Assignment: Physical Education and Yoga, Minor—3, Semester—4
Information Technology (IT) एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके अंतर्गत computer या अन्य physical devices (hardware, software) का उपयोग electronic data को create, process, sucure और exchange करने के लिए किया जाता है. सरल परिभाषा में समझे तो सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के अंतर्गत हम computer और telecommunication जैसे system का अध्ययन व उपयोग सूचना के भंडारण, पुनर्प्राप्ति और आदान प्रदान के लिये करते है.
Computing technology से सम्बंधित सभी चीजें information technology को संदर्भित करती है. इसका अर्थ है, कंप्यूटर के द्वारा किये जाने वाले कार्य व इससे जुड़ी हुई चीजें जैसे Internet, Networking, Data management इत्यादि सभी IT का एक हिस्सा है.
“IT” कोई छोटा क्षेत्र नही है, बल्कि इसमे कई चीजें आती है. अगर IT Department को एक उदाहरण के तौर पर देखे तो इसमे कई ऐसे विभाग आते है, जिन्हें शायद आप एक अलग चीज समझते हो. information technology के अंतर्गत कई jobs और जिम्मेदारियों के साथ कई लोग काम करते है. इन जिम्मेदारियों की बात करे तो इनमे system और data security से लेकर network को बनाए रखने और चलाने तक के कार्य है. इसके साथ ही programming, data input करना और database management जैसे कई कार्य IT के अंतर्गत आते है.
IT अथवा सूचना प्रौद्योगिकी एक बड़ा क्षेत्र है, आज की लगभग सभी modern technology इसी पर आधारित है. अगर इसके उपयोग की बात करे तो Information Technology ने मनुष्यों के हर aspect को प्रभावित किया है. हमारी Education, Society, Business, Entertainment, Telecommunications इत्यादि सभी महत्वपूर्ण चीजे इसका फायदा ले रही है.
नीचे सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के कुछ उपयोगों को सूचीबद्ध दर्शाया गया है.
Business
व्यावसायिक कार्यो पर IT का महत्वपूर्ण प्रभाव है. Technology infrastructure व्यवसाय की संस्कृति, दक्षता और सम्बन्धों को प्रभावित करता है. पहले के मुकाबले आज के business कही अधिक technology पर निर्भर है. एक बेहतर दूरसंचार से लेकर online payment जैसे महत्वपूर्ण विकल्प के लिए हमे सूचना प्रौद्योगिकी IT को अपनाना पड़ता है. अगर अपने व्यापार को बड़ाना है, तो online advertisement के माध्यम से हम अपने customers तक पहुंच सकते है.
Education
Information Technology के विकास ने पुरानी Education system को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. अब शिक्षा क्षेत्र बदल गया है. आज हम internet का उपयोग करके online education घर बैठे ले सकते है. आज के समय कई ऐसे online application है, जिस पर लगभग हर विषय के बारे में जानकरी बेहतर ढंग से दी जा रही है.
Telecommunications
सूचना प्रौद्योगिकी के आने से दूरसंचार (telecommunications) के क्षेत्र में कई नई सेवाओं के द्वार खुले है. computer खुद email के द्वारा संचार करने के लिए telephone network का उपयोग करता है. इसके साथ ही IT के विकास से Radio, TV transmission, World Wide Web(WWW) जैसे महत्वपूर्ण अविष्कार संभव हुए. एक phone के अंदर telephone और internet service को Information technology के माध्यम से ही साथ लाया गया.
Entertainment
कंप्यूटर मोबाइल जैसी तकनीकों के अविष्कार ने हमारे जीवन मे मनोरंजन के ढेरों साधन दिए है. आज हम movies और music को internet के माध्यम से online access कर सकते है. इसके अलावा कई ऐसे entertainment tool है, जो हमे IT के विकास से प्राप्त हुए है.
Security
प्रौद्योगिकी में विकास के साथ-साथ Online froud, Data theft जैसी कई समस्याएं सामने आयी. जिसके बाद Information technology security को बनाया गया. इसके अंतर्गत computer, network और data जैसी महत्वपूर्ण जानकरी को दूसरों की पहुंच से दूर रखा जाता है. जब आप online portal के द्वारा अपने बैंक खाते तक पहुँचते है, तो IT Security यह सुनिश्चित करती है, कि केवल आप ही अपने खाते की जानकारी देख पाये.
आज का युग technology का है, हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए टेक्नोलॉजी ने सभी क्षेत्रों में योगदान दिया है. Information system का भी इसमे अहम रोल है, जो data और information को इकट्ठा करने और व्यवस्थित करने से सम्बंधित है. इस Information system (सूचना प्रणाली) के प्रमुख पांच घटक होते है.
1) Computer hardware technology
इस प्रौद्योगिकी को भौतिक तकनीक (physical technology) कहा जाता है, जो information के साथ काम करती है. हार्डवेयर कंप्यूटर के वे भाग है जिन्हें हम देख व छू सकते है. उदाहरण के लिये CPU, Motherboard, Keyword, Mouse इत्यादि कंप्यूटर हार्डवेयर कहलाते है. इसके अलावा Micro computer, Mainframe और Storage device भी इसके अंतर्गत आते है.
2 ) Computer software technology
सॉफ्टवेयर निर्देशो का एक सेट है, जो हार्डवेयर को यह बताता है, कि क्या करना है. सरल भाषा मे आप इसे एक program भी कह सकते है. उदाहरण के लिये programmers जो software बनाते है, असल मे वह commands या instructions लिखते है. जिसके अनुसार हार्डवेयर कार्य करते है. इसके दो मुख्य भाग होते है, पहला operation system जिसमे hardware को प्रयोग करने योग्य बनाया जाता है. दूसरा Application software जो कुछ specific task के लिये डिजाइन किए जाते है.
3) Telecommunications व network technology
इस प्रक्रिया में सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को एक साथ जोड़कर Network बनाया जाता है. इसके लिये wire का उपयोग हो सकता है. जैसे ethernet cable या fibre optics और या फिर wireless जैसे Wifi के माध्यम से भी connection स्थापित किया जा सकता है. अगर किसी विशिष्ट क्षेत्र जैसे कार्यालय, स्कूल के सभी computers को आपस मे जोड़ना है, तो इसके लिए एक Local area network (LAN) डिज़ाइन किया जाता है. यदि connection दूर-दूर बनाना हो तो इसके लिये Wide area network (WAN) डिज़ाइन किया जाता है. इंटरनेट स्वयं नेटवर्क का नेटवर्क है. नेटवर्क के विभिन्न प्रकार को समझने के लिए ये पोस्ट पढ़े।
4) Database technology
इस घटक के अंतर्गत बाकी अन्य घटक निवास करते है. Database एक ऐसा स्थान है, जहां डेटा एकत्र (data collect) किया जाता है. यह डेटा कई प्रकार का हो सकता है. जैसे document, file, worksheet इत्यादि
5) Human Resources
Information Technology (IT) का सबसे महत्वपूर्ण घटक मानव संसाधन (human resources) है. सिस्टम को चलाने के लिए जिन लोगो की आवश्यकता होती है, फिर चाहे वह workers हो या System Analytics, Programmer, Cheif Information Officer इन सभी का सूचना प्रौद्योगिकी में एक बड़ा योगदान है. यह सभी IT के लिए आवश्यक तत्व है.
आज के समय Information Technology या IT मुख्य रूप से computer technology से सम्बंधित है. हमारे ज्यादातर कार्य भी कंप्यूटर पर ही निर्भर होते है.
सूचना प्रौद्योगिकी से होने वाले कुछ मुख्य फायदे
● इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी IT संचार (communication) के क्षेत्र में क्रांति लेकर आया आज हम massege, voice call, video call की मदद से किसी से साथ भी सवांद कर सकते है.
● सूचना प्रौद्योगिकी से विभिन्न देशों, भाषाओं और संस्कृतियो के बीच सूचना, ज्ञान, संचार और सम्बन्धों को सांझा करना बहुत आसान हो गया है.
● IT के विकास ने Business को भी एक नए आयाम पर पहुँचाया है. आज कंपनियों का अपने ग्राहकों तक पहुँचना आसान हो गया है. इसके साथ ही हम अपने व्यवसाय को online operate कर सकते है, जिससे हमे अपने product को sale करने में आसानी होती है.
● सूचना प्रौद्योगिकी IT ने कई नोकरियों का निर्माण किया है. computer programmer, hardware developer, software developer, system analyzers और web designer जैसी नई नोकरिया Information technology की देन है.
● आईटी कम लागत में Information को store करने के साथ protection भी प्रदान करता है. अगर आपका व्यवसाय है, तो उस दृष्टिकोण से यह काफी महत्वपूर्ण है.
● इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ने सभी प्रकार की सूचनाओं को सही ढंग से और तेज गति के साथ संसाधित करने की क्षमताओं को कई गुना बढ़ा दिया है. कुछ उपकरण जैसे world processer, spread sheet, database program के उपयोग से आप जानकरी को बेहतर ढंग से संभाल सकते है.
एक IT System को आमतौर पर सूचना प्रणाली (information system) संचार प्रणाली (communication system) या कंप्यूटर प्रणाली (computer system) जैसे नामो से भी जाना जाता है.यह एक नवाचार विधि है।’दल’ शब्द का अर्थ होता है समूह अर्थात् जब किसी कक्षा-कक्ष में विशेषज्ञ शिक्षक समूह द्वारा अध्यापन कार्य किया जाता है, तब वह दल शिक्षण विधि के नाम से जाना जाता है। इस विधि को सहकारिता शिक्षण विधि भी कहते है।
⇒ दल शिक्षण विधि का विकास सर्वप्रथम 1955 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका के शोध छात्र मिसीगन व हार्वे द्वारा किया गया। शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं में संसाधनों विशेषज्ञों का अधिकतम उपयोग करने के लिए समूह शिक्षण मुख्य नवाचार है। इसमें शिक्षण संस्था के सभी सदस्यों का अधिकतम एवं कुशलता में उपयोग किया जा सकता है।
दल शिक्षण किसी एक शिक्षक के द्वारा ना करके एक से अधिक शिक्षकों द्वारा मिलजुल कर किया जाता है। और शिक्षण के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान समय में शिक्षक का उत्तरदायित्व बहुत अधिक बढ़ गया है। साथ ही छात्रों को भी दबावपूर्ण स्थितियों में कार्य करना पड़ता है तो ऐसे में समूह शिक्षण प्रयोग करने की आवश्यकता उभरकर सामने आती है। अतः दल शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
दल शिक्षण एक व्यवस्था है जिसमें समूह के शिक्षक अपनी क्रियाओं को स्वयं निर्धारित करते हैं। उन्हें कार्य के चयन की पूर्ण स्वतंत्रता होती है। प्रत्येक शिक्षक अपने कौशल व्यक्तित्व अनुभव तथा विशेष योग्यताओं का प्रयोग करने का प्रयास करता है। इसके अंतर्गत विद्यालय सुविधाओं का भी अधिक से अधिक प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है।
दल शिक्षण व्यवस्था का वह स्वरूप है जिसमें दो या दो से अधिक शिक्षक अपने स्रोतों, अभिरुचि और छात्रों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण अधिगम संपन्न करते हैं तथा वे विद्यालय की सुविधाओं का समुचित उपयोग करते हैं।
दल शिक्षण परंपरागत शिक्षण के स्थान पर एक ऐसा नवाचार है। जिसमें शिक्षण में सुधार लाने एवं गुणात्मक ताकि वृद्धि के लिए एक ही कक्षा में कई शिक्षक मिलकर शिक्षण कार्य करते हैं।
डेविड वारविक के अनुसार, ’’टोली शिक्षण व्यवस्था का एक स्वरूप है, जिसमें कई शिक्षक अपने स्रोतों, अभिरुचियों तथा दक्षताओं को एकत्रित करते हैं और छात्रों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षकों की एक टोली द्वारा प्रस्तुत किया जाता है वे विद्यालय की सुविधाओं का समुचित उपयोग करते हैं।’’
प्रो. कार्लो औलसन् महोदय के अनुसार, ’’ अतिरिक्त ज्ञान एवं कौशल से युक्त दो-तीन अध्यापक परस्पर सहयोग से किसी शीर्षक की शिक्षण योजना का निर्माण करते हैं एवं एक ही समय में छात्र समूह को पढ़ाते हैं तब वह विधि दल शिक्षण विधि कहलाती है।’’
जे.पी.पुरोहित के अनुसार, ’’दल शिक्षण विधि अध्यापक की आधुनिक तकनीक है। इस विधि में दो या दो से अधिक अध्यापक मिलकर नियमित रूप से किसी कक्षा की अध्ययन सम्बन्धी योजना बनाते हैं, उसे क्रियान्वित करते हैं तथा उसका मूल्यांकन करते हैं।’’
शैयलिन तथा ओल्ड के अनुसार, ’’दल शिक्षण अनुदेशात्मक संगठन का वह प्रकार है जिसमें शिक्षण प्रदान करने वाले व्यक्तियों को कुछ छात्र सौंप दिये जाते है। शिक्षण प्रदान करने वालों की संख्या दो या उससे अधिक होती है जिन्हें शिक्षण का दायित्व सौंपा जाता है वे एक ही छात्र समूह को सम्पूर्ण विषयवस्तु या उसके किसी महत्वपूर्ण अंग का एक साथ शिक्षण कार्य करते हैं।’’
जब दो या दो से अधिक शिक्षक मिलकर शिक्षण करते हैं तो वह चार प्रकार से संयोजित हो सकते हैं। इसी आधार पर दल शिक्षण को निम्नलिखित चार प्रकारों में विभाजित किया गया है ।
एक ही कक्षाकक्ष में कालांश हेतु शिक्षण :- इस प्रकार के दल शिक्षण में दल के सदस्य एक ही प्रकार के विभिन्न पक्षों को एक ही कक्षा कक्ष में एवं एक ही कालांश में चर्चा करते हैं। तथा इन पक्षों में प्रत्येक अपनी विशेषज्ञता के विशेष ज्ञान को जोड़ते हुए आपस में आदान-प्रदान करते हैं।
योग्यता व कौशल आधारित दल शिक्षण :- इस प्रकार के दल शिक्षण में विभिन्न शिक्षकों द्वारा इकाइयों का आवंटन विषय वस्तु आधारित न होकर विशेष क्षमता,कौशल आधारित होती है जैसे व्याख्यान, प्रदर्शन, निर्देशन, चर्चा आदि । एक अध्यापक व्याख्या से शिक्षण करता है तो दूसरा प्रदर्शन द्वारा तथा तीसरा प्रोजेक्ट शिक्षण में आता है।
विशेष आधारित दल शिक्षण :- विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ युक्त शिक्षक पाठ्य निर्माण में मूल्यांकन तक संयुक्त रुप से जिम्मेदारियों के लिए निर्देशित होते हैं । वह अपनी विशेषज्ञता एवं क्षेत्रों के आधार पर विषय वस्तु का आदान प्रदान करते हैं।
श्रृंखलाबद्ध तंत्र आधारित दल शिक्षण :– इसमें एक शिक्षक अनुदेशनात्मक प्रक्रिया को प्रारंभ करता है। जब वह पूर्ण कर लेता है तो दूसरा उसका अनुसरण करता है। एवं यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है यहां पर कौशल अथवा विशेष क्षमता आधारित कार्यों का आवंटन नहीं होता है प्रत्येक शिक्षक दूसरे के लिए किए गए कार्यों में सहायक, संवर्धन तथा पूरक कार्य करता है।
कक्षा के आकार तथा संरचना का सिद्धांत :- दल शिक्षण के उद्देश्य तथा कुछ विषयों में विद्यार्थियों की कठिनाई को दूर करने के उद्देश्य से कक्षा का आकार होना आवश्यक है । कि अधिगम स्थिति की आवश्यकता के अनुसार समूह, आकार व स्थान हो।
शिक्षकों को उनके दायित्व का प्रदत करने का सिद्धांत :– शिक्षकों के कर्तव्य उनकी दक्षताओं के अनुसार सटीक होने चाहिए तथा दायित्व उनके विषय व विशेष रूचि से संबंधित होना चाहिए।
अधिगम वातावरण का सिद्धांत :- सटीक शिक्षण सहायक सामग्री तथा अन्य विधाओं का उपयोग करते हुए अधिगम वातावरण का निर्माण करना चाहिए । समग्र वातावरण का समुचित उपयोग करने का दायित्व शिक्षक का होता है जैसे कक्षा कक्ष प्रयोगशाला में पुस्तकालय आदि सभी का उपयोग होना चाहिए। दल शिक्षण क्या है
समय तत्व का सिद्धांत :- उक्त प्रकरणों पाठ के प्रमुख व्याख्यान तथा समूह कार्य के अनुरूप समय का निर्धारण होना चाहिए था । एक लचीली समय सारणी आवश्यक है तथा सभी पाठकों ने एक समय अधिक होने चाहिए। समय तत्व का सिद्धांत एक लचीली समय सारणी आवश्यक है l तथा सभी पाठ एक निश्चित समय अवधि के भीतर होने चाहिए।
पर्यवेक्षक का सिद्धांत :- दल शिक्षण का उद्देश्य विशेषज्ञ शिक्षकों का उपयोग करते हुए विषय सामग्री का विकास हुआ प्रस्तुति करना है । अतः एक प्रकरण के ज्ञान के विभिन्न पदों को आत्मसात करने के लिए पर्यवेक्षक व मूल्यांकन भी आवश्यक है। जो भी कार्य सदस्य द्वारा किया जा रहा है वह कैसे और किस रूप में किया जा रहा है ? तथा विद्यार्थी कितना सीख रहा है ? आदि सभी तथ्यों एवं पदों का मूल्यांकन करते रहने से ही दल शिक्षण को उचित दिशा मिल सकती है।
निर्देशन के स्तर का सिद्धांत :- समूह के विद्यार्थी-शिक्षकों के प्रारंभिक व्यवहार निश्चित होने चाहिए । अतः शिक्षण के प्रत्येक सदस्यों का प्रस्तुतीकरण कक्षा – कक्ष में सामंजस्य से युक्त होना चाहिए।
दल शिक्षण प्रणाली सोपान–
1.विभिन्न संस्थाओं के विभिन्न विभागों के अध्यापक ।
2. एक ही संस्था के एक ही विभाग के अध्यापक ।
3.विभिन्न संस्थाओं के एक ही विभाग के अध्यापक।
4. एक ही संस्था के विभिन्न विभागों के अध्यापक ।
⇒ आम सभा सत्र: दल के नेता द्वारा अध्यापकों का परिचय करवाते हुए प्रकरण की सूचना देना तथा मुख्य बिन्दुओं की चर्चा।
⇒ लघुसभा सत्रः आमसभा सत्र में छूटे हुए बिन्दुओं पर सहयोगी अध्यापकों द्वारा चर्चा।
⇒ प्रयोगशाला सत्रः छात्र अपनी शंकाओं का समाधान संबंधित विशेषज्ञ से प्राप्त करते है।
UNIT III
हाइपरमीडिया एक विस्तारित हाइपरटेक्स्ट सिस्टम के तत्वों के रूप में पाठ, डेटा, ग्राफिक्स, ऑडियो और वीडियो का उपयोग है जिसमें सभी तत्व जुड़े हुए हैं, जहां सामग्री हाइपरलिंक के माध्यम से सुलभ है। पाठ, ऑडियो, ग्राफिक्स और वीडियो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, जो आम तौर पर गैर-रेखीय प्रणाली के रूप में मानी जाने वाली सूचनाओं का संकलन बनाते हैं। आधुनिक वर्ल्ड वाइड वेब हाइपरमीडिया के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है, जहां सामग्री ज्यादातर समय इंटरैक्टिव है इसलिए गैर-रैखिक है। हाइपरटेक्स्ट हाइपरमीडिया का एक सबसेट है, और इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1965 में टेड नेल्सन ने किया था।
Hypermedia कंटेंट को Adobe Flash, Adobe Director और Macromedia Authorware जैसे निर्दिष्ट सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके विकसित किया जा सकता है। Adobe Acrobat और Microsoft Office सुइट के रूप में कुछ व्यावसायिक सॉफ़्टवेयर दस्तावेज़ में ही हाइपरलिंक्स के साथ सीमित हाइपरमीडिया सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
सीबीटी (CBT) पाठ्यपुस्तक, नियमपुस्तिका, या कक्षा-आधारित शिक्षा के पारंपरिक शिक्षा पद्धतियों से काफी अलग तरह की शिक्षा प्रेरणा प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, सीबीटी (CBT) सतत शिक्षा आवश्यकताओं की संतोषजनक पूर्ति के लिए उपयोगकर्ता-अनुकूल समाधान प्रदान करते हैं। छात्रों को पाठ्यक्रम में भाग लेने या मुद्रित नियमपुस्तिकाओं को पढ़ने से सीमित करने के बजाय, छात्र उन तरीकों के माध्यम से ज्ञान और कौशल प्राप्त करने में सक्षम होते हैं जो व्यक्तिगत शिक्षा वरीयताओं के लिए बहुत अधिक अनुकूल होते हैं। उदाहरण के लिए, सीबीटी (CBT) एनीमेशन या वीडियो के माध्यम से दृश्य शिक्षा लाभ प्रदान करते हैं, जो आम तौर पर अन्य किसी भी साधन से प्राप्त नहीं होते हैं।
सीबीटी (CBT) मुद्रित शिक्षा सामग्रियों का एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि शिक्षा में वृद्धि करने के लिए वीडियो या एनीमेशन समेत संपन्न माध्यम को बड़ी आसानी से अंतःस्थापित किया जा सकता है। सीबीटी (CBT) का एक और लाभ यह भी है कि एक बार आरंभिक विकास कार्य पूरा हो जाने पर इन्हें व्यापक दर्शकों को अपेक्षाकृत कम लागत पर आसानी से वितरित किया जा सकता है।
शैक्षिक प्रौद्योगिकी ने इंटरनेट से बहुत पहले ही भविष्य में अपनी पहली बड़ी छलांग लगा दी थी।
जब से कंप्यूटर एक छोटे से कमरे के आकार के थे, लोगों ने शैक्षिक उपयोग के लिए नई तकनीक की क्षमता को महसूस किया था। उन्होंने इसके साथ प्रयोग करना शुरू किया और मानव सीखने के अनुभव को बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करने की योजना बनाई।
तब तक, कई अग्रणी शैक्षिक सिद्धांतों ने व्यक्तिगत सीखने के अभ्यास को बढ़ावा दिया था। यह कक्षा-आधारित, शिक्षक-नेतृत्व वाली प्रक्रियाओं की तुलना में बहुत अलग दृष्टिकोण था। शिक्षार्थी स्वयं सीखने की सामग्री के साथ बातचीत करेंगे , बीच-बीच में संक्षिप्त परीक्षण करेंगे और अपनी प्रगति की स्वयं जांच करने के लिए स्वचालित प्रतिक्रिया प्राप्त करेंगे।
हालांकि, शिक्षार्थियों के बड़े समूहों के लिए व्यक्तिगत निर्देश विधियों को लागू करना अभी भी मुश्किल था।
कंप्यूटर तकनीक ने पहली बार ऐसा संभव बनाया है। कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने नई तकनीक को पहले के दूरदर्शी सिद्धांतों के साथ जोड़ा, और जल्द ही, उन्होंने पहला कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर विकसित किया।
तब से, चीजों ने अपना रास्ता बना लिया।
आमतौर पर सीबीटी के रूप में जाना जाता है, कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण (जिसे कंप्यूटर-आधारित शिक्षा या कंप्यूटर-आधारित निर्देश के रूप में भी जाना जाता है) एक इंटरैक्टिव प्रशिक्षक-कम शैक्षिक प्रक्रिया है।
व्यावहारिक रूप से, शिक्षार्थी कंप्यूटर के माध्यम से विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री के साथ अंतःक्रिया करते हैं। कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम विभिन्न आकार और रूपों में आते हैं। वे मल्टीमीडिया-संवर्धित पाठ्यपुस्तकें, ट्यूटोरियल, अभ्यास अभ्यास या सूक्ष्म-विश्व सिमुलेशन भी हो सकते हैं। शिक्षण सामग्री कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर पैकेज में आती है। इन पाठ्यक्रमों तक पहुँचने और लेने के लिए, शिक्षार्थियों को यह जानना होगा कि ऐसे सॉफ़्टवेयर का उपयोग कैसे किया जाता है।
सीबीटी प्रशिक्षण लगभग तब तक रहा है जब तक कंप्यूटर है। हालांकि, सीबीटी की जड़ें पहले से मौजूद व्यक्तिगत प्रशिक्षण दृष्टिकोणों में खोजी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, प्रोग्राम किए गए निर्देश और महारत सीखने में कुछ बुनियादी लक्षण होते हैं जो कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण को परिभाषित करते हैं:
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के साथ ऐसी विधियों को मिलाकर, प्रशिक्षण कार्यक्रम जो शिक्षार्थी को प्रभारी बनाते हैं, अंततः 60 के दशक के बाद संभव थे। बाद में, जैसे-जैसे कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर विकसित हुआ, सीबीटी को स्थानीय नेटवर्क के माध्यम से साइट पर उपलब्ध कराया जा सकता था।
हालांकि, इसे अभी भी डिजाइन, निर्माण और कार्यान्वित करना काफी महंगा था। इसलिए उस युग के अधिकांश कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण उदाहरणों में विशिष्ट उपयोग शामिल हैं जैसे लोगों को सॉफ़्टवेयर अनुप्रयोगों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण देना।
90 के दशक में, जैसे-जैसे इंटरनेट का उपयोग व्यापक होता गया, चीजों को एक बार फिर आगे बढ़ाया गया। कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण अब ऑनलाइन दिया जा सकता है और वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से हर जगह शिक्षार्थियों तक पहुंच सकता है।
सीबीटी एक नया रूप ले रहा था: वेब-आधारित प्रशिक्षण।
कड़ाई से बोलते हुए, वेब-आधारित प्रशिक्षण एक प्रकार का सीबीटी प्रशिक्षण है। लेकिन अगर हमें दोनों को अलग करना होता, तो हम "कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण" शब्द का पारंपरिक अर्थों में उपयोग करते और उनके परिभाषित अंतरों पर ध्यान केंद्रित करते।
यानी डब्ल्यूबीटी की ऑनलाइन डिलीवरी और यूजर इंटरएक्टिविटी की व्यापक संभावनाएं।
आधुनिक ब्राउज़र-आधारित अनुप्रयोगों के लिए धन्यवाद, वेब-आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम सभी प्रकार के कंप्यूटरों और स्मार्ट उपकरणों के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। वेब प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित, डब्ल्यूबीटी हर जगह लोगों तक पहुंच सकता है और आभासी कक्षाओं में बिखरे हुए शिक्षार्थियों और प्रशिक्षकों को एक साथ ला सकता है।
WBT की अंतःक्रियाशीलता, संचार और टेलीकांफ्रेंसिंग क्षमताओं के साथ प्रशिक्षक के नेतृत्व में प्रशिक्षण , सहयोगी कार्यशालाएं, वेबिनार और विभिन्न हाइब्रिड-लर्निंग परिदृश्य संभव हैं।
वेब-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम विभिन्न वेब स्रोतों से देशी या आयातित गतिशील मीडिया-समृद्ध सामग्री प्रदान करते हैं। उस सामग्री को किसी भी समय अद्यतन या सुधारा जा सकता है। प्रशिक्षण प्रक्रिया के दौरान भी, या तो प्रशिक्षकों द्वारा या स्वयं शिक्षार्थियों द्वारा।
दूसरी ओर, कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ऑफ़लाइन, व्यक्तिगत और स्व-गति से सीखने की गतिविधियाँ हैं। वे सॉफ्टवेयर-आधारित हैं (संबंधित शब्द "कोर्सवेयर" हुआ करता था), और कनेक्टिविटी मुद्दों, बैंडविड्थ मांगों और ऑनलाइन विकर्षणों से मुक्त हैं।
उनकी सामग्री सीबीटी सॉफ्टवेयर पैकेज का हिस्सा है, और इसका उन्नयन निर्माता के समर्थन पर निर्भर करता है। सीबीटी पाठ्यक्रम मानकीकृत हैं, और उन विषयों को कवर करते हैं जिन्हें शिक्षार्थी व्यक्तिगत रूप से पढ़ सकते हैं, क्योंकि कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण उपयोगकर्ता के संपर्क या मिश्रित सीखने की स्थितियों की अनुमति नहीं देता है।
स्थानीय रूप से तैनात, कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं द्वारा साइट पर ही पहुँचा जा सकता है। इसलिए, यह बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को प्रभावित नहीं करता है।
ऑफ़लाइन कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण अपने आधुनिक वेब-आधारित संस्करण की तुलना में कम चुस्त, वितरित करने में आसान और "हिप" है।
बहरहाल, यह किसी भी प्रकार या आकार की कंपनियों के लिए साइट पर कर्मचारियों के बड़े निकायों को प्रशिक्षित करने का एक आजमाया हुआ और परखा हुआ तरीका है। सीबीटी प्रशिक्षण प्रबंधनीय, अत्यधिक सुरक्षित और तत्काल और ठोस परिणाम देने में सक्षम है। किसी भी कंपनी के लिए एक संभावित संपत्ति जो वास्तव में उनके प्रशिक्षण में निवेश करती है।
पारंपरिक प्रशिक्षक के नेतृत्व वाले कार्यक्रमों की तुलना में, एक कॉर्पोरेट कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण प्रणाली को तैयार करने और तैनात करने में बहुत अधिक समय और काम लग सकता है। कंपनियों को अपने सिस्टम के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा और इसे स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों की एक योग्य टीम तैयार करनी होगी।
हालांकि, अगर वे इसे सही तरीके से करते हैं, तो वे जल्द ही कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण के दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करेंगे:
कॉर्पोरेट प्रशिक्षण कार्यक्रम देने के लिए कस्टम सीबीटी प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर विकसित करना पहली नज़र में काफी महंगा लग सकता है। हालांकि, दर्जी कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम बेहद कुशल साबित हो सकते हैं और धीरे-धीरे प्रशिक्षण ओवरहेड को कम कर सकते हैं।
कस्टम-निर्मित कंप्यूटर-आधारित शिक्षण सॉफ़्टवेयर कंपनी की आवर्ती प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है , सामान्य और विशिष्ट। इस तरह, यह पारंपरिक प्रशिक्षण विधियों के साथ-साथ उनकी लागतों की आवश्यकता को समाप्त करता है।
एक कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण प्रणाली हमेशा पहुंच योग्य होती है और असीमित संख्या में शिक्षार्थियों को समायोजित करने में सक्षम होती है। ये शिक्षार्थी कंपनी के आधार पर प्रशिक्षण लेते हैं, बिना कार्यस्थल को छोड़े और जब तक उन्हें आवश्यकता हो। इसका मतलब है कि कोई अतिरिक्त लागत नहीं है और कोई अतिरिक्त काम के घंटे नहीं खोए हैं।
लंबे समय में, सीबीटी प्रशिक्षण एक निवेश है जो कंपनियों को प्रशिक्षक, कक्षा, यात्रा और शिक्षण-सामग्री खर्च पर खर्च किए गए बहुत सारे पैसे बचा सकता है ।
कक्षा-आधारित कॉर्पोरेट प्रशिक्षण नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए एक लंबी, समय लेने वाली प्रक्रिया हो सकती है, जिसके अक्सर संदिग्ध परिणाम होते हैं।
सीबीटी शिक्षार्थियों को अपनी गति से अपना प्रशिक्षण पूरा करने , अपने सीखने के कार्यक्रम को अनुकूलित करने और अपने विशिष्ट कौशल अंतराल पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है । जैसे-जैसे वे अपने सीखने के पथ पर आगे बढ़ते हैं, उन्हें सही करने या प्रेरित करने के लिए उन्हें बहुमूल्य प्रतिक्रिया मिलती है।

कुछ हद तक, सीबीटी कर्मचारियों को अपने स्वयं के प्रशिक्षण के नियंत्रण में रहने की अनुमति देता है। शिक्षार्थी नियंत्रण में वृद्धि से कर्मचारी जुड़ाव और ज्ञान प्रतिधारण में वृद्धि होती है ।
आधुनिक कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर कंपनियों को उन्नत प्रदर्शन ट्रैकिंग और मूल्यांकन क्षमताओं के साथ एक नॉन-स्टॉप प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने में सक्षम बनाता है। मापने योग्य परिणाम नियोक्ताओं को उनके प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मूल्यांकन करने और दक्षता के लिए उन्हें और अधिक अनुकूलित करने में मदद करते हैं।
पारंपरिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में, एक ही पाठ्यक्रम अक्सर विभिन्न शिक्षार्थियों को अलग-अलग तरीके से दिया जाता है क्योंकि प्रशिक्षक असंगत हो सकते हैं या बस नियमित रूप से बदल सकते हैं।
कंप्यूटर आधारित शिक्षण कार्यक्रम ठीक उसी तरह पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। पाठ्यक्रमों में एक ही सामग्री होती है, एक ही प्रारंभिक परीक्षण, स्व-जांच प्रश्न और पाठ के बाद की प्रश्नोत्तरी के साथ पूरा होता है। नतीजतन, सभी कर्मचारी एक ही शिक्षण सामग्री के साथ बातचीत करते हैं और एक साथ प्रगति करते हैं, भले ही उन्हें वापस जाकर एक कोर्स करना पड़े।
थके हुए कर्मचारियों को अनगिनत कक्षाओं को पढ़ाने से मुक्त, प्रशिक्षकों ने अपना सारा समय और प्रयास सीबीटी पाठ्यक्रमों को अद्यतन और कुशल बनाए रखने में लगाया।
जैसा कि हमने ऊपर उल्लेख किया है, कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण प्रणाली का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, कंपनियों को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ लाने की आवश्यकता है। इनमें कोर्स बिल्डिंग, यूएक्स और ग्राफिक डिजाइन, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग आदि शामिल हैं
सुचारू रूप से और कुशलता से सहयोग करके, विशेषज्ञों की एक टीम कंपनी की आवश्यकताओं के अनुरूप एक अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया, प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार कर सकती है। ऐसा करने के लिए, उन्हें निम्नलिखित में से कुछ या सभी तकनीकों को संयोजित करने की आवश्यकता है:
कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का एक मानक रूप ट्यूटोरियल है।
यह या तो व्यावहारिक हो सकता है, जैसे कि एक यांत्रिक भाग या वैचारिक को कैसे इकट्ठा किया जाए, जैसे नियमों का एक सेट लंबे समय में कंपनी के संचालन को कैसे लाभ पहुंचाता है। एक ट्यूटोरियल मल्टीमीडिया और अन्य प्रस्तुति सामग्री द्वारा सहायता प्राप्त व्याख्यान प्रारूप में जानकारी प्रस्तुत कर सकता है। संक्षिप्त प्रश्न परीक्षण अनुभागों के बीच पॉप-अप कर सकते हैं ताकि शिक्षार्थी को उनकी प्रगति की जांच करने और उसके अनुसार दोहराने में मदद मिल सके।
प्रभावी कौशल-निर्माण सीबीटी पाठ्यक्रमों में अक्सर ड्रिल और अभ्यास अभ्यास शामिल होते हैं।
ये छोटे दोहराए जाने वाले कार्य हैं जो शिक्षार्थी को क्षण भर पहले सीखी गई बातों का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इस तरह, शिक्षार्थी दोहराए जाने वाले कार्यों के माध्यम से जो सीखते हैं उसे बेहतर तरीके से बनाए रखते हैं, चाहे वह एक नया कौशल हो या एक नई अवधारणा। ड्रिल और अभ्यास के माध्यम से विकसित बुनियादी सजगता भी एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के आगे उपयोगी साबित हो सकती है।
अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सॉफ़्टवेयर का अधिकतम लाभ उठाने का एक और तरीका यह है कि इसका उपयोग सिम्युलेटेड प्रशिक्षण वातावरण बनाने के लिए किया जाए।
सिमुलेशन शिक्षार्थियों को वास्तविक जीवन की स्थितियों में वस्तुतः प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करते हैं । वहां, वे अपने कौशल का अभ्यास करने या नए विकसित करने के लिए अपने आभासी परिवेश के साथ घूम सकते हैं और बातचीत कर सकते हैं। सिम्युलेटेड अनुभव में सरलीकरण जैसी तकनीकों को शामिल करके , पाठ्यक्रम डिजाइनर शिक्षार्थी की व्यस्तता और प्रशिक्षण परिणामों को बढ़ा सकते हैं।
प्रशिक्षण के लिए नकली वातावरण का उपयोग करने का एक और अधिक शक्तिशाली तरीका यह है कि शिक्षार्थियों को उन घटनाओं से निपटना चाहिए जो उन्होंने केवल सिद्धांत में देखी हैं। कंप्यूटर आधारित सीखने के कई परिचित उदाहरण ऐसे सिमुलेशन का उल्लेख करते हैं। इनमें लोगों को प्रशिक्षण देना शामिल है कि कैसे भारी उपकरण (जैसे, क्रेन) और वाहन (जैसे, विमान) संचालित करें या खतरनाक वातावरण (जैसे, तेल रिग) में सुरक्षित रूप से कैसे काम करें।

इस तरह, शिक्षार्थी जटिल शिक्षण सामग्री को बेहतर ढंग से अवशोषित करते हैं और अपने काम पर निर्णय लेने के कौशल को तेज करते हैं।
सीबीटी पाठ्यक्रमों में विशेष रूप से डिजाइन किए गए गेम भी शामिल हो सकते हैं। इस तरह, वे जुड़ाव और ज्ञान प्रतिधारण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षार्थियों की प्रतिस्पर्धी प्रवृत्ति का लाभ उठा सकते हैं।
काफी मजेदार होने के अलावा, शैक्षिक खेल उपयोगकर्ताओं को अपने शारीरिक, दृश्य और संज्ञानात्मक कौशल के साथ जो कुछ भी सीखा है उसे संयोजित करने के लिए प्रेरित करते हैं। जैसे ही वे विभिन्न चुनौतियों, पहेली या नकली कार्रवाई का सामना करते हैं, उन्हें उच्च स्तर पर आगे बढ़ने या उच्चतम स्कोर तक पहुंचने के लिए जल्दी से सोचने और कार्य करने की आवश्यकता होती है।
Gamification उन्नत कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सॉफ़्टवेयर का एक अनिवार्य तत्व है। यदि सही तरीके से किया जाए, तो यह शिक्षार्थियों को उनके सीखने के उद्देश्यों को पूरा करने और इसे उत्कृष्टता से करने में रुचि रखता है।
डेस्कटॉप या लैपटॉप कंप्यूटर
हाई-स्पीड / ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन
हटाने योग्य या समर्पित हार्ड ड्राइव या डिजिटल स्टोरेज
कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर प्राप्त करें। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग कौशल की आवश्यकता में भारी गिरावट के साथ लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि के कारण, कुछ कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सॉफ्टवेयर सूट खरीद के लिए उपलब्ध हैं। अपनी विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, आपको उनमें से प्रत्येक की क्षमताओं पर शोध करना चाहिए। कई सुइट्स मुफ्त, सीमित समय के परीक्षण की पेशकश करते हैं, लेकिन तैयार रहें कि जब तक आप सॉफ़्टवेयर नहीं खरीदते हैं, तब तक सुइट्स की कार्यक्षमता सीमित हो सकती है।
अपनी प्रशिक्षण सामग्री को 20 से 30 मिनट के सेगमेंट में विभाजित करें। कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सबसे प्रभावी है जब आप प्रतिभागी में उपलब्धि की भावना बनाए रख सकते हैं। लंबे ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्रों का एक ही प्रभाव हो सकता है जैसे कि लंबे प्रशिक्षक के नेतृत्व वाले प्रशिक्षणों में, प्रतिभागी ऊब जाएंगे और फोकस खो देंगे।अपनी जानकारी को छोटे, समझदार पाठों में रखने की कोशिश करें। जानकारी के प्रतिभागियों का प्रतिधारण अधिक होगा।
हर समय सीखने के तीन तरीकों में से दो का उपयोग करने का प्रयास - दृश्य, श्रव्य और काइनेस्टेटिक। पढ़ाए जा रहे विषयों या विषयों के चित्र या दृश्य उदाहरण प्रदान करें। अधिकांश सीबीटी सूट आपको दृश्य तत्वों के साथ कथन रिकॉर्ड करने की अनुमति देते हैं। अधिक प्रभावी सूट आपको प्रतिभागियों की समझ और उनके द्वारा सीखी गई जानकारी की अवधारण के लिए जाँच करने के लिए क्विज़, गेम, चुनौतियाँ और अन्य तरीके बनाने की अनुमति देगा। हर प्रशिक्षण मॉड्यूल में इन सभी तत्वों का उपयोग करने का प्रयास करें।
हटाने योग्य या समर्पित फ़ाइल संग्रहण के लिए मॉड्यूल प्रकाशित करें। कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल बड़ी फाइलें हैं। वे आपकी हार्ड ड्राइव पर जगह लेंगे और आपके सिस्टम को बहुत जल्दी धीमा कर देंगे। समर्पित हार्ड ड्राइव या अन्य डिजिटल स्टोरेज ड्राइव में इन फ़ाइलों को सहेजना और प्रकाशित करना न केवल आपके कंप्यूटर को सुचारू रूप से चालू रखेगा, बल्कि प्रशिक्षण को एक स्थान पर रखेगा।
सभी कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण का स्वयं परीक्षण करें। वर्तनी और अन्य व्याकरण संबंधी त्रुटियों के लिए जाँच करें। सुनिश्चित करें कि सभी ग्राफिक्स, वीडियो, गतिविधियां और कथन ठीक से काम कर रहे हैं। यदि आपने समझने के लिए जाँच करने के लिए एक प्रश्नोत्तरी या परीक्षण शामिल किया है, तो सुनिश्चित करें कि प्रश्न स्पष्ट और समझने योग्य हैं और उत्तर सही हैं। दो या तीन अन्य लोगों के प्रशिक्षण का परीक्षण करने के साथ-साथ उन गलतियों को पकड़ने के लिए जिन्हें आपने अनदेखा किया है, यह एक अच्छा विचार है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण वेब-आधारित प्रशिक्षण के समान नहीं है, जो इंटरनेट का उपयोग करके वितरित किया जाता है। वेब-आधारित प्रशिक्षण की अतिरिक्त आवश्यकताएं हैं जिन्हें उपयोग करने के लिए पूरा करना होगा। कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण के लिए यह आवश्यक नहीं है कि प्रतिभागी इंटरनेट से जुड़ा हो, केवल उसके पास कंप्यूटर तक पहुंच हो।
ई-बुक का उपयोग मोबाइल, लैपटॉप या अन्य डिवाइस के द्वारा उपयोग किया जाता है, इसको कही भी किसी भी स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है
मैं जब भी ईबुक खरीदता हूँ तो किसी पेड़ के काटे जाने के सहभागी होने के अपराधबोध से अपने आप को मुक्त पाता हूँ। हाँ, मुद्रित पुस्तकों पर ‘recycled’ का लोगो कुछ राहत वाली बात अवश्य होती है। ईरीडर हो सकता है ewaste के लिए उत्तरदायी बनें, परन्तु ईबुक्स कतई नहीं।
वहीं ईबुक मिनटों का खेल है! भुगतान होते ही वह आपके समक्ष होता है।
पढने का क्रम बना रहता है
कोई पेज ख़राब या मुड़ा/तुड़ा नहीं होता
डिक्शनरी साथ के साथ होती है.
आप अपनी सुविधा के अनुसार बड़े छोटे अक्षर या फिर लिखावट का तरीका बदल सकते है.
हमारे पूर्वाग्रहों के विपरीत ईरीडर बुजुर्गों और अधेड़ उम्र के पाठकों के बीच मित्रवत तथा उपयोगी स्थान ग्रहण कर सकता है।
आप किसी भी वक़्त अपनी सारी किताबे साथ ले जा सकते है. कही से भी पढ़ सकते है.
फिर अक्कड़-बक्कड़ खेलकर तो पुस्तकों का चयन तो नहीं कर सकते न?
इन ‘विषम’ परिस्थितियों में ebooks और ereader हमसफर बनकर उभरते हैं – यात्रा में बिना अतिरिक्त बोझ के!
किसी भी नयी चीज को जानते ही आप साथ के साथ इंटरनेट पर और जानकारी ले सकते है.
आप कोई भी लाइन कॉपी/पेस्ट कर सकते है अपने नोट्स में.
शुक्र है कि ईबुक विभिन्न संस्करणों में नहीं आता और कई बार मुद्रित संस्करण से कम मूल्यों में मिल जाता है। दुविधा की कोई बात नहीं!
ईबुक्स के साथ ऐसी कोई समस्या आड़े नहीं आती। अधिकांश ईरीडर रोशनी वाली स्क्रीन से लैस होते हैं जो अँधेरे में पढ़ने में सहायक है। यही नहीं, घर पर भी अगर सोने के समय कुछ पढने का मन बना तो अपने साथी के नींद में बिना खलल डाले अध्ययन जारी रख सकते हैं – अँधेरे में!
परन्तु ईबुक के साथ ऐसी कोई चिंता नहीं क्यूंकि यह एक साथ मेरे मोबाइल, लैपटॉप, ईरीडर, क्लाउड इत्यादि स्थानों पर उपलब्ध है और कहीं से भी पढ़ा जा सकता है। इनके खोने या नष्ट होने का लगभग कोई डर नहीं।
वहीं दूसरी ओर शेक्सपियर समग्र से लेकर प्रेमचंद की सम्पूर्ण रचनाएं मुफ्त उपलब्ध हैं – ईबुक फॉर्मेट में! कितनी भी प्रतियाँ बाँटिये या डाउनलोड करें – कोई बाध्यता नहीं और कोई वैधानिक समस्या भी नहीं।
नए नवोदित लेखक भी इसका लाभ ले सकते हैं जो अपनी सामग्री मुफ्त वितरित करना चाहते हैं।
ईबुक इस समस्या का सबसे बड़ा हल है। खपत का इसके उपलब्धता से कोई सीधा संबंध नहीं है – चाहे एक ही दिन में कितनी भी प्रतियाँ निकल जाए या उसकी कोई मांग ही न हो जिसके कारण वह छपाई से बाहर हो जाए। यूँ कहें कि आउट-ऑफ-प्रिंट नाम की कोई बात ही नहीं हो सकती। यह प्रकाशकों के लिए भी एक राहत है जहाँ कम या न के बराबर बिकने वाली पुस्तकें भी जनसुलभ बनाई जा सकती है। कोई पुस्तक न भी चली तो कम से कम मुद्रित पुस्तकों जितना घाटा नहीं होता जिन्हें बाद में औने-पौने दाम पर बेचना पड़े।
यहाँ रद्दी में कुछ भी नहीं जाता और निवेश भी एक बार का ही होता है।
जब तक आपके पास पर्याप्त जगह है, आप जितनी चाहे पुस्तकें ले सकते हैं और उनके लिए समर्पित अलमारियाँ भी। परन्तु शहरी क्षेत्र में 2BHK में आशियाना बनाए उन पुस्तकप्रेमियों का क्या जिनके लिए स्थान खुद एक बड़ी बाधा है। एक समय ऐसा आता है जब अलमारियाँ भी कराहने लगती हैं और नयी आप ले नहीं सकते। ईबुक्स हजारों पुस्तकों का जमावड़ा होने के पश्चात भी अतिक्रमण से दूर रहता है।
पूरी पुस्तकालय आपके जेब में समाहित है साहब!
ई-बुक को साधारण पुस्तकों की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना नहीं पड़ता है| यह ऑनलाइन उपलब्ध रहती है आप इन्हें अपने मोबाइल, लैपटॉप या अन्य डिवाइस में स्टोर कर सकते है| जिससे इसको अलग से लाना और ले जाना नहीं होता है|
ई-बुक को प्रिंट नहीं करना पड़ता है, जिससे प्रिंटिंग का खर्च नहीं आता है| प्रिंटिंग न करने से कागज और प्रिंटिंग की स्याही की बचत की जाती है|
पढ़ाई करते समय आंख और दिमाग सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लाए जाते हैं। दिमाग को जितना इस्तेमाल किया जाए वह उतना ही तेज होता है। लेकिन आंखों का ख्याल रखना हमारे लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। चाहे ई-बुक से पढ़ाई हो, चाहे पेपरलैस स्टडी। इन दोनों ही माध्यम में हमारी आंखों पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में ई-बुक्स एक तरह से मोबाइल, टैब और लैपटॉप और कंप्यूटर आदि चलाना ही माना जाए और जितनी हमारी आंखें इन सभी इलेक्ट्रोनिक्स डिवाइस पर टिकी रहेंगी उतनी ही यह हमारी आंखों के लिए खतरनाक साबित होगा। बता दें कि आधुनिक तकनीक ने जहां एक ओर हमारे जीवन को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं।
ई-बुक को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर ही यूज किया जा सकता है, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अधिक यूज करने से आँखों को बहुत ही नुकसान होता है, कई बार आँखों में लाल और सूजन की शिकायत भी आने लगती है|
इसलिए अगर आप पढऩे के शौकीन हैं तो के बजाय किताबों के साथ वक्त बिताएं। अगर किसी वजह से ई-बुक्स पढऩा जरूरी हो तो भी सोने से पहले ई-बुक पढऩे से बचें।
ईबुक (या ईपुस्तक) को लेकर पाठक कई मायनों में असहज महसूस करते हैं। मुद्रित पुस्तकों के साथ जो जुड़ाव है, उनके कारण ईबुक्स की अस्वीकृति प्रौढ़ और परंपरागत पाठकों में सदा से बनी हुई है।
इ-बुक का सब से बड़ा नुकसान यही है कि आपकि किताबो की अलमारी हमेशा खाली ही रहेगी. और कुछ लोगो को अपनी अलमारी में किताबे रखना बहुत पसंद होता है.
कुछ लोग ई-बुक से कुछ परहेज करेंगे, शायद क्यों कि:
Electronic resources form
one of many formats that the Library collects to support its universal
collections. Electronic resources include, web sites, online databases,
e-journals, e-books, and physical carriers in all formats, whether free or
fee-based, required to support research in the subject covered, and may be
audio, visual, and/or text files.
An electronic resource is
defined as a resource which require computer access or any electronic product
that delivers a collection of data, be it text referring to full text bases,
electronic journals, image collections, other multimedia products and
numerical, graphical or time based, as a commercially available title that has
been published with an aim to being marketed.
Sources of information
available in electronic (digital/analogue) format and accessible in
offline/online modes through intranet or Internet over computers, book-readers,
tablets, smart-phones, etc.
Resources in the electronic
form that are readable using various electronic components.
Has potential to provide
access to literally thousands of e-articles, e-books, online newspapers,
magazines and more, which is far more than a library could possibly subscribe
in print format. It is possible to find related studies while searching internet,
as most online databases provides citation links to the particular study.
Electronic resources are
materials in digital format accessible electronically.
E-resources is a digital media firm with a singular
focus: to provide our clients with a dedicated partner that advances their
mission with web-based solutions.
Electronic resources (or e-resources) are materials in digital format accessible electronically.
Examples of e-resources are electronic journals (e-journal),
electronic books (e-book) online databases in varied digital formats, Adobe
Acrobat documents (.pdf), webpages.
ई-संदर्भ क्या है?
इलेक्ट्रॉनिक संदर्भ सामग्री ऑनलाइन विश्वकोश, शब्दकोश, समयरेखा, हैंडबुक और गाइड के रूप में सूचना के स्रोत हैं। ये संसाधन किसी भी विषय पर विश्वसनीय और सटीक त्वरित तथ्य, परिभाषाएं और पृष्ठभूमि की जानकारी प्रदान करते हैं।
Why use E-Reference Sources?
Explore E-Reference databases and resources to build a foundational knowledge of any topic for research projects or assignments. E-Reference sources are like the “nuts-&-bolts” of any topic.
ई-संदर्भ स्रोतों का उपयोग क्यों करें?
अनुसंधान परियोजनाओं या असाइनमेंट के लिए किसी भी विषय का आधारभूत ज्ञान बनाने के लिए ई-संदर्भ डेटाबेस और संसाधनों का अन्वेषण करें। ई-संदर्भ स्रोत किसी भी विषय के "नट्स-एंड-बोल्ट" की तरह होते हैं।
When to use E-Reference:
Start with E-Reference sources at the beginning of any research project or assignment to gather background information on concepts, theories, historical events, people, places, and much more. You may cite E-Reference sources when referring to facts, dates, biographical information, and more.
ई-संदर्भ का उपयोग कब करें:
अवधारणाओं, सिद्धांतों, ऐतिहासिक घटनाओं, लोगों, स्थानों और बहुत कुछ पर पृष्ठभूमि की जानकारी इकट्ठा करने के लिए किसी भी शोध परियोजना या असाइनमेंट की शुरुआत में ई-संदर्भ स्रोतों से शुरू करें। तथ्यों, तारीखों, जीवनी संबंधी जानकारी आदि का जिक्र करते समय आप ई-संदर्भ स्रोतों का हवाला दे सकते हैं।
The reasons for actually embarking on the purchasing of electronic resources are generally accepted because of the ease of usability, readability, affordability and accessibility. The following are the advantages of e-resources over the print media
a) Multi-access: A networked product can provide multiple points of access at multiple pints round the clock and to multiples simultaneous users.
b) Speed: An electronic resource is lot quicker to browse or search, to extract information from, and to integrate that information into other material and to cross-search or reference among the different publications.
c) Functionality: E- resources will allow the user to approach the publications to analyze its content in new ways by clicking of the mouse on search mode.
d) Content: The e-resources can contain a vase amount of information, but more importantly the material can consist of mixed media i.e. images, video, audio animation which could not be replaced in print.
e) Mobility
f) Savings physical Space
g) Convenience
h) Saving time& money
Now, more and more people prefer e-resources to traditional ones, because it can save their time and money. However, with various e-resources flooded in, more and more people are aware of the disadvantages of e-resources.
a) The fact that e-resources require special devices or personal computers can be looked at as a disadvantage. Many e-resources are typically produced to be compatible with certain software which in turn may be not easily available. Since e-resources are dependent on other equipment, certain hardware or software failures may affect it. Unless the hardware, Internet connection or battery power that is required by an e-resource reader is readily available, then its electronic document is useless. In addition, e-resources depending on hardware and software and are more easily damaged than a printed book.
b) E-resource reading devices are surely more expensive than printed books. All devices of e-resources require power. There is a growing concern that the e-resources at present may not be accessible or compatible to the futureS e-resources software or devices.
c) Screen glare and eyestrain are a serious concern for many potential users of e-resource technology. A major worry of reading from an e-resource reader could hurt the eyes. The display resolution of computer screens and electronic devices is considerably less than the print quality produced by a printing press.
d) Reading from a computer lacks the familiarity and comfort of reading from a book. A paper book can be opened and flipped; through, while an electronic text is more difficult to navigate.
e) E-Resources have an unreliable life span. Paper has a much longer life span than most digital forms of storage. Because of the rapid development of new computer systems, it is difficult to judge whether the software or hardware will become outdated. As new hardware is developed, structures must be put into place to allow for the migration of existing materials to the new platforms so that they can still be accessed. Methods of preserving the electronic document must also be developed. A high degree of reliability of the equipment must be a part of the electronic devices that handle the replacements for printed books.
f) Many titles that are available in traditional print books are not yet available in an electronic book format.
g) New technologies always require time, experience, and money in order to take full advantage of its capabilities.
गहरी समझ शोध के अनुसार, मल्टीमीडिया सीखने का एक लाभ यह है कि यह सामग्री के मौखिक और दृश्य प्रतिनिधित्व के बीच संबंध बनाने की मस्तिष्क की क्षमता का लाभ उठाता है, जिससे गहरी समझ होती है, जो बदले में अन्य स्थितियों में सीखने के हस्तांतरण का समर्थन करती है। यह सब आज की 21वीं सदी की कक्षाओं में महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम छात्रों को ऐसे भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं जहां उच्च स्तरीय सोच, समस्या समाधान और सहयोगी कौशल की आवश्यकता होगी।
बेहतर समस्या समाधान मानव मस्तिष्क का एक बड़ा प्रतिशत स्वयं को दृश्य प्रसंस्करण के लिए समर्पित करता है। इस प्रकार, पाठ के साथ छवियों, वीडियो और एनिमेशन का उपयोग मस्तिष्क को उत्तेजित करता है। छात्र का ध्यान और अवधारण में वृद्धि। इन परिस्थितियों में, मल्टीमीडिया सीखने के माहौल में, छात्र उस परिदृश्य की तुलना में समस्याओं को अधिक आसानी से पहचान और हल कर सकते हैं जहां शिक्षण केवल पाठ्यपुस्तकों द्वारा संभव बनाया गया है।
सकारात्मक भावनाओं में वृद्धि मनोवैज्ञानिक बारबरा फ्रेडरिकसन के अनुसार, सकारात्मक भावनाओं का अनुभव करने से लोग अपने जीवन में अधिक संभावनाएं देखते हैं। निर्देशों के दौरान मल्टीमीडिया का उपयोग सीखने की प्रक्रिया के दौरान छात्र के मूड को प्रभावित करता है। सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ वे बेहतर सीखते हैं और अधिक सक्रिय होते हैं।
विविध प्रकार की सूचनाओं तक पहुंच कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन और इंटरनेट के साथ, छात्र आज अपनी जरूरत की जानकारी खोजने और खोजने के लिए पहले से कहीं बेहतर सुसज्जित हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि 95% छात्र जिनके पास इंटरनेट है, वे इसका उपयोग ऑनलाइन जानकारी खोजने के लिए करते हैं। जानकारी साझा करना और कक्षा चर्चा में भाग लेना अधिक आत्मविश्वास से किया जाता है जब सूचना तक पहुंच आज की तरह आसान है।
विश्व अन्वेषण यहां कोई आश्चर्य की बात नहीं है। मल्टीमीडिया की मदद से बच्चे उन जगहों के बारे में पता लगा सकते हैं और सीख सकते हैं जहां वे कभी नहीं गए होंगे। भूगोल की कक्षा में, छात्र दुनिया के विभिन्न शहरों, सबसे ऊंचे पहाड़ों और सबसे खतरनाक जंगलों का पता लगा सकते हैं। विज्ञान वर्ग में अब अंतरिक्ष और ग्रहों की खोज संभव है। जीव विज्ञान वर्ग में, दुर्लभ जानवरों का विच्छेदन और विभिन्न आवासों की खोज एक मल्टीमीडिया सीखने के माहौल से लाभान्वित होने वाले छात्रों के लिए एक पार्क में टहलने की तरह है।



The digital age has opened up new technological frontiers.
It has given us access to new ways of communicating, doing business, and designing products.
However, these advancements have also dramatically increased the flow of information.
To understand information chaos, consider these three things:
This information chaos can have negative results, such as:
However, in the midst of this chaos, opportunities for growth abound:
These ideas beg the question … how do you transform chaos into utility?
Effective design is one of the best ways to combat information overload.
The Interaction Design Foundation, for instance, specifically addresses this topic.
They say that information overload can result from:
To name a few.
In business, poor design can contribute to information overload in any area that employs design thinking.
Here are just a few examples:
Clearly, design can be applied in many areas of business.
And information can either enable or hinder productivity in any of these areas.
Here are a few concepts that can be applied across business disciplines, to help reduce information overwhelm:
Information (documents, emails, videos, podcasts, voicemails, texts, tweets, Facebook posts, LinkedIn conversations, customer analytics,etc.) surrounds us. We rely on this information for entertainment and to do our jobs. Access by employees to information and manipulation by companies of their customer information to serve customer needs is THE competitive advantage today.
Better information equals better results.
The problem? That information is everywhere and not always managed effectively. By managed we mean channeled towards some business outcome. We use the phrase Information Chaos to describe this ongoing and accelerating state of massive information disruption.
Information is the lifeblood of your business. It's also everywhere; on mobile devices, laptops, in apps and the cloud. Sometimes this information is even well managed. The problem – and opportunity – will only get worse (and better).
Data or information chaos is more challenging than ever before. There are two reasons: 1) there is more chaos, and 2) it is more challenging as the expectations and requirements are increasing.
Businesses today are dealing with the exponential growth of data. There are paper-based business inputs, and there are vast amounts of digital documents coming to you in various formats – such as video, phone calls, chat logs, web analytics, and more – and from multiple sources, including social media channels, customer care centers, online and offline.
Analysts predicted digital data to double every two years - but this was before the Internet of Things (IoT) even appeared on the radar. Data volume is now measured in zettabytes, a trillion gigabytes! Mobile devices are a key driver for the data.
Expectations are increasing. There is a desire to process business inputs with a higher level of automation, meaning quicker and with less human intervention. In a B2C environment these requirements are driven by the end customer, meaning the bank customer who applies for a mortgage – expectation is to have this completed in 30 minutes.
Consumerization drives these changing requirements. Why would an insurance customer accept submitting data for an insurance claim in paper and then waiting for days/weeks as in the past? They will simply find another company with whom to do business.
OUR PROCESSES ARE BROKEN, WE ARE BURIED IN INFORMATION AND IT IS KILLING OUR ABILITY TO SATISFY OUR CUSTOMERS.
John Mancini: Three major disruptive forces are accelerating the pace of change and driving organizations into information chaos:

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| उदाहरण-ड्रिल और प्रैक्टिस सॉफ्टवेयर |
![]() |
| शैक्षिक सिमुलेशन का उदाहरण
E-LEARNING के लिए PEDAGOGICAL DESIGNS ई-लर्निंग का आकलन ई-मॉडरेशन ऑनलाइन LMS डिजिटल लर्निंग ऑब्जेक्ट्स https://nzmaths.co.nz/digital-learning-objects COLLECTION OF DIGITALLEARNING OBJECTS ऑनलाइन LEARNING COURSE विकास मॉडल ई-लर्निंग का प्रबंधन और कार्यान्वयन UNIT V औपचारिक शिक्षा में शिक्षा तकनीकी Educational Technology in Formal, Non-formal and Informal Education दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा खोज परिणामवेब परिणाम__________________________________________________________________________ Get rewarded for being fit: Dowload Growfitter app and by walking, running and much more. Use referral code RAJEHCZS at the time of sign up. U.P. Higher Education Services Commission, Prayagraj/md.raj/Syllabus/B.Ed. Unit-8 : Educational Technology (i) Meaning and Scope of Educational Technology : Educational Technology as systems approach to education. Systems approach in educational technology and its characteristics. Components of educational technology, software, hardware (ii) Multi – media approach in Educational Technology. (iii) Modalities of Teaching – difference between teaching and instruction, conditioning and training, Teaching and Indectination (iv) Stages of teaching – Pro – Active, Interactive and Post-active (v) Teaching at different levels – memory, understanding and reflective. (vi) Modification of teaching behaviour : Microteaching, Flander’s Interaction Analysis, Simulation. (vii) Programmed Instruction (Origin, Types, Linear and branching and Mathetices , Development of programmed instruction materials, Teaching Machines, Computer Assisted Instruction(CAI). (viii) Models of Teaching : Concept, different families of teaching models (ix) Designing Instructional System- formulation of instructional objectives, task (x) Digital Learning Analysis, designing of Instructional Strategies, such as Lecture, Team Teaching, Discussion, Panel Discussion, Seminars and Tutorials. Communication Process : Concept of Communication, Principles. Modes and Barriers of communication, Classroom Communication (Verbal and Non – Verbal Interaction). Distance Education : Concept, Different Contemporary Systems, viz., Correspondence, Distance and Open; Student support services; Evaluation Strategies in Distance Education; Counselling Methods in Distance Education. |
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