़ने के लिए जिन्हें आपने अनदेखा किया है, यह एक अच्छा विचार है।

टिप्स

  • यह समझना महत्वपूर्ण है कि कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण वेब-आधारित प्रशिक्षण के समान नहीं है, जो इंटरनेट का उपयोग करके वितरित किया जाता है। वेब-आधारित प्रशिक्षण की अतिरिक्त आवश्यकताएं हैं जिन्हें उपयोग करने के लिए पूरा करना होगा। कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण के लिए यह आवश्यक नहीं है कि प्रतिभागी इंटरनेट से जुड़ा हो, केवल उसके पास कंप्यूटर तक पहुंच हो।

Electronic books and references इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकें एवं सन्दर्भ
जीवन में सफलता प्राप्त करनें हेतु परिश्रम के साथ पढ़ाई करना अत्यंत आवश्यक है| पुराने समय में गरूकुल ही स्कूल हुआ करते थे, जहा सिर्फ बोलने और सुनने के आधार पर ज्ञान का आदान- प्रदान किया जाता था, इसके पश्चात इसमें धीरे- धीरे सुधार हुआ और पेड़ के पत्तो और छालों पर लिखा जाने लगा| इसके बाद लकड़ी पर लिखने का समय आया इसमें चाक की सहायता से लकड़ी पर लिखा जाता था | लकड़ी के बाद कागज और पेन की सहायता से लिखा जाने लगा जाने लगा | वर्तमान समय में इंटरनेट का समय है, जिसमें ई-बुक के माध्यम से चीजों को लिखा और पढ़ा जाता है |
ई-पुस्तक (इलैक्ट्रॉ निक पुस्तक) का अर्थ है डिजिटल रूप में पुस्तक। ई-पुस्तकें कागज की बजाय डिजिटल संचिका के रूप में होती हैं जिन्हें कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य डिजिटल यंत्रों पर पढ़ा जा सकता है। इन्हें इण्टरनेट पर भी छापा, बाँटा या पढ़ा जा सकता है।  ये पुस्तकें कई फाइल फॉर्मेट में होती हैं जिनमें पी॰डी॰ऍफ॰ (पोर्टेबल डॉक्यूमेण्ट फॉर्मेट), ऍक्सपीऍस आदि शामिल हैं, इनमें पी॰डी॰ऍफ॰ सर्वाधिक प्रचलित फॉर्मेट है। जल्द ही पारंपरिक किताबों और पुस्तकालयों के स्थान पर सुप्रसिद्ध उपन्यासों और पुस्तकों के नए रूप जैसे ऑडियो पुस्तकें, मोबाइल टेलीफोन पुस्तकें, ई-पुस्तकें आदि उपलब्ध होंगी हों ।
ई-पुस्तकों को "ई-बुक्स",  "ई-जर्नल्स", "ई-एडिशन" या "डिजिटल बुक्स" के रूप में भी जाना जाता है। एक उपकरण जिसे विशेष रूप से ई-पुस्तकें पढ़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है, उसे "ई-रीडर", "ईबुक डिवाइस", या "ईडर" कहा जाता है।
ई-बुक रीडर
ई-पुस्तको को पढ़ने के लिए कम्प्यूटर (अथवा मोबाइल) पर एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है जिसे ई-पुस्तक पाठक (eBook Reader) कहते हैं। पीडीऍफ ई-पुस्तकों के लिए ऍडॉब रीडर तथा फॉक्सिट रीडर नामक दो प्रसिद्ध पाठक हैं। इनमें से ऍडॉब तो पी॰डी॰ऍफ॰ फॉर्मेट की निर्माता कम्पनी ऍ़डॉब वालों का है, ये आकार में काफी बड़ा है तथा पुराने सिस्टमों पर काफी धीमा चलता है, फॉक्सिट रीडर इसका एक मुफ्त एवं हल्का-फुल्का विकल्प है।
ई-पुस्तक रीडर उपकरण
ई-पुस्तकों को पढ़ने हेतु अब कुछ हार्डवेयर उपकरण अलग से भी उपलब्ध हैं। इनमें अमेजन.कॉम का किण्डल तथा "ऍप्पल इंक" का आइपैड शामिल है। "पाइ" ऐसा एक अन्य उपकरण है। आकार में यह १८८ मि.मी. ऊंचा और ११८ मि.मी. चौड़ा होता है।  इसमें एसडी कॉर्ड और मिनी यू॰एस॰बी॰ स्लॉ ट भी उपलब्ध होते है। इसकी मैमोरी ५१२ एमबी के लगभग होती है व इसमें ४ जीबी एसडी कार्ड लग सकता है। रैम मैमोरी ६४ एमबी। इसके अतिरिक्त इसमें कंप्यूटर गेम्स की भी सुविधा हो सकती है। बहुत सी नवीन पुस्तकों सहित कई अन्य पुरानी किताबें भी इसमें ऑनलाइन माध्यम से स्टोर कर सकते हैं। इसमें कई भाषाओं में पढ़ने की सुविधा भी उपलब्ध होती है। मोबाइल के लिए ऍडॉब रीडर लाइट नामक पाठक उपलब्ध है।  ई-पुस्तक से संबंधित मीडिया विकि मीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। यह युक्ति प्रयोग में अत्यंत सरल व भार में १८० ग्राम की कई पत्रिकाओं से भी हल्की होती है। इसका छह इंच ई-इंक विजप्लैक्स स्क्रीन होता है। इसमें टाइपफेस का आकार भी चुना जा सकता है, जिससे चार विभिन्न आकारों के फॉन्ट पढ़ने के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। कोई पंक्ति बीच में से खोजने के लिए भी सुविधा है और बुकमार्क भी भी होते हैं, जिनसे पेज आसानी से उलटने- पलटने की सुविधा रहती है। इसकी बैटरी लाइफ भी अच्छी होती है जिससे बिना रीचार्ज किए कुछ दिनों तक पढ़ना जारी रख सकते हैं। सामान्यतः इसे चार घंटे तक चार्ज करना होता है। 
ई-पुस्तक बनाने के दो तरीके हैं। कम्प्यूटर पर टाइप की गई सामग्री को विभिन्न सॉफ्टवेयरों के द्वारा ई-पुस्तक रूप में बदला जा सकता है। छपी हुई सामग्री को स्कैनर के द्वारा डिजिटल रूप में परिवर्तित करके उसे ईपुस्तक का रूप दिया जा सकता है। ई-पुस्तक हेतु सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रचलित फॉर्मेट पीडीऍफ फाइल है।

ई-बुक का उपयोग (Uses Of Ebook)

ई-बुक का उपयोग मोबाइल, लैपटॉप या अन्य डिवाइस के द्वारा उपयोग किया जाता है, इसको कही भी किसी भी स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है 


ई-बुक के लाभ (Benefit of Ebook)

  1. ई-बुक को इन्टरनेट पर खोजना, डाउनलोड करना, खरीदना आसान है. और आप तुरंत पढ़ना शुरू कर सकते है. 
  2.  ई-बुक को आप कंप्यूटर, मोबाइल और किसी अन्य यन्त्र के साथ आसानी से पढ़ सकते हो. इससे आपका पुस्तक को हर समय लेकर घूमने का झंझट नहीं रहता.
  3. ई-बुक के द्वारा पैसों की बचत होती है, यह साधारण किताबों से सस्ती होती है|  ई-बुक किसी भी पेपर-बेक बुक से आधे से भी कम कीमत या फ्री में उपलब्ध हो जाती है.
  4. इसके फटने का भी कोई डर नहीं रहता और यह सालों साल सुरक्षित रहती है.
  5. आप इसे अपने मित्र संबंधियों के साथ आसानी से शेयर कर सकते है.

  6. ई-बुक से पढाई कर के आप पर्यावरण संरक्षण में भी सहयोग दे रहे है, और पुस्तक की छपाई में होने वाले कागज की बचत कर रहे है.(कागज की बचत होती है, मतलब पेड़ बचते है).
    पर्यावरण जब भी आप एक ईबुक खरीदते हैं, एक पेड़ अपनी खैर मनाता है!

    मैं जब भी ईबुक खरीदता हूँ तो किसी पेड़ के काटे जाने के सहभागी होने के अपराधबोध से अपने आप को मुक्त पाता हूँ। हाँ, मुद्रित पुस्तकों पर ‘recycled’ का लोगो कुछ राहत वाली बात अवश्य होती है। ईरीडर हो सकता है ewaste के लिए उत्तरदायी बनें, परन्तु ईबुक्स कतई नहीं।

  7. ये पुस्तकें जगह भी कम घेरती है, और आप अपने कंप्यूटर मोबाइल इत्यादि पर हजारों ई-बुक्स स्टोर कर के रख सकते हो.

  8. इसे आप आसानी से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर, मोबाइल इत्यादि पर कॉपी कर सकते है.
  9. ई-बुक पढते समय उसमे दी गयी वेबसाइट के लिंक पर भी आप क्लिक करके उस वेबसाइट पर जा सकते है, पेपर बुक में आप ऐसा नहीं कर सकते|
  10. क्यों कि आप ई-बुक इन्टरनेट से डाउनलोड करते है, इसलिए इसके सार -संभाल, पेकिंग, और परिवहन में कोई खर्च नहीं है. इससे समय, संसाधन और पैसे की बचत होती है|.
    त्वरित वितरण एवं प्राप्तिमैं उन व्यग्र व्यक्तियों में से हूँ जो पुस्तकों का ऑनलाइन आर्डर देने के बाद ज्यादा प्रतीक्षा करना दुष्कर मानते हैं। यहीं नहीं, कूरियर वालों की दया पर दिन गुजरना, सप्ताहांत में वितरण न होना, कई बार खुद आपका घर में न होना, पर्व-त्योहारों पर उनकी छुट्टियाँ, अधिकाधिक वितरण के बोझ के बहाने आज-कल होता रहना इत्यादि सदा व्याकुल करता है।

    वहीं ईबुक मिनटों का खेल है! भुगतान होते ही वह आपके समक्ष होता है

  11. इसे आप 24 घंटे कभी भी इन्टरनेट से खरीद या डाउनलोड कर सकते हो|. पेपर बुक के लिये दिन में आपको दुकान के टाइम का इन्तजार करना पड़ेगा|. इसको खरीदने के लिए किसी मार्केट में नहीं जाना पड़ता है|
  12. आजकल  लगभग हर विषय और रूचि अनुसार ई-बुक उपलब्ध है.
  13. ई-बुक में आप कोई शब्द, लाइन इत्यादि के लिये आसानी से खोज सकते है, पेपर बुक में ये संभव नहीं है.

    समझदार संगत

    अगर कोई वाक्य समझ न आए तो कोई समस्या नहीं। अगर किसी शब्द का मतलब नहीं पता तो एक स्पर्श से शब्दकोष हाजिर हो जाता है। यही नहीं, किसी रिपोर्ट अथवा घटना को पढ़ते वक़्त उसकी अतिरिक्त जानकारी चाहिए तो वह भी मुहैया हो जाता है (weblookup तथा विकिपीडिया की उपस्थिति)। यही नहीं, एक साथ कई बुकमार्क और मनचाहे रंग से किसी भी वाक्य या शब्द को अंकित कर सकते हैं (जिसमे मनचाहा बदलाव कभी भी कर सकते हैं)। अगर पुस्तक में कुछ शब्द या वाक्य ढूंढना पड़ा तो पन्ने पलटने की भी आवश्यकता नहीं – सर्च की सुविधा है न!
  14. पढने का क्रम बना रहता है  

  15.  कोई पेज ख़राब या मुड़ा/तुड़ा नहीं होता

  16.  डिक्शनरी साथ के साथ होती है.

  17. आप अपनी सुविधा के अनुसार बड़े छोटे अक्षर या फिर लिखावट का तरीका बदल सकते है.

    सूक्ष्म, क्षुद्र एवं संकुचित शब्द – फॉण्ट व्यवस्थापनमैंने कई प्रकाशकों को देखा है कि कम लागत में पुस्तक छापने के चक्कर में फॉण्ट और लिखावट एकदम सूक्ष्म और संकुचित कर देते हैं (दुर्भाग्य से ऐसी समस्या बड़े प्रकाशकों के साथ भी है)। अब हम में से कई पाठक 6/6 की आँख लिए नहीं होते तथा बुजुर्ग पाठकों के लिए भी छोटे अक्षर लगभग अपठनीय ही होते हैं। अपाठ्यता की इस समस्या के लिए ईबुक सबसे बेहतर निदान है जिसमे आप फॉण्ट आकार, प्रारूप, शब्दों और वाक्यों की स्थिति इत्यादि अपने सुविधानुसार बदल सकते हैं। यही नहीं, आँखों पर ज्यादा ज़ोर न पड़े, इसके लिए आप उपयुक्त पृष्ठभूमि का भी चुनाव कर सकते हैं।

    हमारे पूर्वाग्रहों के विपरीत ईरीडर बुजुर्गों और अधेड़ उम्र के पाठकों के बीच मित्रवत तथा उपयोगी स्थान ग्रहण कर सकता है।

  18. आप किसी भी वक़्त अपनी सारी किताबे साथ ले जा सकते है. कही से भी पढ़ सकते है.

    जहाँ भी जाएँ – साथ ले जाएँ किसी सफर पर जाने से पहले मेरी सबसे बड़ी दुविधा यही होती है कि इस बार कौन सी पुस्तक अपने साथ ले चलूँ – पुरानी जो अब तक नहीं पढ़ी या नई प्रतियाँ जो गत दिवस आई थीं? पौराणिक या सामाजिक? उपन्यास या लघु कथा संकलन? रचनावलियों का क्या करूँ? यात्रा के वक्त किसी और पुस्तक का मूड बन गया जो घर पर छोड़ आया था तो? जाने से पहले इन सवालों को लेकर मैं अपनी अलमारी के सामने मूँह बाए खड़ा रहता हूँ और अलमारी मेरे सामने।

    फिर अक्कड़-बक्कड़ खेलकर तो पुस्तकों का चयन तो नहीं कर सकते न?

    इन ‘विषम’ परिस्थितियों में ebooks और ereader हमसफर बनकर उभरते हैं – यात्रा में बिना अतिरिक्त बोझ के!

  19.  किसी भी नयी चीज को जानते ही आप साथ के साथ इंटरनेट पर और जानकारी ले सकते है.

  20. आप कोई भी लाइन कॉपी/पेस्ट कर सकते है अपने नोट्स में.

  21. सजिल्द या अजिल्द?मुझे किसी भी पुस्तक का सजिल्द संस्करण बेहद पसंद है और उपलब्ध होने पर प्रयास भी रहता है कि वही संस्करण लूँ। परन्तु अधिकांशतः दोनों संस्करणों के बीच मूल्यों में अत्यंत फर्क होता है। कभी-कभी लगभग दोगुना। अब सामने यक्ष प्रश्न आ जाता है कि अपनी सनक को हवा दूं या उपयोगिता को। निर्धारित बजट में आया तो ठीक नहीं तो पेपरबैक से ही काम चलाना पड़ता है।

    शुक्र है कि ईबुक विभिन्न संस्करणों में नहीं आता और कई बार मुद्रित संस्करण से कम मूल्यों में मिल जाता है। दुविधा की कोई बात नहीं!

  22. तमसो मा ज्योतिर्गमयरेल के सफर में मैं हमेशा एक दुर्भाग्य साथ लेकर चलता हूँ। सामने वाले बर्थ पर ज्यादातर वही चाचा मिलेंगे जिन्हें 9 बजे के आस-पास ही नींद आने लगती है। और नींद भी ऐसी जिसकी दुश्मनी कम्पार्टमेंट की बत्ती से सदा रही है। सफर के शिष्टाचार को अपना प्रारब्ध मानकर एक दो बार मैंने मोबाइल की रोशनी में कुछ पत्रिकाएँ ख़त्म की है। परन्तु पूरी एक पुस्तक के लिए ऐसे अपनी आँखें फोड़ना कष्टकारक है और व्यवहारिक भी नहीं।

    ईबुक्स के साथ ऐसी कोई समस्या आड़े नहीं आती। अधिकांश ईरीडर रोशनी वाली स्क्रीन से लैस होते हैं जो अँधेरे में पढ़ने में सहायक है। यही नहीं, घर पर भी अगर सोने के समय कुछ पढने का मन बना तो अपने साथी के नींद में बिना खलल डाले अध्ययन जारी रख सकते हैं – अँधेरे में!

  23. यत्र – तत्र – सर्वत्रमुझे अपने पुस्तकों से इतना लगाव है कि उन्हें खोने का भय भी सदा बना रहता है (जो आपके प्रीतिपात्र हैं उनके लिए इतनी चिंता स्वाभाविक है)। परन्तु इन पुस्तकों के बैकअप का अर्थ है या तो अतिरिक्त प्रति रखना या किसी ऐसे ठोस जगह पर रखना जहाँ बाढ़ से लेकर बवंडर तक न पहुँच पाए।

    परन्तु ईबुक के साथ ऐसी कोई चिंता नहीं क्यूंकि यह एक साथ मेरे मोबाइल, लैपटॉप, ईरीडर, क्लाउड इत्यादि स्थानों पर उपलब्ध है और कहीं से भी पढ़ा जा सकता है। इनके खोने या नष्ट होने का लगभग कोई डर नहीं।

  24. मुफ्त का मालजब तक यह आपके पास भेंट या समीक्षा प्रति के तौर पर नहीं आती, मुद्रित पुस्तकों के संसार में मुफ्त नाम कि कोई चीज़ नहीं। यहाँ तक कि वो रचनायें जिनपर किसी का कॉपीराइट नहीं, उनके लिए भी आपको जेब ढीली करनी ही होगी। कारण – कागज और छपाई पर व्यय।

    वहीं दूसरी ओर शेक्सपियर समग्र से लेकर प्रेमचंद की सम्पूर्ण रचनाएं मुफ्त उपलब्ध हैं – ईबुक फॉर्मेट में! कितनी भी प्रतियाँ बाँटिये या डाउनलोड करें – कोई बाध्यता नहीं और कोई वैधानिक समस्या भी नहीं।

    नए नवोदित लेखक भी इसका लाभ ले सकते हैं जो अपनी सामग्री मुफ्त वितरित करना चाहते हैं।

  25. सदैव सुलभ‘आउट-ऑफ-स्टॉक’ का पट्टा आपकी उत्सुकता पर बट्टा लगा देता है! यह भी नहीं पता होता कि फिर कभी उपलब्ध हो पाएगा या नहीं।

    ईबुक इस समस्या का सबसे बड़ा हल है। खपत का इसके उपलब्धता से कोई सीधा संबंध नहीं है – चाहे एक ही दिन में कितनी भी प्रतियाँ निकल जाए या उसकी कोई मांग ही न हो जिसके कारण वह छपाई से बाहर हो जाए। यूँ कहें कि आउट-ऑफ-प्रिंट नाम की कोई बात ही नहीं हो सकती। यह प्रकाशकों के लिए भी एक राहत है जहाँ कम या न के बराबर बिकने वाली पुस्तकें भी जनसुलभ बनाई जा सकती है। कोई पुस्तक न भी चली तो कम से कम मुद्रित पुस्तकों जितना घाटा नहीं होता जिन्हें बाद में औने-पौने दाम पर बेचना पड़े।

    यहाँ रद्दी में कुछ भी नहीं जाता और निवेश भी एक बार का ही होता है।

  26. Ebooks अतिक्रमण नहीं करताअलमारियाँ पुस्तकों से भरती रहेंगी और घर अलमारियों से!

    जब तक आपके पास पर्याप्त जगह है, आप जितनी चाहे पुस्तकें ले सकते हैं और उनके लिए समर्पित अलमारियाँ भी। परन्तु शहरी क्षेत्र में 2BHK में आशियाना बनाए उन पुस्तकप्रेमियों का क्या जिनके लिए स्थान खुद एक बड़ी बाधा है। एक समय ऐसा आता है जब अलमारियाँ भी कराहने लगती हैं और नयी आप ले नहीं सकते। ईबुक्स हजारों पुस्तकों का जमावड़ा होने के पश्चात भी अतिक्रमण से दूर रहता है।

    पूरी पुस्तकालय आपके जेब में समाहित है साहब!


पुस्तकों को लाने- ले जाने की समस्या का समाधान (Solving The Problem Of Carrying Books)

ई-बुक को साधारण पुस्तकों की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना नहीं पड़ता है| यह ऑनलाइन उपलब्ध रहती है आप इन्हें अपने मोबाइल, लैपटॉप या अन्य डिवाइस में स्टोर कर सकते है| जिससे इसको अलग से लाना और ले जाना नहीं होता है|

प्रिंटिंग का खर्च (Printing Expences)

ई-बुक को प्रिंट नहीं करना पड़ता है, जिससे प्रिंटिंग का खर्च नहीं आता है| प्रिंटिंग न करने से कागज और प्रिंटिंग की स्याही की बचत की जाती है|


हानि (Loss)

पढ़ाई करते समय आंख और दिमाग सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लाए जाते हैं। दिमाग को जितना इस्तेमाल किया जाए वह उतना ही तेज होता है। लेकिन आंखों का ख्याल रखना हमारे लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। चाहे ई-बुक से पढ़ाई हो, चाहे पेपरलैस स्टडी। इन दोनों ही माध्यम में हमारी आंखों पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में ई-बुक्स एक तरह से मोबाइल, टैब और लैपटॉप और कंप्यूटर आदि चलाना ही माना जाए और जितनी हमारी आंखें इन सभी इलेक्ट्रोनिक्स डिवाइस पर टिकी रहेंगी उतनी ही यह हमारी आंखों के लिए खतरनाक साबित होगा। बता दें कि आधुनिक तकनीक ने जहां एक ओर हमारे जीवन को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। 

ई-बुक को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर ही यूज किया जा सकता है, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अधिक यूज करने से आँखों को बहुत ही नुकसान होता है, कई बार आँखों में लाल और सूजन की शिकायत भी आने लगती है| 

  • ई-बुक्स जरिए रात में आईपैड, लैपटॉप या ई-रीडर पर किताबें पढऩे से नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है।
  • ई-बुक्स से सोने के लिए तैयार होने में लगने वाले वक्त और नींद के कुल समय पर नकारात्मक असर पड़ता है। कई बार आंखों में लाल और सूजन की शिकायत भी आने लगती है|
  • रैपिड आई मोमेंट स्लीप
    ई-बुक्स पढ़ने वाली के नींद वाले हॉर्मोन मेलाटोनिन के स्तर, नींद की गहराई और अगली सुबह उनकी सजगता के स्तर में बड़ा असर पड़ता है। शोध में यह पाया गया कि जो लोग रोज ई-बुक्स पढ़ते हैं, वे कई घंटे कम सोते हैं और उनमें रैपिड आई मोमेंट स्लीप का समय भी कम हो जाता है।
  • स्मरण-शक्ति कमजोर- ई-बुक्स नींद की इसी अवस्था में यादें संरक्षित होती हैं। इसलिए ज्य़ादा समय तक ई-बुक्स पढऩे से स्मरण-शक्ति कमजोर होती है।
  • पागलपन (Dementia)
    ई-बुक्स से शरीर और दिमाग को पूरी तरह से आराम न मिल पाने की स्थिति में मानसिक स्थिति पर भी बड़ा असर पड़ता है जिससे डिमेंशिया (Dementia) का भी खतरा बढ़ जाता है।
  • जो माता-पिता बच्चों को ई-बुक के माध्यम से पढ़ाते हैं, उनका ध्यान बच्चों की पढ़ाई में कम और टेकनोलॉजी में ज्यादा होता है. यही कारण है कि बच्चे पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं लगा पाते हैं और पेरेंट्स भी उतने प्रभावशाली तरीके से उन्हें पढ़ाने में असफल रहते हैं.

इसलिए अगर आप पढऩे के शौकीन हैं तो के बजाय किताबों के साथ वक्त बिताएं। अगर किसी वजह से ई-बुक्स पढऩा जरूरी हो तो भी सोने से पहले ई-बुक पढऩे से बचें।

ईबुक (या ईपुस्तक) को लेकर  पाठक कई मायनों में असहज महसूस करते हैं। मुद्रित पुस्तकों के साथ जो जुड़ाव है, उनके कारण ईबुक्स की अस्वीकृति प्रौढ़ और परंपरागत पाठकों में सदा से बनी हुई है।

इ-बुक का सब से बड़ा नुकसान यही है कि आपकि किताबो की अलमारी हमेशा खाली ही रहेगी. और कुछ लोगो को अपनी अलमारी में किताबे रखना बहुत पसंद होता है.

कुछ लोग ई-बुक से कुछ परहेज करेंगे, शायद क्यों कि:

  • वे लोग पहले से ही कंप्यूटर पर बहुत समय व्यतीत करते है, और कुछ समय कंप्यूटर से दूर दिताना चाहते है.
  • उन्हें पेपर-बेक पर ही पुस्तक पढ़ना पसंद है. कंप्यूटर पर पढ़ना उन्हें नहीं जंचता.
  • कंप्यूटर के इस्तेमाल में सहज नहीं है.
  • उनके पसंद के विषय में अच्छी ई-बुक उपलब्ध नहीं है.



    Electronic resources form one of many formats that the Library collects to support its universal collections. Electronic resources include, web sites, online databases, e-journals, e-books, and physical carriers in all formats, whether free or fee-based, required to support research in the subject covered, and may be audio, visual, and/or text files.

    An electronic resource is defined as a resource which require computer access or any electronic product that delivers a collection of data, be it text referring to full text bases, electronic journals, image collections, other multimedia products and numerical, graphical or time based, as a commercially available title that has been published with an aim to being marketed.एक इलेक्ट्रॉनिक संसाधन को एक ऐसे संसाधन के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके लिए कंप्यूटर एक्सेस या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद की आवश्यकता होती है जो डेटा का संग्रह प्रदान करता है, चाहे वह टेक्स्ट हो जो पूर्ण टेक्स्ट बेस, इलेक्ट्रॉनिक जर्नल, इमेज कलेक्शन, अन्य मल्टीमीडिया उत्पाद और संख्यात्मक, ग्राफिकल या समय आधारित हो।

    Sources of information available in electronic (digital/analogue) format and accessible in offline/online modes through intranet or Internet over computers, book-readers, tablets, smart-phones, etc.

    Resources in the electronic form that are readable using various electronic components.इलेक्ट्रॉनिक रूप में संसाधन जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग करके पठनीय हैं।

    Has potential to provide access to literally thousands of e-articles, e-books, online newspapers, magazines and more, which is far more than a library could possibly subscribe in print format. It is possible to find related studies while searching internet, as most online databases provides citation links to the particular study.इंटरनेट पर खोज करते समय संबंधित अध्ययनों को खोजना संभव है, क्योंकि अधिकांश ऑनलाइन डेटाबेस विशेष अध्ययन के लिए उद्धरण लिंक प्रदान करते हैं।

    Electronic resources are materials in digital format accessible electronically.इलेक्ट्रॉनिक संसाधन डिजिटल प्रारूप में इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुलभ सामग्री हैं।

    E-resources is a digital media firm with a singular focus: to provide our clients with a dedicated partner that advances their mission with web-based solutions.ई-संसाधन एक डिजिटल मीडिया फर्म है जिसका एकमात्र फोकस है: अपने ग्राहकों को एक समर्पित भागीदार प्रदान करना जो वेब-आधारित समाधानों के साथ अपने मिशन को आगे बढ़ाता है।

    Electronic resources (or e-resources) are materials in digital format accessible electronically. Examples of e-resources are electronic journals (e-journal), electronic books (e-book) online databases in varied digital formats, Adobe Acrobat documents (.pdf), webpages.इलेक्ट्रॉनिक संसाधन (या ई-संसाधन) इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुलभ डिजिटल प्रारूप में सामग्री हैं। ई-संसाधनों के उदाहरण इलेक्ट्रॉनिक जर्नल (ई-जर्नल), इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकें (ई-बुक) विभिन्न डिजिटल प्रारूपों में ऑनलाइन डेटाबेस, एडोब एक्रोबैट दस्तावेज़ (.pdf), वेबपेज हैं।

    What is E-ReferenceElectronic Reference materials are sources of information in the form of online encyclopedias, dictionaries, timelines, handbooks, and guides. These resources provide reliable and accurate quick facts, definitions, and background information on any topic.

    ई-संदर्भ क्या है?

    इलेक्ट्रॉनिक संदर्भ सामग्री ऑनलाइन विश्वकोश, शब्दकोश, समयरेखा, हैंडबुक और गाइड के रूप में सूचना के स्रोत हैं। ये संसाधन किसी भी विषय पर विश्वसनीय और सटीक त्वरित तथ्य, परिभाषाएं और पृष्ठभूमि की जानकारी प्रदान करते हैं।

    • Why use E-Reference Sources?

    Explore E-Reference databases and resources to build a foundational knowledge of any topic for research projects or assignments. E-Reference sources are like the “nuts-&-bolts” of any topic.

     ई-संदर्भ स्रोतों का उपयोग क्यों करें?

    अनुसंधान परियोजनाओं या असाइनमेंट के लिए किसी भी विषय का आधारभूत ज्ञान बनाने के लिए ई-संदर्भ डेटाबेस और संसाधनों का अन्वेषण करें। ई-संदर्भ स्रोत किसी भी विषय के "नट्स-एंड-बोल्ट" की तरह होते हैं।

    When to use E-Reference:

    Start with E-Reference sources at the beginning of any research project or assignment to gather background information on concepts, theories, historical events, people, places, and much more. You may cite E-Reference sources when referring to facts, dates, biographical information, and more.


ई-संदर्भ का उपयोग कब करें:

अवधारणाओं, सिद्धांतों, ऐतिहासिक घटनाओं, लोगों, स्थानों और बहुत कुछ पर पृष्ठभूमि की जानकारी इकट्ठा करने के लिए किसी भी शोध परियोजना या असाइनमेंट की शुरुआत में ई-संदर्भ स्रोतों से शुरू करें। तथ्यों, तारीखों, जीवनी संबंधी जानकारी आदि का जिक्र करते समय आप ई-संदर्भ स्रोतों का हवाला दे सकते हैं।








Advantages of E-Resources

The reasons for actually embarking on the purchasing of electronic resources are generally accepted because of the ease of usability, readability, affordability and accessibility. The following are the advantages of e-resources over the print media
a) Multi-access: A networked product can provide multiple points of access at multiple pints round the clock and to multiples simultaneous users.

b) Speed: An electronic resource is lot quicker to browse or search, to extract information from, and to integrate that information into other material and to cross-search or reference among the different publications.

c) Functionality: E- resources will allow the user to approach the publications to analyze its content in new ways by clicking of the mouse on search mode.

d) Content: The e-resources can contain a vase amount of information, but more importantly the material can consist of mixed media i.e. images, video, audio animation which could not be replaced in print.

e) Mobility

f) Savings physical Space

g) Convenience

h) Saving time& money

Disadvantages of Electronic Resources

Now, more and more people prefer e-resources to traditional ones, because it can save their time and money. However, with various e-resources flooded in, more and more people are aware of the disadvantages of e-resources.

a) The fact that e-resources require special devices or personal computers can be looked at as a disadvantage. Many e-resources are typically produced to be compatible with certain software which in turn may be not easily available. Since e-resources are dependent on other equipment, certain hardware or software failures may affect it. Unless the hardware, Internet connection or battery power that is required by an e-resource reader is readily available, then its electronic document is useless. In addition, e-resources depending on hardware and software and are more easily damaged than a printed book.

b) E-resource reading devices are surely more expensive than printed books. All devices of e-resources require power. There is a growing concern that the e-resources at present may not be accessible or compatible to the futureS e-resources software or devices.

c) Screen glare and eyestrain are a serious concern for many potential users of e-resource technology. A major worry of reading from an e-resource reader could hurt the eyes. The display resolution of computer screens and electronic devices is considerably less than the print quality produced by a printing press.

d) Reading from a computer lacks the familiarity and comfort of reading from a book. A paper book can be opened and flipped; through, while an electronic text is more difficult to navigate.

e) E-Resources have an unreliable life span. Paper has a much longer life span than most digital forms of storage. Because of the rapid development of new computer systems, it is difficult to judge whether the software or hardware will become outdated. As new hardware is developed, structures must be put into place to allow for the migration of existing materials to the new platforms so that they can still be accessed. Methods of preserving the electronic document must also be developed. A high degree of reliability of the equipment must be a part of the electronic devices that handle the replacements for printed books.

 f) Many titles that are available in traditional print books are not yet available in an electronic book format.

g) New technologies always require time, experience, and money in order to take full advantage of its capabilities.


Multimedia application for educationist शिक्षाविदों हेतु मल्टीमीडिया अनुप्रयोग
शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग
शिक्षा के क्षेत्र में मल्टीमीडिया का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। आज विविध प्रकार की शिक्षण विधियों को इंटरनेट एवं कंप्यूटर की सहायता से ज्ञात किया जाता है। कंप्यूटर की सहायता से विविध प्रकार की सामग्री को सजीव रूप से छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। छात्रों को विविध प्रकार के कठिन विषयों को समझने के लिए इंटरनेट के द्वारा सरल सामग्री प्राप्त करने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार शैक्षिक प्रबंध प्रशासन एवं शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में व्यापक रूप से मल्टीमीडिया का उपयोग किया जाता है।

 गहरी समझ शोध के अनुसार, मल्टीमीडिया सीखने का एक लाभ यह है कि यह सामग्री के मौखिक और दृश्य प्रतिनिधित्व के बीच संबंध बनाने की मस्तिष्क की क्षमता का लाभ उठाता है, जिससे गहरी समझ होती है, जो बदले में अन्य स्थितियों में सीखने के हस्तांतरण का समर्थन करती है। यह सब आज की 21वीं सदी की कक्षाओं में महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम छात्रों को ऐसे भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं जहां उच्च स्तरीय सोच, समस्या समाधान और सहयोगी कौशल की आवश्यकता होगी।

 बेहतर समस्या समाधान मानव मस्तिष्क का एक बड़ा प्रतिशत स्वयं को दृश्य प्रसंस्करण के लिए समर्पित करता है। इस प्रकार, पाठ के साथ छवियों, वीडियो और एनिमेशन का उपयोग मस्तिष्क को उत्तेजित करता है। छात्र का ध्यान और अवधारण में वृद्धि। इन परिस्थितियों में, मल्टीमीडिया सीखने के माहौल में, छात्र उस परिदृश्य की तुलना में समस्याओं को अधिक आसानी से पहचान और हल कर सकते हैं जहां शिक्षण केवल पाठ्यपुस्तकों द्वारा संभव बनाया गया है।

सकारात्मक भावनाओं में वृद्धि  मनोवैज्ञानिक बारबरा फ्रेडरिकसन के अनुसार, सकारात्मक भावनाओं का अनुभव करने से लोग अपने जीवन में अधिक संभावनाएं देखते हैं। निर्देशों के दौरान मल्टीमीडिया का उपयोग सीखने की प्रक्रिया के दौरान छात्र के मूड को प्रभावित करता है। सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ वे बेहतर सीखते हैं और अधिक सक्रिय होते हैं।

विविध प्रकार की सूचनाओं तक पहुंच कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन और इंटरनेट के साथ, छात्र आज अपनी जरूरत की जानकारी खोजने और खोजने के लिए पहले से कहीं बेहतर सुसज्जित हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि 95% छात्र जिनके पास इंटरनेट है, वे इसका उपयोग ऑनलाइन जानकारी खोजने के लिए करते हैं। जानकारी साझा करना और कक्षा चर्चा में भाग लेना अधिक आत्मविश्वास से किया जाता है जब सूचना तक पहुंच आज की तरह आसान है।

विश्व अन्वेषण यहां कोई आश्चर्य की बात नहीं है। मल्टीमीडिया की मदद से बच्चे उन जगहों के बारे में पता लगा सकते हैं और सीख सकते हैं जहां वे कभी नहीं गए होंगे। भूगोल की कक्षा में, छात्र दुनिया के विभिन्न शहरों, सबसे ऊंचे पहाड़ों और सबसे खतरनाक जंगलों का पता लगा सकते हैं। विज्ञान वर्ग में अब अंतरिक्ष और ग्रहों की खोज संभव है। जीव विज्ञान वर्ग में, दुर्लभ जानवरों का विच्छेदन और विभिन्न आवासों की खोज एक मल्टीमीडिया सीखने के माहौल से लाभान्वित होने वाले छात्रों के लिए एक पार्क में टहलने की तरह है।








Information chaos सूचना कोलाहल
 Information chaos is comprised of various combinations of information overload, information underload, information scatter, information conflict, and erroneous information.

Information Chaos and Information as an Enabler

The digital age has opened up new technological frontiers. 

It has given us access to new ways of communicating, doing business, and designing products.

However, these advancements have also dramatically increased the flow of information.

To understand information chaos, consider these three things:

  • New technologies are throwing wrenches into traditional operations – today’s fast-paced economy is pressuring many companies to digitally transform
  • Businesses, like consumers, are overwhelmed in today’s ocean of content – making it more difficult than ever to navigate forward
  • The information age has thrown business models into chaos – upending everything from customer relationships to industry-standard business practices

This information chaos can have negative results, such as:

  • Decreased productivity
  • “Analysis paralysis”
  • Shallow conversations 
  • Inability to keep up with information demands
  • More distraction

However, in the midst of this chaos, opportunities for growth abound:

  • Information is what enables digital transformation – paradoxically it is information that helps companies navigate the chaotic “sea of information”
  • The right information and knowledge can itself become a competitive advantage – data-driven insights can offer unique intelligence and inform decisions
  • Information enables better communication and understanding – of customers, business partners, employees, and the marketplace, for example

These ideas beg the question … how do you transform chaos into utility?

Combatting Information Chaos with Design

Effective design is one of the best ways to combat information overload.

The Interaction Design Foundation, for instance, specifically addresses this topic. 

They say that information overload can result from:

  • The huge amount of information currently being created
  • The ease with which we can create and publish new information
  • The exponential increase in the number of digital media channels
  • A lack of structure in groups of information

To name a few.

In business, poor design can contribute to information overload in any area that employs design thinking.

Here are just a few examples:

  • UI – User interfaces can be easy-to-understand, usable, and straightforward. Or they can be chaotic, confusing, and frustrating. Effective UI design boosts engagement metrics and decreases cognitive load.
  • Customer Journey Mapping – The customer journey should be carefully crafted. By leveraging customer information, companies can design journey maps that are relevant, useful, and seamless.
  • User Onboarding – Well-structured, well-designed onboarding creates a positive impression on users. Ineffective communication during this stage, though, can increase abandonment rates and decrease productivity.
  • Training Design – Employee training is a must in today’s digital workplace. Effective training solutions, such as digital adoption platforms, teach the right information at the right time. By avoiding extraneous information, they prevent information overload.
  • Product Design – Applie’s iconic product designs have an immediate impact. They are usable, simple, and unobtrusive. 
  • Workplace – Workplaces don’t necessarily need to be tranquil, zen-like spaces that are free of activity. However, consider every element of an employee’s workflow, from their workspace to the information they use. Anything that is irrelevant can detract from employee productivity.
  • Data Visualization – Data is a prime example of information chaos. Unstructured data is literally a sea of data points and numbers. To turn that chaos into usable information, we employ visualization tools that help us immediately grasp the data’s content.

Clearly, design can be applied in many areas of business.

And information can either enable or hinder productivity in any of these areas.

PRINCIPLES OF EFFECTIVE DESIGN

Here are a few concepts that can be applied across business disciplines, to help reduce information overwhelm:

  • Simplicity – Undue complexity distracts from your purpose, while simplicity communicates your purpose and keeps it understandable. A landing page, for instance, should have a single aim and a single call-to-action. More than one will confuse users.
  • Relevance – Irrelevant information should have no place in any design. It will increase cognitive load, confuse users, and leave them feeling distracted.
  • Clarity – Clarity is another hallmark of effective design. Website navigation, for instance, should use clear language rather than clever language. Clear language helps users achieve their purpose quickly and effectively.
  • Directed – What are users supposed to do? Offering clear pathway of action is critical – otherwise people won’t take action.
  • Actionability – Finally, designs should enable action. It should be easy to complete a purchase, download a white paper, set up a sales call, or take the relevant action.


Information overload is a reality within most organisations.Whilst there is no lack of information, research show that only 31 % of company data has value. Identifying quality information, keeping the digital workplace tidy and creating findability are challenging tasks that require a structured approach. 

Information (documents, emails, videos, podcasts, voicemails, texts, tweets, Facebook posts, LinkedIn conversations, customer analytics,etc.) surrounds us. We rely on this information for entertainment and to do our jobs. Access by employees to information and manipulation by companies of their customer information to serve customer needs is THE competitive advantage today.

Better information equals better results.

The problem? That information is everywhere and not always managed effectively. By managed we mean channeled towards some business outcome. We use the phrase Information Chaos to describe this ongoing and accelerating state of massive information disruption.

Information is the lifeblood of your business. It's also everywhere; on mobile devices, laptops, in apps and the cloud. Sometimes this information is even well managed. The problem – and opportunity – will only get worse (and better).

 Data or information chaos is more challenging than ever before. There are two reasons: 1) there is more chaos, and 2) it is more challenging as the expectations and requirements are increasing.

Businesses today are dealing with the exponential growth of data. There are paper-based business inputs, and there are vast amounts of digital documents coming to you in various formats – such as video, phone calls, chat logs, web analytics, and more – and from multiple sources, including social media channels, customer care centers, online and offline.

Analysts predicted digital data to double every two years - but this was before the Internet of Things (IoT) even appeared on the radar. Data volume is now measured in zettabytes, a trillion gigabytes! Mobile devices are a key driver for the data.

Expectations are increasing. There is a desire to process business inputs with a higher level of automation, meaning quicker and with less human intervention. In a B2C environment these requirements are driven by the end customer, meaning the bank customer who applies for a mortgage – expectation is to have this completed in 30 minutes.

Consumerization drives these changing requirements. Why would an insurance customer accept submitting data for an insurance claim in paper and then waiting for days/weeks as in the past? They will simply find another company with whom to do business. 

OUR PROCESSES ARE BROKEN, WE ARE BURIED IN INFORMATION AND IT IS KILLING OUR ABILITY TO SATISFY OUR CUSTOMERS.

John Mancini: Three major disruptive forces are accelerating the pace of change and driving organizations into information chaos:

  • CONSUMERIZATION is transforming what users expect from applications and how we deliver them. We are now in the era of user-centric IT.
  • CLOUD COMPUTING AND MOBILE are creating an expectation of anywhere, anytime access and transforming how we engage with customers and employees.
  • THE INTERNET OF THINGS is generating massive amounts of new data and information, creating enormous new challenges and opportunities.
Many organizations operate in an environment in which users are encouraged, expected, or required to identify and capture their own information. There is some value to this approach – users are most knowledgeable about their business processes and activities and should be the best-positioned to determine what is important and where to store it. 
But the reality is something different. In the vast majority of organizations, most users do not identify and capture and manage their information properly. They simply don’t. There are a number of reasons for this. 
Every organization is doing more with less. No matter how much training is provided (and many organizations do very little!), most users simply don’t see information capture and classification as their priority – or certainly not higher than the actual work they are doing. 
Users are very likely to classify things inconsistently over time, and the more complex the classification structure, the more likely this is to be the case. 
There is always the possibility of an error: the user drags the record into the wrong folder, or makes a typographical error in a key metadata field. 
The scale of incoming content is just too large and too varied for manual approaches to have any chance of success.






उदाहरण-ड्रिल और प्रैक्टिस सॉफ्टवेयर





















शैक्षिक सिमुलेशन का उदाहरण
E-LEARNING के लिए PEDAGOGICAL DESIGNS  

ई-लर्निंग का आकलन 




ई-मॉडरेशन 

ऑनलाइन LMS

डिजिटल लर्निंग ऑब्जेक्ट्स

https://nzmaths.co.nz/digital-learning-objects

COLLECTION OF DIGITALLEARNING OBJECTS

ऑनलाइन LEARNING COURSE विकास मॉडल 

ई-लर्निंग का प्रबंधन और कार्यान्वयन

UNIT V

औपचारिक शिक्षा में शिक्षा तकनीकी

Educational Technology in Formal, Non-formal and Informal Education


दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा

खोज परिणाम

सीसीटीवी









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U.P. Higher Education Services Commission, Prayagraj/md.raj/Syllabus/B.Ed.
Unit-8 : Educational Technology
(i) Meaning and Scope of Educational Technology :
Educational Technology as systems approach to education.
Systems approach in educational technology and its characteristics.
Components of educational technology, software, hardware
(ii) Multi – media approach in Educational Technology.
(iii) Modalities of Teaching – difference between teaching and instruction,
conditioning and training, Teaching and Indectination
(iv) Stages of teaching – Pro – Active, Interactive and Post-active
(v) Teaching at different levels – memory, understanding and reflective.
(vi) Modification of teaching behaviour : Microteaching, Flander’s Interaction
Analysis, Simulation.
(vii) Programmed Instruction (Origin, Types, Linear and branching and Mathetices ,
Development of programmed instruction materials, Teaching Machines,
Computer Assisted Instruction(CAI).
(viii) Models of Teaching : Concept, different families of teaching models
(ix) Designing Instructional System- formulation of instructional objectives, task
(x) Digital Learning
Analysis, designing of Instructional Strategies, such as Lecture, Team Teaching,
Discussion, Panel Discussion, Seminars and Tutorials.
Communication Process : Concept of Communication, Principles. Modes and
Barriers of communication, Classroom Communication (Verbal and Non –
Verbal Interaction).
Distance Education : Concept, Different Contemporary Systems, viz.,
Correspondence, Distance and Open; Student support services; Evaluation
Strategies in Distance Education; Counselling Methods in Distance Education.


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